Criminal Law Bill: लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह बोले, नाबालिग से दुष्कर्म और मॉब लिंचिंग के लिए फांसी की सजा का प्रावधान, अंग्रेजों के जमाने के कानूनों में बड़ा बदलाव

नई दिल्‍ली, एजेंसी। Criminal Law Bill: लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि स्वतंत्रता के बाद क्रिमिनल जस्टिस के कानून का पहली बार मानवीकरण किया गया है। 150 साल पुराने अंग्रेजों के जमाने के कानून में बदलाव किया गया है। ये कानून पारित होने के बाद पूरे देश में एक ही प्रकार की न्याय प्रणाली होगी। न्याय प्रणाली में समानता लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग के घृणित अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं। उन तीनों कानूनों में पहली बार पीएम मोदी के नेतृत्व में भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत की जनता की चिंता करने वाले आमूल-चूल बदलाव लेकर मैं आया हूं। उन्‍होंने कहा कि Indian Penal Code जो 1860 में बना था, उसका उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना ही था। उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 को इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में लाया जाएगा।

नए कानून में आतंकवाद की व्याख्या

अमित शाह ने कहा कि CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 सदन के अनुमोदन के बाद अमल में आएगी और Indian Evidence Act 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 अमल में आएगा। गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी। पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद को व्याख्यायित करने जा रही है, जिससे इसकी कमी का कोई फायदा न उठा पाए।

आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया?

अमित शाह ने कहा कि मॉब लिंचिंग एक घृणित अपराध है। हम इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं, लेकिन मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि आपने भी वर्षों देश में शासन किया है, आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया? आपने मॉब लिंचिंग शब्द का इस्तेमाल सिर्फ हमें गाली देने के लिए किया, लेकिन सत्ता में रहे तो कानून बनाना भूल गए।

राजद्रोह जैसे अंग्रेजों के काले कानूनों का नए भारत में नहीं

राजद्रोह जैसे अंग्रेजों के काले कानूनों का नए भारत में सफाया हुआ। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CRPC) में पहले 484 धाराएं थीं, अब 531 होंगी, 177 धाराओं में बदलाव हुआ है। इसमें 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, 39 नए सब सेक्शन जोड़े गए हैं, 44 नए प्रोविजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं, 35 सेक्शन में टाइम लाइन जोड़ी गई हैं और 14 धाराओं को हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि लाल किला से पीएम मोदी ने कहा था कि औपनिवेशिक कानून से देश को मुक्ति मिलनी चाहिए। उसके बाद 2019 से बदलाव की प्रक्रिया शुरू हुई। ये कानून विदेशी शासन गुलाम प्रजा को शासित करने के लिए बनाया गया कानून है।

बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी को फांसी की सजा

पहले दुष्कर्म की धारा 375, 376 थी, अब जहां से अपराधों की बात शुरू होती है उसमें धारा 63, 69 में दुष्कर्म को रखा गया है। सामू गैंगरेप को भी आगे रखा गया है। बच्चों के खिलाफ अपराध को भी आगे लाया गया है। मर्डर 302 था, अब 101 हुआ है। गैंगरेप के आरोपी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल।

18, 16 और 12 साल की उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म में अलग-अलग सजा मिलेगी। 18 साल से कम से उम्र में दुष्कर्म में आजीवन कारावास और मौत की सजा। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में 20 साल की सजा या जिंदा रहने तक की सजा। 18 साल से कम की बच्ची के साथ दुष्कर्म में फिर फांसी की सजा का प्रावधान रखा है। सहमति से दुष्कर्म में 15 साल की उम्र को बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया है। अगर 18 साल की लड़की के साथ दुष्कर्म करने पर नाबालिग दुष्कर्म की श्रेणी में आएगा। अपहरण 359, 369 था, अब 137 और 140 हुआ। मानव तस्करी ह्यूमन ट्रैफिकिंग 370, 370ए था, अब 143, 144 हुआ है।

गैर इरादतन हत्या को श्रेणी में बांटा

संगठित अपराध की भी पहली बार व्याख्या की गई है। इसमें साइबर क्राइम, लोगों की तस्करी, आर्थिक अपराधों का भी जिक्र है। इससे न्यायपालिका का काम सरल होगा। गैर इरातन हत्या को दो हिस्सों में बांटा। अगर गाड़ी चलाते वक्त हादसा होता है, फिर आरोपी अगर घायल को पुलिस स्टेशन या अस्पताल ले जाता है तो उसे कम सजा दी जाएगी। हिट एंड रन केस में 10 साल की सजा मिलेगी। डॉक्टरों की लापरवाही से होने वाली हत्याओं को गैर इरादतन हत्या में रखा गया है। इसकी भी सजा बढ़ गई है, इसके लिए मैं एक अमेंडमेंट लेकर आउंगा, डॉक्टरों को इससे मुक्त कर दिया है। मॉब लिंचिंग में फांसी की सजा, स्नैचिंग के लिए कानून नहीं था, अब कानून बन गया है।

नए कानून में पुलिस की जवाबदेही तय होगी

अमित शाह ने कहा कि नए कानून में अब पुलिस की भी जवाबदेही तय होगी। पहले किसी की गिरफ्तारी होती थी, तो उसके परिवार के लोगों को जानकारी ही नहीं होती थी। अब कोई गिरफ्तार होगा तो पुलिस उसके परिवार को जानकारी देगी। किसी भी केस में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस पीड़ित को देगी। जांच और केस के विभिन्न चरणों की जानकारी पीड़ित और परिवार को भी देने के लिए कई प्वाइंट जोड़े गए हैं।

3 दिन में FIR दर्ज करनी होगी

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता– देश में न्याय मिलने में गरीबों को मुश्किल होती है, लेकिन गरीबों के लिए संविधान में व्यवस्था की गई है। पुलिस की ओर से दंडित कार्रवाई- CrPC में कोई समय निर्धारित नहीं है। पुलिस 10 साल बाद भी जांच कर सकती है। तीन दिन के भीतर रिपोर्ट दर्ज करनी होगी। 3 से 7 साल की सजा में 14 दिन के भीतर जांच करके FIR रजिस्टर करनी होगी।

अब बिना किसी देर के दुष्कर्म पीड़िता की रिपोर्ट को भी 7 दिन के भीतर पुलिस स्टेशन और कोर्ट में भेजना होगा। पहले 7 से 90 दिनों में चार्जशीट दाखिल करने का प्रावधान था। लेकिन लोग कहते थे, जांच चल रही है ऐसा बोलकर सालों केस लटकाए जाते थे। अब 7 से 90 दिनों का समय रहेगा, अब ये समय पूरा होने के बाद 90 दिनों का ही समय मिलेगा। 180 दिनों के बाद आप चार्जशीट लटकाकर नहीं रख सकते। अब आरोप तय होने के 30 दिन के भीतर ही आरोपी आरोप स्वीकार कर लेगा तो सजा कम हो जाएगी। उसके बाद सजा कम नहीं होगी। ट्रायल की प्रक्रिया में कागज रखने का प्रावधान नहीं था, अब इसे 30 दिन में पूरा करना होगा। ट्रायलिंग के दौरान अनुपस्थित रहने के मामले में भी प्रावधान किया गया है, कुछ लोगों को इससे आपत्ति हो सकती है।

 

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