DU News: पंडित दीनदयाल उपाध्याय का दर्शन समावेशी समाज के निर्माण पर देता है जोर: महेश चंद्र शर्मा

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज: DU News: पंडित दीनदयाल उपाध्याय का दर्शन समावेशी समाज के निर्माण पर जोर देता है। उनका दर्शन ब्रह्मास्मि की भावना से अनुप्राणित है, जिसमें व्यक्ति, परिवार, प्रकृति और ईश्वरीय सत्ता शामिल है। जिसमें मिलकर सब एक हो जाते हैं। यह बात पूर्व राज्यसभा सदस्य महेश चंद्र शर्मा ने कही। वे नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के प. दीनदयाल उपाध्याय स्टडी सर्कल और दीनदयाल उपाध्याय कालेज के नेतृत्व में डीयू के कान्फ्रेंस सेंटर में समकालीन भारत में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन की प्रासंगिकता विषय पर हुई एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

पंडित दीनदयाल ने भारत को दर्शन और राजनीति में नए विचार दिए

 

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी ने कहा, दीनदयाल उपाध्याय यस मैन नहीं थे। उन्होंने दर्शन और राजनीति में नए विचार दिए और कभी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया। उनका जीवन त्याग और तपस्या से ओतप्रोत था। प्राचीन भारतीय दर्शन, संस्कृति और विचार से प्रेरणा लेकर उन्होंने अपने समकालीन समय में उनकी व्याख्या की और एकात्म मानववाद का दर्शन दिया जो आज भी प्रासंगिक है।

 

अंतिम व्यक्ति को केंद्र में लेकर चलता है दीनदयाल का दर्शन

 

विशिष्ट अतिथि डीयू के दक्षिण परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह ने कहा, दीनदयाल उपाध्याय का दर्शन सबसे अंतिम व्यक्ति को केंद्र में लेकर चलता है। वर्तमान समय में उनकी विचारधारा बहुत ही प्रासंगिक है, क्योंकि वह भारतीय दर्शन सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे भवन्तु निरामया के विचार से अनुप्राणित है जो विश्व में सभी के कल्याण की भावना रखती है और व्यक्ति, परिवार व समाज को आत्मनिर्भर बनाने को प्रेरित करती है। दीनदयाल उपाध्याय कालेज के प्राचार्य प्रो. हेमचंद जैन ने कहा, दीनदयाल उपाध्याय बहुत स्वाध्याय और भ्रमण करते थे इसीलिए उनका दर्शन जमीन से जुड़ा हुआ और पूरी तरह भारतीय है। उन्होंने अपना सारा जीवन समाज और राष्ट्र को समर्पित कर दिया था।

30 से अधिक शोधपत्र किए गए प्रस्तुत

दीनदयाल उपाध्याय स्टडी सर्कल संयोजिका प्रो. मोनिका बंसल ने बताया कि डीयू समेत देशभर के 600 से अधिक शिक्षकों ने संगोष्ठी में हिस्सा लिया। पं. दीनदयाल उपाध्याय के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर लगभग 30 के करीब शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी को तीन सत्रों में विभाजित किया गया। प्रथम सत्र का संचालन डीयू के विधि विभाग के प्रो. एल पुष्प कुमार और द्वितीय सत्र राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. संजीव एचएम ने किया।

 

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