Debate on Mahatma Gandhi: महर्षि बाल्मीकि और तुलसी के राम से प्रभावित थे महात्मा गांधी: प्रो. रंजन कुमार त्रिपाठी
नई दिल्ली, BNM News: DU News: ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के गांधी अध्ययन मंडल और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद तथा गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के संयुक्त तत्वावधान में ’21वीं सदी में भारत और विश्व के लिए संघर्ष समाधान के गांधीवादी दृष्टिकोण की प्रासंगिकता’ विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलगीत तथा गांधी जी के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन’ से हुई।
स्वामी विवेकानंद और गांधी हैं भारतीयता एवं त्याग की प्रतिमूर्ति
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के जॉइन्ट डीन ऑफ कॉलेज प्रो. रंजन कुमार त्रिपाठी ने कहा कि गांधी जी महर्षि बाल्मीकि और तुलसी के राम से प्रभावित हैं। वह सतत विकासमान भारतीय विचारधारा की एक कड़ी हैं। स्वामी विवेकानंद और गांधी दोनों ही भारतीयता एवं त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। अपने स्वागत वक्तव्य में गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के निदेशक डॉ. ज्वाला प्रसाद ने गांधी जी के विचारों के प्रभाव और व्यवहार की बात की। अहिंसा मानव का मूल स्वभाव है। इसकी रक्षा ही सही अर्थों में गांधी जी से हमें जोड़ती है।
गांधी जी के जीवन में सत्याग्रह के महत्व पर चर्चा
बीज वक्तव्य देते हुए प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक प्रो. डेनिस डाल्टन ने गांधी जी के जीवन में सत्याग्रह के महत्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए वर्तमान समय में उसकी उपयोगिता की चर्चा की। सत्याग्रही जीवन ही नागरिक अधिकारों को बनाए रखने और नागरिक कर्तव्यों का पालन करने का सही मार्ग है। गांधी अध्ययन मंडल के संयोजक प्रो. संजीव कुमार ने विस्तार में कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए वर्तमान समय में गांधी के विचारों की प्रासंगिकता को रेखांकित किया। प्राचार्य प्रो. नरेंद्र सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए गांधी जी के विचारों को व्यवहार में लाने की बात कही। उन्होंने मानव जीवन की उपमा कुएं से देते हुए कहा कि बाल्टी में वही निकलेगा, जो कुएं में होगा। गांधी जी के विचार हमें स्वयं को स्वच्छ-मीठे जल के कुएं जैसा बनने की प्रेरणा देते हैं।
गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता पर चर्चा
दिनभर चलने वाले इस सम्मेलन में कई सत्र आयोजित किए गए। इनमें देशभर के विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों से कई प्रतिभागियों ने हिस्सा लेते हुए वर्तमान समय की चुनौतियों में गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता पर चर्चा की। समापन सत्र की अध्यक्षता प्रो. विजयलक्ष्मी नंदा ने की। मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेजेज प्रो. बलराम पाणी थे। अपने समापन वक्तव्य में प्रो. रामिन जहांबेगलू ने दुनिया के संदर्भ में गांधी जी के विचारों की समीक्षा की। इस सत्र में कॉलेज के प्राचार्य प्रो. नरेन्द्र सिंह मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. संजीव कुमार ने दिया। कार्यक्रम में दिल्ली के कई महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने भागीदारी की।
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