Delhi Pollution: 50 सिगरेट पीने से भी अभी ज्यादा घातक है दिल्ली- एनसीआर की हवा, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ
नई दिल्ली, बीएनएमन्यूज। Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर की हवा में प्रदूषण की खतरनाक स्थिति लोगों के लिए गंभीर स्वास्थ्य संकट बन गई है। राजधानी की आबोहवा इस हद तक प्रदूषित हो चुकी है कि यह एक गैस चेंबर की तरह काम कर रही है। प्रदूषण से होने वाले असर इतने गंभीर हो गए हैं कि वे अस्थमा, हृदयाघात (हार्ट अटैक), और ब्रेन हेमरेज जैसे स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहे हैं। अस्पतालों में अस्थमा और सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान समय में दिल्ली की हवा इतनी अधिक जहरीली हो गई है कि यह रोजाना 40 से 50 सिगरेट पीने जितनी हानिकारक साबित हो रही है, और यह सिगरेट पीने से भी ज्यादा खतरनाक है।
गर्भवती महिलाओं पर इसका बुरा असर
सफदरजंग अस्पताल के प्रिवेंटिव कम्यूनिटी मेडिसिन के निदेशक प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर ने इस पर विस्तार से बताते हुए कहा कि प्रदूषित वातावरण में रहने वाले धूम्रपान करने वालों को दोगुने स्वास्थ्य जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। अगर यह गैस चेंबर जैसी स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो गर्भवती महिलाओं पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। इससे स्टिल बर्थ (मृत जन्म), समय से पहले प्रसव, और गर्भस्थ शिशु का वजन कम होने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
सांस की नली में सूजन बढ़ी
एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के एडिशनल प्रोफेसर, डॉ. करण मदान ने बताया कि वायु प्रदूषण के कारण सांस की नली में सूजन बढ़ने से अस्थमा और सांस के मरीजों की संख्या लगभग 20 प्रतिशत बढ़ गई है। पहले जिन लोगों को सांस की मामूली समस्या होती थी, अब उनकी स्थिति गंभीर हो रही है। कई पुराने मरीजों को अब उच्च डोज की दवाएं देनी पड़ रही हैं, और स्टेरॉयड देने की जरूरत बढ़ गई है।
जहरीले कण सांस के जरिए शरीर में खींच रहे
एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने बताया कि अगर वातावरण में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 400 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के आसपास होता है, तो यह लगभग 20 सिगरेट पीने के बराबर होता है। इसके बाद, हर 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वृद्धि के साथ यह प्रदूषण 10 सिगरेट और पीने के बराबर नुकसान पहुंचाता है। ऐसे इलाकों में, जहां पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 800 से 1000 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच है, लोग 40 से 50 सिगरेट पीने के बराबर जहरीले कण सांस के जरिए अपने शरीर में खींच रहे हैं।
डॉ. संजय राय ने यह भी कहा कि जब प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, तो हवा में मौजूद पीएम कणों के साथ-साथ कई अन्य जहरीली गैसों की मात्रा भी बढ़ जाती है। हवा में भारी धातुएं भी मौजूद होती हैं, जो इसे सिगरेट के धुएं से भी अधिक खतरनाक बना देती हैं। यह प्रदूषण न केवल उन लोगों को प्रभावित करता है जो पहले से ही सांस की बीमारियों से जूझ रहे हैं, बल्कि स्वस्थ लोगों को भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में धकेल रहा है।
प्राइमस अस्पताल के जेरियाट्रिक मेडिसिन विशेषज्ञ, डॉ. विजय गुर्जर के अनुसार, इमरजेंसी वार्ड में सांस की तकलीफ वाले मरीजों की संख्या में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों को नेबुलाइजेशन की जरूरत पड़ रही है, और कभी-कभी अस्पताल में भर्ती करने की भी आवश्यकता हो रही है। बच्चों की स्थिति भी चिंताजनक है। क्लाउड नाइन अस्पताल के नियोनेटोलॉजी विशेषज्ञ, डॉ. विनय राय ने बताया कि प्रदूषण बच्चों पर विशेष रूप से असर डाल रहा है। कई बच्चे सांस फूलने और अस्थमा के अटैक के साथ अस्पताल आ रहे हैं, और उनमें से कुछ को गंभीर स्थिति के कारण भर्ती करना पड़ रहा है।
प्रदूषण से बचाव के उपाय
प्रदूषण से बचने के लिए डॉक्टरों ने कई जरूरी सलाह दी हैं। बच्चों, बुजुर्गों, और गर्भवती महिलाओं को घर में ही रहने की सलाह दी जा रही है। साथ ही, घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखने को कहा जा रहा है ताकि बाहरी जहरीली हवा घर के अंदर प्रवेश न कर सके। बच्चे फिलहाल घर के बाहर खेलने न जाएं। अगर घर के अंदर एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल हो सकता है, तो इसका उपयोग करने से फायदा हो सकता है। घर से बाहर निकलने की मजबूरी होने पर एन95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, घर के अंदर ही योग और हल्के व्यायाम करने की सलाह दी गई है ताकि शरीर को फिट रखा जा सके और प्रदूषण का असर कम हो सके।
प्रदूषण का स्तर चिंताजनक
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) के एयर क्वालिटी डाटा के अनुसार, दिल्ली के कई क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। अलीपुर, मुंडका, पंजाबी बाग, द्वारका सेक्टर 8, नेहरू नगर, और आरके पुरम जैसे इलाकों में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर एक हजार माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से भी ऊपर चला गया है। मुंडका में दोपहर एक बजे पीएम 2.5 का स्तर 1,193 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जबकि द्वारका सेक्टर 8 में यह 1,110 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया।
सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित
यह आंकड़े यह साफ करते हैं कि प्रदूषण के इस स्तर पर सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। हर साल सर्दियों में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, लेकिन इस बार स्थिति और भी गंभीर हो गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ और पर्यावरणविद इसे दिल्लीवासियों के लिए एक आपातकालीन स्थिति मान रहे हैं, जिसमें सभी को सतर्क रहना जरूरी है।
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का असर केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की दिनचर्या, और आम लोगों की दैनिक गतिविधियों को भी बाधित कर रहा है। प्रदूषण के खतरनाक प्रभावों से बचने के लिए सभी को एकजुट होकर न केवल बचाव के उपाय अपनाने होंगे, बल्कि सरकार और पर्यावरण संगठनों के साथ मिलकर दीर्घकालिक समाधान के लिए भी प्रयास करने होंगे।