पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की टिप्पणी, टूट चुके रिश्ते के बावजूद तलाक मंजूर न करना दोनों पक्षों के लिए क्रूरता

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हिसार के एक बिल्डर को पूर्व पत्नी के लिए स्थायी गुजारा भत्ते के तौर पर आठ करोड़ रुपये देने का आदेश दिया है। 2018 के फेमिली कोर्ट के तलाक के आदेश को बरकरार रखा है। महिला ने फेमिली कोर्ट के आदेश को रद करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस सुधीर सिंह और जस्टिस हर्ष बंगर की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि हमारी राय में एक विवाह जो पूरी तरह से टूट चुका है, दोनों पक्षों के लिए क्रूरता है। इसका कारण यह है कि ऐसे रिश्ते में प्रत्येक पक्ष एक-दूसरे के साथ क्रूरता से पेश आता है। हाई कोर्ट के अनुसार, एक वैवाहिक रिश्ता जो पिछले कुछ सालों में और भी कड़वा और कटु होता जा रहा है, वह दोनों पक्षों पर क्रूरता करने के अलावा कुछ नहीं करता। इस टूटी हुई शादी के दिखावे को जिंदा रखना दोनों पक्षों के साथ अन्याय होगा।
पति ने महिला पर लगाए आरोप
याचिका के अनुसार, दंपति ने 1995 में हरियाणा में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह किया और बाद में उनके दो बच्चे हुए। बिल्डर पति के अनुसार, शादी की शुरुआत से ही उसकी पत्नी उसके और उसके परिवार के प्रति असभ्य और झगड़ालू व्यवहार रखती थी। वह अलग रहना चाहती थी और उसके दबाव में उसने ऋण लिया और हिसार में एक घर खरीदा, जहां महिला अभी भी रह रही है। हालांकि वह बीएएमएस (बैचलर आफ़ आयुर्वेद, मेडिसिन एंड सर्जरी) डाक्टर थी और अच्छी कमाई कर रही थी, लेकिन उसने अपने बच्चों की शिक्षा या पालन-पोषण पर पैसा खर्च नहीं किया। उसने दावा किया कि उसने उसकी मां का अपमान किया और उसे अपमानित किया, उसे हिसार में घर से निकाल दिया और पिछले तीन सालों से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने से इन्कार कर दिया जिससे उसे मानसिक यातना झेलनी पड़ी।
महिला ने आरोपों से इन्कार किया
हालांकि, महिला ने आरोपों से इन्कार किया और कहा कि उसके पति ने अपने रियल एस्टेट व्यवसाय के शुरू होने के बाद व्यवहार बदल दिया। छुटकारा पाने के लिए उसके साथ बुरा व्यवहार किया ताकि वह फिर से शादी कर सके। उसने अपने बच्चों पर पर्याप्त पैसा खर्च किया है और उसने कभी भी अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इन्कार नहीं किया। इस मामले की सुनवाई करते हुए हिसार की एक फेमिली कोर्ट ने 2018 में बिल्डर की तलाक की मांग को स्वीकार कर लिया। इसके खिलाफ महिला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तलाक के आदेश को रद करने की गुहार लगाई थी।
पांच लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने पर सहमत
सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी कहा कि एक पति या पत्नी द्वारा दूसरे के खिलाफ दहेज की मांग या शारीरिक हमले के निराधार/ अपुष्ट आरोप स्वाभाविक रूप से किसी व्यक्ति के लिए काफी कष्टकारी होते हैं, जो मानसिक क्रूरता का गठन करते हैं। फेमिली कोर्ट द्वारा पारित तलाक के आदेश को बरकरार रखते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अपीलकर्ता (महिला) को स्थायी गुजारा भत्ता देने पर भी विचार करना उचित होगा। उसका बिल्डर पति नियमित रूप से पांच लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता दे रहा है, और उसकी कंपनी का टर्नओवर लगभग 2,500 करोड़ रुपये है।
पीठ ने कहा कि यह तर्कसंगत रूप से माना जा सकता है कि महिला को स्थायी गुजारा भत्ता के लिए पर्याप्त राशि प्रदान की जानी चाहिए ताकि वह उसी जीवन स्तर को बनाए रख सके जिससे वह अपने पति के साथ रहना जारी रखती। पीठ ने कहा कि इस प्रकार वह महिला को हिसार में एक घर के साथ आठ करोड़ रुपये की राशि स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में देना उचित समझती है।
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