कैथल में महिला सरपंच को डीसी ने किया निलंबित, 52 एकड़ पंचायती जमीन पर हो रही थी अवैध खेती

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: कैथल जिले के सीवन ब्लॉक की ग्राम पंचायत आंधली की महिला सरपंच परमजीत कौर को हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 के तहत निलंबित कर दिया गया है। इस कार्रवाई के पीछे ग्रामीण प्रशासन द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप हैं, जिनमें पंचायत के 52 एकड़ भूमि का अवैध तरीके से उपयोग और भूमियों का पट्टा दिए बिना खेती करने की अनुमति देने का मामला शामिल है। यह मामला ग्राम पंचायत की वित्तीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।

निलंबन का कारण

ग्राम पंचायत आंधली की सरपंच परमजीत कौर पर यह आरोप है कि उन्होंने ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल का गलत इस्तेमाल करते हुए पट्टेदारों को अपनी फसलें रजिस्ट्रेशन कराने की अनुमति दी। यह अनुमति उन्होंने अपने मोबाइल द्वारा ओटीपी साझा करके दी, जिससे पट्टेदार सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए अवैध तरीके से अपनी फसल बेच सके।

डीसी प्रीति ने उनके निलंबन का निर्णय लेते हुए कहा कि इस कार्रवाई से पंचायत को आर्थिक नुकसान हुआ है, जो बिना लीज प्रक्रिया का पालन किए हुए की गई। इस निलंबन से सरपंच अब ग्राम पंचायत की किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगी।

शिकायत का विवरण

मामला मई और जून 2024 का है, जब गांव के निवासी अवतार सिंह ने डीसी को शिकायत दायर की थी। शिकायत में कहा गया था कि सरपंच ने ग्राम पंचायत की भूमि का अवैध उपयोग किया है। इससे पहले, पट्टेदार भूमि पर बिना लीज के खेती करने की अनुमति चाहते थे, जो अब सरपंच द्वारा दी गई थी। यह स्थिति न केवल पंचायत के लिए बल्कि स्थानीय किसानों के लिए भी विवादित बन गई।

पंचायत की भूमि का गलत उपयोग

जिन 52 एकड़ भूमि का गलत उपयोग किया गया, वह पंचायत की संपत्ति है जिसे लीज पर दिए बिना किसी भी प्रकार के खेती के लिए इस्तेमाल करना अवैध है। सरपंच ने नियमों की अनदेखी करते हुए पट्टेदारों को मोबाइल ओटीपी के माध्यम से अनुमति दी, जिसके चलते पट्टेदार सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सके। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पंचायती व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाती है और पंचायत के आर्थिक साधनों को प्रभावित करती है।

जांच की प्रक्रिया

इस मामले की जांच हुकुमशाही द्वारा सीवन ब्लॉक के खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी (बीडीपीओ) को सौंपी गई। जांच में पाया गया कि सरपंच परमजीत कौर ने जांच में सहयोग नहीं किया और न ही कोई बयान दर्ज कराया। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि सरपंच ने पंचायती भूमि का गलत तरीके से उपयोग किया और लाभ उठाने वाले पट्टेदारों को ओटीपी के माध्यम से अनुमति दी।

डीसी ने सरपंच को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें उनसे इस संदर्भ में स्पष्टीकरण मांगा गया। लेकिन संतोषजनक उत्तर ना मिलने पर निजी सुनवाई का भी अवसर दिया गया, जिसके बावजूद उनका उत्तर असंतोषजनक पाया गया।

विस्तृत जांच की आवश्यकता

डीसी कैथल ने सरपंच के निलंबन के बाद इस मामले की विस्तृत जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में अतिरिक्त उपायुक्त कैथल, उपनिदेशक कृषि एवं कल्याण विभाग और खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी शामिल हैं। कमेटी को एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कार्य सौंपा गया है।

आर्थिक प्रभाव

इस पूरे प्रकरण से ग्राम पंचायत को लाखों का नुकसान हुआ है। बिना लीज प्रक्रिया के इन 52 एकड़ भूमि का अवैध उपयोग करने के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने वाले पट्टेदारों ने अपनी फसल का पंजीकरण करवाया और उसे बाजार में बेचने का रास्ता साफ कर दिया। इससे न केवल पंचायत की वित्तीय स्थिति पर प्रभाव पड़ा बल्कि यह स्थानीय किसान समुदाय के लिए भी संकट का कारण बन सकता है।

पारदर्शिता का संकट

इस घटना ने पंचायत व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जब तक पंचायत के भीतर इस प्रकार की गतिविधियाँ होती रहेंगी, तब तक स्थानीय निवासियों का विश्वास कमजोर होता जाएगा। शासन की जिम्मेदारी होती है कि वह स्थानीय स्वरूप की रक्षा करे और किसानों के हित को प्राथमिकता दे।

सरपंच का निलंबन एक चेतावनी है कि इस प्रकार की अनियमितताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिससे भविष्यात में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचा जा सके।

निलंबन के पश्चात की स्थिति

निलंबन के बाद सरपंच परमजीत कौर को पंचायत की चल-अचल संपत्तियों का रिकॉर्ड बहुमत वाले पंच को सौंपने के आदेश दिए गए हैं। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि पंचायत की संपत्तियों के सही इस्तेमाल को लेकर कोई और विवाद ना हो।

सख्त कार्रवाई

इस मामले ने न केवल आंधली पंचायत को प्रभावित किया है, बल्कि यह सभी पंचायतों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण पेश कर सकता है कि प्रशासन किस प्रकार नियमों के उल्लंघन के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता है। ऐसी घटनाएं पंचायत राज व्यवस्था की विकास की दिशा को भी प्रभावित कर सकती हैं।

ग्राम पंचायतों को चाहिए कि वे अपनी गतिविधियों में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करें और किसी भी प्रकार की अनियमितताओं को तुरंत समाप्त करने के लिए कार्रवाई करें। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति और भी विकराल रूप धारण कर सकती है।

यह सुनिश्चित करना कि पंचायत प्रणाली लोककल्याण के लिए काम करे और उसे स्थानीय लोगों का समर्थन प्राप्य हो, अत्यधिक आवश्यक है। इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर पंचायतें अपने कर्तव्यों के प्रति सजग नहीं रहीं, तो इससे न केवल आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि समाज में विश्वास का संकट भी उत्पन्न होगा।

 

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