कैथल की तहसीलों में भ्रष्टाचार का खुलासा: तहसीलदार के रीडर पर रिश्वत मांगने का केस, एक सप्ताह में दूसरी बड़ी कार्रवाई

कैथल विजिलैंस कार्यालय कार्य करते इंस्पेक्टर।

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल : Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले की तहसीलों में भ्रष्टाचार की घटनाएँ रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने एक सप्ताह के भीतर दूसरी बड़ी कार्रवाई करते हुए तहसीलदार कार्यालय के एक कर्मचारी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। हाल ही में गुहला तहसील में 10,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रजिस्ट्री क्लर्क को रंगे हाथों पकड़ा गया था। अब, कलायत तहसील में तहसीलदार के रीडर विजय चौहान पर रिश्वत मांगने के आरोप में भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है।

कलायत में रिश्वत मांगी गई कार्रवाई

कलायत तहसील में एक आम नागरिक, कर्ण सिंह, का जमीन से जुड़ा मामला लंबिंत था। आरोप है कि तहसीलदार के रीडर विजय चौहान ने इस मामले में आगे की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 5,000 रुपए की रिश्वत मांगी थी। नागरिक ने इस बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया और तुरंत एंटी करप्शन ब्यूरो में इसकी शिकायत दर्ज करवाई।

यह मामला उस समय और भी गंभीर हो गया, जब एसीबी ने शिकायत की पुष्टि के लिए पहले रेड करने की कोशिश की, लेकिन आरोपी को सूचना पहले ही मिल गई, जिसके चलते उसे सतर्क हो जाने का मौका मिल गया। फिर भी, एसीबी ने 17 दिन की जांच के बाद ठोस सबूतों के आधार पर विजय चौहान के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। यह कार्रवाई एंटी करप्शन ब्यूरो के एडीजीपी ऑफिस और एसपी अंबाला रेंज की स्वीकृति के बाद की गई।

गुहला तहसील का रिश्वतखोरी का मामला

गुहला तहसील में भी एक रिश्वतखोरी का मामला सामने आया था। हाल ही में, एसीबी अंबाला ने तहसीलदार कार्यालय में तैनात रजिस्ट्री क्लर्क प्रदीप कुमार को 10,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। यह रिश्वत रजिस्ट्री कराने के बदले मांगी गई थी। इस मामले में तहसीलदार मनजीत मलिक पर भी गंभीर आरोप लगे थे कि उन्होंने पूरी प्रक्रिया में सहयोग नहीं किया।

इस कार्रवाई का नेतृत्व डीएसपी मुकेश जाखड़ ने किया था। ड्यूटी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में एसीबी की टीम ने छापा मारा और क्लर्क को रिश्वत लेते हुए धर दबोचा। इस मामले की जांच भी जारी है, और संभावना जताई जा रही है कि तहसीलदार की भूमिका की भी गहराई से जांच की जाएगी।

जनता की समस्याएं और आक्रोश

इन लगातार सामने आ रहे रिश्वतखोरी के मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कैथल जिले की तहसीलें भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी हैं। आम जनता पहले से ही फाइलों के इधर-उधर घूमने और अधिकारियों की लापरवाही से परेशान थी, और अब खुलेआम रिश्वत मांगे जाने के मामले सामने आने से लोग आक्रोशित हैं। शहर के नागरिकों का कहना है कि किसी भी काम को बिना रिश्वत के करना अब नामुमकिन सा हो गया है।

भ्रष्टाचार का गहरा जड़ें जमाना

जमीन-जायदाद से जुड़े मामलों में फाइलों को महीनों तक लटकाए रखा जाता है और उसके बाद काम कराने के नाम पर मोटी रकम मांगने का चलन आम होता जा रहा है। एंटी करप्शन ब्यूरो की लगातार कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तहसील स्तर पर भ्रष्टाचार गहरी जड़ें जमा चुका है। अब सवाल यह है कि क्या इन मामलों में दोषियों को सख्त सजा मिलेगी, या फिर यह भ्रष्टाचार का खेल यूं ही चलता रहेगा।

एसीबी की जांच की दिशा

एसीबी इंस्पेक्टर सूबे सिंह ने बताया कि उच्च अधिकारियों के निर्देश पर कलायत तहसीलदार के रीडर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। फिलहाल, मामले की जांच की जा रही है। इस प्रकार की कार्रवाई से यह उम्मीद बंधती है कि सरकारी तंत्र में सुधार किया जा सकेगा और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नई दिशा दी जा सकेगी।

भ्रष्टाचार की गंभीर समस्या

हरियाणा के कैथल जिले में भ्रष्टाचार की यह गंभीर समस्या न केवल आम नागरिकों के लिए बल्कि पूरे प्रशासन के लिए एक चुनौती बनी हुई है। यदि सरकार और संबंधित एजेंसियों द्वारा इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह स्थिति और भी बिगड़ सकती है। आमजन को चाहिए कि वे ऐसे मामलों में आवाज उठाते रहें और आवश्यक कदम उठाते रहें, ताकि भ्रष्टाचार का यह खेल समाप्त हो सके और एक स्वच्छ प्रशासन की स्थापना की जा सके।

इस प्रकरण ने यह साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ साहसिक कदम उठाने की आवश्यकता है, और सभी संबंधित विभागों को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए ताकि नागरिकों को आसानी से काम मिल सके। यह एक महत्वपूर्ण समय है जब सत्ता और शासन में नई चेतना और जिम्मेदारी का संचार आवश्यक है।

You may have missed