माता-पिता को वहन करना होगा स्कूल में एसी का खर्च, जानें- हाई कोर्ट ने किस मामले पर कही यह बात

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूजः दिल्ली हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि स्कूल में एयर-कंडिशनिंग (एसी) सुविधा का खर्च अभिभावकों को वहन करना होगा, क्योंकि यह छात्रों को दी जाने वाली सुविधा है। यह प्रयोगशाला शुल्क जैसे अन्य शुल्कों से अलग नहीं है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने एक निजी स्कूल द्वारा एयर-कंडिशनिंग के लिए माता-पिता से दो हजार रुपये प्रतिमाह की वसूली के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया। पीठ ने कहा कि इस तरह का वित्तीय बोझ अकेले स्कूल प्रबंधन पर नहीं डाला जा सकता है और माता-पिता को स्कूल का चयन करते समय सुविधाओं और उनकी लागत के प्रति सतर्क रहना चाहिए।
याचिकाकर्ता मनीष गोयल का तर्क था कि छात्रों को एसी की सुविधा प्रदान करने का दायित्व स्कूल प्रबंधन का है और इसलिए यह सुविधा प्रबंधन को अपने स्वयं के धन और संसाधनों से प्रदान करना चाहिए। याचिकाकर्ता की संतान महाराजा अग्रसेन पब्लिक स्कूल में नौवीं कक्षा में अध्ययनरत है। अदालत ने दर्ज किया कि फीस रसीद में एसी के लिए शुल्क की प्रविष्टि विधिवत दर्ज है। पीठ ने कहा कि प्रथमदृष्टया स्कूल द्वारा लगाए गए शुल्क में कोई अनियमितता नहीं है। शिक्षा निदेशालय ने भी इस शिकायत पर विचार किया है और उसकी एक्शन टेकेन रिपोर्ट का इंतजार है। यह टिप्पणी करते हुए अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
इस पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत अरोड़ा की बेंच ने कहा कि AC का चार्ज लेबोरेटरी और स्मार्ट क्लास के लिए दी जाने वाली फीस की तरह है। कोर्ट ने कहा कि स्कूल ने जो फीस रसीद जारी की है, उसमें एयर कंडीशन के लिए अलग से पैसों का जिक्र है। इसलिए स्कूल चुनते समय वहाँ की सुविधाओं और कीमत का ध्यान रखना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि यह माता-पिता की जिम्मेवारी है कि इन सब बातों का वह ध्यान रखें। कोर्ट ने कहा कि क्लास में एयर कंडीशन की सुविधा देने का आर्थिक बोझ अकेले स्कूल मैनेजमेंट पर नहीं डाला जा सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने माता-पिता द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी। वहीं, दिल्ली का शिक्षा निदेशालय ने कोर्ट में कहा कि इस तरह की मिल रही शिकायतों पर वह जाँच कर रहा है।
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