पहलगाम आतंकी हमले पर विवादास्पद टिप्पणी: लोक गायिका नेहा सिंह राठौर पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज

लखनऊ, बीएनएम न्‍यूज : Neha Singh Rathore: अपनी बेबाक गायकी और सामाजिक मुद्दों पर मुखर राय रखने के लिए जानी जाने वाली लोक गायिका नेहा सिंह राठौर एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई हैं। इस बार मामला जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले पर उनकी कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों से जुड़ा है। रविवार को लखनऊ के हजरतगंज थाने में नेहा सिंह राठौर के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है, जिससे प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में हलचल मच गई है।

हजरतगंज के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) विकास जायसवाल ने इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए बताया कि यह मुकदमा कवि अभय प्रताप सिंह उर्फ निर्भीक की तहरीर पर दर्ज किया गया है। अपनी शिकायत में अभय प्रताप सिंह ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र किया है, जिसमें 22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन द्वारा विशेष रूप से हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया गया था। इस दर्दनाक घटना में 26 पर्यटकों की जान चली गई थी, जिसने पूरे देश को शोक में डुबो दिया था।

भ्रामक और आपत्तिजनक टिप्पणियां

अभय प्रताप सिंह ने अपनी तहरीर में आरोप लगाया है कि इस संवेदनशील और दुखद घटना के बाद लोक गायिका नेहा सिंह राठौर जो अंबेडकरनगर जिले के हीडी पकड़िया गांव की निवासी हैं अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से लगातार कई भ्रामक और आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रही हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि नेहा सिंह राठौर के ये बयान दो समुदायों के बीच वैमनस्य और आपसी सौहार्द को बिगाड़ने के साथ-साथ शांति व्यवस्था को भंग करने की मंशा से प्रेरित हैं।

लगातार देश विरोधी बातें

 

शिकायत में यह भी गंभीर आरोप लगाया गया है कि नेहा सिंह राठौर लगातार देश विरोधी बातें कर रही हैं, जिनका पाकिस्तान में व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार हो रहा है। अभय प्रताप सिंह ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि न केवल पाकिस्तान में नेहा सिंह राठौर की प्रशंसा हो रही है बल्कि उनके देश विरोधी बयानों का इस्तेमाल पाकिस्तानी मीडिया द्वारा भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने के लिए किया जा रहा है। उनका मानना है कि नेहा सिंह राठौर के ये कृत्य न केवल देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को भी धूमिल कर रहे हैं।

नई बहस

इस घटनाक्रम ने सोशल मीडिया पर भी एक नई बहस छेड़ दी है। एक तरफ जहां कुछ लोग नेहा सिंह राठौर की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन कर रहे हैं और उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने को गलत बता रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ बड़ी संख्या में लोग उनके बयानों को गैर-जिम्मेदाराना और देश विरोधी करार दे रहे हैं। उनका मानना है कि किसी भी व्यक्ति को इतनी स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती कि वह आतंकी हमलों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर गलत और भड़काऊ टिप्पणी करके सामाजिक सौहार्द को खतरे में डाले।

विवादास्पद बयानों के कारण सुर्खियों में

 

गौरतलब है कि नेहा सिंह राठौर अक्सर अपने विवादास्पद बयानों और व्यंग्यात्मक गीतों के कारण सुर्खियों में रहती हैं। उन्होंने विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय खुलकर व्यक्त की है, जिसके कारण उन्हें प्रशंसा और आलोचना दोनों का सामना करना पड़ा है। हालांकि इस बार मामला एक आतंकी हमले पर उनकी प्रतिक्रिया से जुड़ा है, जिसे कई लोग राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक एकता के लिए खतरा मान रहे हैं।

गंभीर मामला

 

कानूनी जानकारों का मानना है कि देशद्रोह का आरोप एक गंभीर मामला है और इसके लिए मजबूत सुबूतों की आवश्यकता होती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए देशद्रोह से संबंधित है जो ऐसे शब्दों, संकेतों या दृश्य प्रतिनिधित्व के माध्यम से सरकार के प्रति असंतोष भड़काने या भड़काने का प्रयास करने वाले व्यक्ति को दंडित करती है। अब यह देखना होगा कि पुलिस अपनी जांच में नेहा सिंह राठौर के बयानों को किस परिप्रेक्ष्य में देखती है और क्या उनके बयान वास्तव में देशद्रोह की श्रेणी में आते हैं।

पुलिस की जांच

 

इस मामले में पुलिस की जांच कई पहलुओं पर केंद्रित रहने की संभावना है। सबसे पहले पुलिस नेहा सिंह राठौर द्वारा सोशल मीडिया पर की गई उन विशिष्ट टिप्पणियों की जांच करेगी, जिन पर आपत्ति जताई गई है। इसके बाद यह आकलन किया जाएगा कि क्या इन टिप्पणियों का उद्देश्य वास्तव में दो समुदायों के बीच शत्रुता पैदा करना या सार्वजनिक शांति भंग करना था। पुलिस इस बात पर भी ध्यान देगी कि क्या इन बयानों का पाकिस्तान में व्यापक प्रचार हुआ है और क्या उनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ दुष्प्रचार के लिए किया जा रहा है।

इस घटनाक्रम का राजनीतिक निहितार्थ भी हो सकता है। विपक्षी दल इस मुद्दे को सरकार की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की कोशिश के रूप में उठा सकते हैं, जबकि सत्ताधारी दल राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए इस कार्रवाई को उचित ठहरा सकते हैं। यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब देश पहले से ही विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर ध्रुवीकरण का सामना कर रहा है।

समाज पर गहरा प्रभाव

पहलगाम आतंकी हमला जिसमें निर्दोष 26 पर्यटकों की जान गई एक निंदनीय कृत्य था जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। ऐसे संवेदनशील समय में सार्वजनिक हस्तियों से जिम्मेदारी और संवेदनशीलता की उम्मीद की जाती है। उनके बयानों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है और इसलिए यह आवश्यक है कि वे अपनी राय व्यक्त करते समय सावधानी बरतें और किसी भी ऐसी टिप्पणी से बचें जो सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ सकती है या राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचा सकती है।

नेहा सिंह राठौर के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होना इस बात का संकेत है कि प्रशासन ऐसे बयानों को गंभीरता से ले रहा है जिन्हें देश की एकता, अखंडता और सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा माना जा सकता है। यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

महत्वपूर्ण बहस

अब सभी की निगाहें पुलिस की जांच पर टिकी हुई हैं। यह देखना होगा कि जांच में क्या तथ्य सामने आते हैं और क्या नेहा सिंह राठौर के खिलाफ देशद्रोह के आरोप साबित होते हैं। इस बीच इस घटना ने एक बार फिर सोशल मीडिया के इस्तेमाल और सार्वजनिक हस्तियों की जिम्मेदारी पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है। यह आवश्यक है कि सभी नागरिक अपनी राय व्यक्त करते समय संयम और जिम्मेदारी बरतें और किसी भी ऐसे कृत्य से बचें जो देश की शांति और एकता को खतरे में डाल सकता है। यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है और इस पर कुछ युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, खासकर जब यह राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा पैदा करती हो।

 

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