डेरामुखी राम रहीम की बढ़ी मुश्किलें,पंजाब सरकार ने दी बेअदबी मामलों में केस चलाने की मंजूरी

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पंजाब सरकार ने बेअदबी से जुड़े तीन मामलों में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है, और अब फरीदकोट की अदालत में उन पर ट्रायल चलेगा। भविष्य में जरूरत पड़ने पर उनसे पूछताछ भी की जा सकती है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में बेअदबी से जुड़े मामलों पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए स्टे को हटाए जाने के बाद आया है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए डेरा प्रमुख को नोटिस जारी किया था और उनसे चार हफ्तों में जवाब मांगा है।

मामला कैसे शुरू हुआ?

 

यह पूरा विवाद जून 2015 में फरीदकोट जिले के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति की चोरी से शुरू हुआ था। इसके बाद सितंबर में, फरीदकोट के जवाहर सिंह वाला और बरगाड़ी गांवों में गुरु ग्रंथ साहिब के खिलाफ अपमानजनक पोस्टर लगाए गए। इसके बाद अक्टूबर में, बरगाड़ी में एक गुरुद्वारे के पास पवित्र ग्रंथ के फटे हुए पृष्ठ पाए गए। इन घटनाओं ने पंजाब में भारी आक्रोश और विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया। विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई, जिससे राज्य में तनाव और बढ़ गया।

इन घटनाओं से पंजाब में सामाजिक और राजनीतिक अशांति फैली। बेअदबी के इन मामलों में 12 लोगों को नामजद किया गया था, और शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी की पिछली सरकार ने नवंबर 2015 में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

विधानसभा में भी गूंजा मामला

 

बेअदबी का मुद्दा पंजाब विधानसभा में भी उठा था। कांग्रेस के विधायकों ने सवाल उठाया था कि डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम के खिलाफ कार्रवाई की फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय में सवा दो साल से लंबित पड़ी है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि सीएम के पास ही गृह विभाग है, लेकिन इसके बावजूद मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। आम आदमी पार्टी के विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह ने भी यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि मामले में देरी से न्याय नहीं मिल रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसके जवाब में कहा था कि उनके पास नए तथ्य सामने आए हैं और सरकार इस पर उचित कार्रवाई करेगी।

सुप्रीम कोर्ट की हस्तक्षेप

 

पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट द्वारा स्टे लगाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए स्टे को हटा दिया और डेरा प्रमुख को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने उनसे चार हफ्तों में जवाब मांगा है। इसके बाद पंजाब सरकार ने डेरा प्रमुख पर केस चलाने की मंजूरी दी है, और अब फरीदकोट अदालत में उनके खिलाफ ट्रायल शुरू होगा।

डेरा प्रमुख की याचिका

डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम ने 6 सितंबर 2018 को पंजाब सरकार द्वारा सीबीआई से जांच वापस लेने की अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने मांग की थी कि सीबीआई को इस मामले की जांच जारी रखने का निर्देश दिया जाए। डेरा प्रमुख का कहना था कि राज्य सरकार द्वारा दी गई सहमति वापस लेने का फैसला गलत था, और इसकी जांच सीबीआई के पास ही रहनी चाहिए।

मार्च 2023 में, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले को एक बड़ी बेंच को सौंप दिया था, ताकि यह तय किया जा सके कि क्या सीबीआई जांच के लिए दी गई सहमति को बाद में राज्य सरकार द्वारा वापस लिया जा सकता है या नहीं। कोर्ट ने इस पर आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी, जिसके खिलाफ पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

मौजूदा स्थिति

अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब सरकार को डेरा प्रमुख पर कार्रवाई करने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार ने बेअदबी से जुड़े तीन मामलों में गुरमीत सिंह राम रहीम के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दे दी है। अब फरीदकोट की अदालत में उनके खिलाफ मुकदमा चलेगा और जरूरत पड़ने पर उनसे पूछताछ भी की जा सकती है। यह मामला पंजाब में सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील है, और इसका राजनीतिक प्रभाव भी काफी गहरा है।

नौ साल पुराना विवाद

गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला लगभग नौ साल पुराना है, लेकिन इसके सामाजिक और राजनीतिक असर अब तक महसूस किए जा रहे हैं। इस मामले को लेकर पंजाब में विरोध प्रदर्शनों का लंबा सिलसिला चला और यह मुद्दा राजनीतिक दलों के लिए भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया। शिरोमणि अकाली दल और भाजपा की गठबंधन सरकार के कार्यकाल में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी, लेकिन बाद में कांग्रेस सरकार ने इसे वापस ले लिया। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप किया है, तो डेरा प्रमुख की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

डेरा प्रमुख की अन्य कानूनी चुनौतियां

गुरमीत सिंह राम रहीम पहले से ही कई अन्य मामलों में सजा काट रहे हैं। उन्हें पत्रकार राम चंदर छत्रपति हत्या मामले में और दो साध्वियों के बलात्कार मामले में दोषी ठहराया गया है। ये सजाएं पहले ही डेरा प्रमुख के कानूनी और सामाजिक छवि को नुकसान पहुंचा चुकी हैं। अब बेअदबी के मामलों में उन पर ट्रायल शुरू होने से उनकी मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं।

पंजाब में इस मामले को लेकर राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर काफी हलचल मची हुई है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत में यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है और इसका राज्य की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।

 

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