EVM और VVPat को लेकर उठाए जा रहे सवाल, दूर करने के लिए चुनाव आयोग ने उठाया ये कदम
नई दिल्ली, BNM News: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले विपक्षी दलों की ओर से EVM (इलेक्ट्रानिक्स वोटिंग मशीन ) और VVPat ( वोटर वेरीफाइड पेपर आडिट ट्रेल ) की विश्वसनीयता को लेकर उठाए जा रहे सवालों के बीच चुनाव आयोग ने देश भर में इसे लेकर एक बड़ा जागरूकता अभियान शुरू किया है। जिसमें जनता के बीच जाकर इन मशीनों को प्रदर्शित किया जा रहा है। उन्हें ट्रेनिंग में काम आने वाली ईवीएम मशीनों पर वोटिंग करके यह जांचने का विकल्प भी दिया जा रहा है कि उन्होंने जिसको अपना वोट दिया है, वह ठीक जगह गया है। वीवीपैट पर उभरने वाली पर्ची से वह इसकी प्रामाणिकता को जांच सकेंगे।
देश भर में अभियान चलाया जा रहा
अब तक देश के करीब 15 राज्यों में शुरू हो चुके इस अभियान को चुनाव आयोग एक नियमित प्रक्रिया बता रहा है, इसके तहत सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को चुनाव घोषणा की तारीख (जो पिछले चुनाव के दौरान रही हो) से तीन महीने पहले शुरू करने के निर्देश है। आयोग का मानना है कि इसी प्रक्रिया के तहत ही देश भर में अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान आयोग ने यह अभियान तीन तरीकों से शुरू किया है। जिसमें पहला जगह-जगह ईवीएम प्रदर्शन केंद्र खोलकर किया जा रहा है। दूसरा मोबाइल वैन के जरिए किया जा रहा है। जिसमें ईवीएम को रखकर उसे जगह-जगह प्रदर्शित किया जा रहा है। तीसरा डिजिटल माध्यम से सभी लोगों को ईवीएम और वीवीपैट के बारे में बताया जा रहा है। इस अभियान के दौरान आयोग का जिस बात को लेकर सबसे ज्यादा फोकस है, वह जनता को यह बताने को लेकर है कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित है। इसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ संभव नहीं है।
इन राज्यों में शुरू हो चुका है अभियान
दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु । इस राज्यों में प्रत्येक जिले में ईवीएम-वीवीपैट को लेकर इस तरह से अभियान शुरू करने के लिए कहा गया है। हालांकि इस दौरान आयोग ने सभी राज्यों को इस बात को लेकर सतर्क किया है कि प्रदर्शन में सिर्फ उन्हीं ईवीएम और वीवीपैट को इस्तेमाल किया जाए, जो ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल में ली जाती है। इस दौरान इन मशीनों पर यह लिखने की भी सख्त हिदायत दी गई है कि यह ट्रेनिंग उद्देश्यों के लिए है। आयोग का मानना है कि ऐसा न करने पर बाद में कोई भी वीडियो बनाकर चुनाव में इसको गलत तरीके से प्रदर्शित कर सकता है।