केजरीवाल को लगा झटका, हाई कोर्ट के आदेश तक जेल में रहेंगे, जानें क्या हुई ED और CM के वकीलों में बहस
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। Delhi Highcourt: आबकारी घोटाले में आरोपित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट से मिली जमानत पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी। ईडी की याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में सुनवाई तक जमानत पर अंतरिम रोक रहेगी। अवकाशकालीन पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन ने कहा कि कोर्ट दो-तीन दिनों के लिए आदेश सुरक्षित रख रहा है, क्योंकि उसे पूरे रिकार्ड देखने हैं और रिकार्ड पढ़ने के लिए समय चाहिए। कोर्ट के इस आदेश के बाद केजरीवाल फिलहाल जेल में ही रहेंगे।
ईडी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले की निंदा की
मामले की सुनवाई के दौरान ईडी ने आबकारी नीति मामले में केजरीवाल को जमानत देने के अदालत के फैसले की निंदा की। ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसवी राजू ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने उनका पक्ष ठीक से नहीं सुना, जबकि पीएमएलए की धारा 45 के तहत ऐसा करना अनिवार्य है। इसके तहत सरकारी अधिवक्ता को सुनवाई का उचित अवसर दिया जाना चाहिए। उन्होंने ये भी तर्क दिया गया कि पीएमएलए की धारा 45 के अनुसार, मनी लांड्रिंग मामलों में जमानत पर विचार करते समय निचली अदालत को प्रथम दृष्टया यह निष्कर्ष देना होता है कि संबंधित आरोपित दोषी नहीं है। उन्होंने कहा कि जमानत रद करने के लिए इससे बेहतर कोई मामला नहीं हो सकता।
मौलिक अधिकारों का सम्मान नहीं करती है ईडी
वहीं, मुख्यमंत्री केजरीवाल की ओर से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ईडी पर व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाया। सिंघवी ने तर्क दिया कि केजरीवाल किसी भी अदालती आदेश की अवहेलना नहीं कर रहे हैं। फिर भी ईडी ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश को दोषी ठहरा रही है। उन्होंने जमानत आदेश पर रोक लगाने में ईडी द्वारा दिखाई गई तत्परता पर भी सवाल उठाया। सिंघवी ने कहा कि आदेश पर स्थगन नहीं होना चाहिए, क्योंकि ये फिर से उनके मुवक्किल को जेल भेज देगा।
अनुमोदक के बयानों के अलावा कोई सुबूत नहीं
केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने पीएमएलए की धारा 45 का पालन न करने के बारे में ईडी की दलील का विरोध किया। चौधरी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ईडी यह स्पष्ट करने में विफल रही है कि 100 करोड़ में से 60 करोड़ रुपये की राशि का पता लगाने के लिए कितना समय चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ अनुमोदक के बयानों के अलावा कोई सुबूत नहीं है।
कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य पेश करने में रही विफल
उल्लेखनीय है कि राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा कि ईडी केजरीवाल को अपराध की आय से जोड़ने वाला कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य पेश करने में विफल रही है। ईडी यह भी दिखाने में विफल रही है कि एक अन्य आरोपित विजय नायर केजरीवाल के लिए काम कर रहा था। विशेष न्यायाधीश न्याय बिंदू ने कहा कि ईडी, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आबकारी नीति मामले में उनके खिलाफ दर्ज मनी लांड्रिंग मामले में पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रही है।
जांच जारी रहने के बहाने न्यायिक हिरासत में
अदालत ने कहा, ईडी कुछ मुद्दों पर चुप है, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि केजरीवाल का नाम सीबीआइ ने अपनी प्राथमिकी या ईडी द्वारा दर्ज प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआइआर) में नहीं लिया है। अदालत ने कहा कि आरोपी को आज तक अदालत द्वारा तलब नहीं किया गया है, फिर भी वह जांच अभी भी जारी रहने के बहाने ईडी के कहने पर आरोपित न्यायिक हिरासत में है। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों द्वारा विभिन्न दस्तावेज भारी मात्रा में दिए गए हैं, जिनमें से अधिकांश केजरीवाल के संबंध में प्रासंगिक भी नहीं थे। अदालत ने कहा कि इस समय दस्तावेज के इन हजारों पन्नों को पढ़ना संभव नहीं है, लेकिन यह अदालत का कर्तव्य है कि जो भी मामला विचार के लिए आए उस पर काम करे और कानून के अनुसार आदेश पारित करे।
केजरीवाल की दलीलें
- वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ईडी ने ट्रायल जज के समक्ष तीन घंटे 45 मिनट तक बहस की।
- ईडी ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश को बदनाम करने का प्रयास कर रही।
- ईडी की धारणा यह प्रतीत होती है कि जमानत की सुनवाई, केवल इसलिए कि इसमें एक सीएम शामिल है लगातार घंटों तक चलनी चाहिए।
- ईडी वैधानिक निकाय लेकिन उसकी निष्पक्षता खो गई है।
- गिरफ्तारी की वैधता का मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।
- सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की छूट दी है और इसलिए, गिरफ्तारी की वैधता पर न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा के आदेश को अंतिम नहीं माना जा सकता।
- ईडी के लिए अनुच्छेद 21 अस्तित्वहीन है। ईडी की नजर में एक व्यक्ति की स्वतंत्रता बहुत कम है, अगर वह मौजूद भी है। ईडी कानून को ही उल्टा कर रही है।
- सह-आरोपितों ने केजरीवाल के खिलाफ बयान देने के बाद जमानत हासिल की।
- बुच्ची बाबू हिरासत में केजरीवाल के खिलाफ बयान देते हैं और उन्हें तुरंत जमानत मिल जाती है।
जानें क्या हैं ईडी की दलीलें
- ईडी ने आरोप लगाया कि न्यायाधीश ने सुनवाई में जल्दबाजी की।
- केजरीवाल के सीएम पद पर होने के कारण जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता।
- आदेश में यह निष्कर्ष निकाला जाना चाहिए कि वह दोषी नहीं है। लेकिन आदेश में ये नहीं है।
- संवैधानिक पद पर होना जमानत का आधार है? इसका मतलब है कि हर मंत्री को जमानत दी जाएगी।
- अदालत का ये कहना कि रिकार्ड काफी बड़ा है मैं इसे नहीं देखूंगी, ये कैसा आदेश है?
- 100 करोड़ रुपये की डिमांड में केजरीवाल की भूमिका थी। फिर भी न्यायाधीश कहते हैं कि कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है।
- पीएमएलए की धारा 45 के आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है, तो जमानत नहीं दी जा सकती।
- केजरीवाल दो पदों पर मनी लांड्रिंग अपराध के दोषी हैं। एक व्यक्तिगत क्षमता है जहां उन्होंने व्यक्तिगत रूप से 100 करोड़ की मांग की और यह नीति का हिस्सा था। दूसरा, वह परोक्ष रूप से उत्तरदायी है क्योंकि आप मनी लांड्रिंग के अपराध की दोषी है।
- हम केवल बयानों पर ही भरोसा नहीं कर रहे हैं, हमारे पास दस्तावेजी सुबूत भी हैं।
- विनोद चौहान के केजरीवाल से करीबी रिश्ते हैं, निकटता दिखाने के लिए हमारे पास चैट हैं। हमारे पास यह दिखाने के लिए सुबूत हैं कि चौहान के माध्यम से पैसा सागर पटेल को गया। जब पैसा पहुंचाया जा रहा था तो उनके बीच टेलीफोन काल होती हैं। वह सब नहीं देखा।
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