Tulsi Vivah Puja Vidhi: देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह, भगवान शालिग्राम तुलसी विवाह मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूजः Tulsi Vivah 2024 Puja Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadasi), जिसे देवउठनी, देवोत्थान और देवप्रबोधिनी (Devuthani Ekadasi) के नाम से जाना जाता है तुलसी विवाह (Tulsi Vivah)का आयोजन किया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार सृष्टि के पालनहार श्रीहरि भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी पर चार महीने की अपनी योगनिद्रा से जागते हैं।

भगवान विष्णु के जागने पर इस दिन तुलसी विवाह किया जाता है। भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप संग तुलसी विवाह विधि-विधान (Shaligram Tulsi Vivah)के साथ किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह करना बहुत ही शुभ और मंगलकारी माना जाता है।

देवउठनी एकादशी पर सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप के साथ तुलसी जी का विवाह कराने पर सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

तुलसी विवाह पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है लेकिन देश के कुछ हिस्सों में तुलसी-शालिग्राम का विवाह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भी करते हैं।

देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को जो चार महीने की योगनिद्रा में होते हैं उन्हे शंखनाद और मंगलगीत गाकर जगाया जाता है। आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र समेत सभी तरह की जानकारी।

तुलसी विवाह 2024 तिथि (Tulsi Vivah 2024 Date)

पंचांग के अनुसार  कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर की शुरुआत 11 नवंबर की शाम 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी। वही तिथि का समापन 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर होगा। उदयव्यापनी एकादशी 12 नवंबर को होने से देवउठनी एकादशी इसी दिन मनाई जाती है। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा।

तुलसी विवाह मुहूर्त 2024 (Tulsi Vivah 2024 Muhurt)

12 नवंबर 2024 को तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 5 बजकर 29 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।

तुलसी विवाह का महत्व ( Importance of Tulsi Vivah)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी पर भगवान शालिग्राम संग तुलसी विवाह का बहुत ही विशेष महत्व होता है। चार महीने की योगनिद्रा के बाद जब प्रभु जागते हैं तो उस दिन सभी देवी-देवता मिलकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। भगवान विष्णु के जागने पर चार महीने से रुके हुए सभी तरह के मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। इस दिन भगवान शालिग्राम संग तुलसी विवाह किया जाता है। ऐसा करने पर वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाएं खत्म होती है और जिन लोगों के विवाह में रुकावटें आती हैं वह भी दूरी हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी-शालिग्राम का विवाह करने पर कन्यादान के बराबर का पुण्य लाभ मिलता है। अगर किसी के विवाह में तरह-तरह की अड़चनें आती हैं या फिर विवाह बार-बार टूटता है तो इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन शुभ माना गया है।

शालिग्राम-तुलसी विवाह पूजा विधि ( Shaligram-Tulsi Marriage Puja Method)

कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु के रूप शालिग्राम और विष्णुप्रिया तुलसी का विवाह संपन्न किया जाता है। इस दिन महिलाएं रीति-रिवाज़ से तुलसी वृक्ष से शालिग्राम के फेरे एक सुन्दर मंडप के नीचे किए जाते हैं। विवाह में कई गीत,भजन व तुलसी नामाष्टक सहित विष्णुसहस्त्रनाम  के पाठ किए जाने का विधान है । धार्मिक मान्यता है कि निद्रा से जागने के बाद भगवान विष्णु सबसे पहले तुलसी की पुकार सुनते हैं इस कारण लोग इस दिन तुलसी का भी पूजन करते हैं और मनोकामना मांगते हैं। इसीलिए तुलसी विवाह को देव जागरण के पवित्र मुहूर्त के स्वागत का आयोजन माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी-शालिग्राम विवाह कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है,दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है ।

तुलसी मंत्र (Tulsi Mantra)

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः । नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये ।।
ॐ सुभद्राय नम:, मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी,नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।।
महाप्रसादजननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे।
विष्णु प्रियायै धीमहि।
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।

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