हर दिन अदालत पहुंच रही करीब 80 प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा याचिका, हाई कोर्ट ने जताई चिंता
पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट की फाइल फोटो।
नरेंद्र सहारण, चंडीगढ़। हाई कोर्ट ने मंगलवार को घर से भाग कर आए प्रेमी जोड़ों द्वारा सुरक्षा याचिकाओं की बढ़ती संख्या को व्यवस्थित करने के लिए पंजाब, हरियाणा के महाधिवक्ता और यूटी चंडीगढ़ से इस मामले में कोर्ट की सहायता करने को कहा है। जस्टिस संदीप मौदगिल ने कहा कि पंजाब, हरियाणा के महाधिवक्ता और यूटी चंडीगढ़ से अनुरोध है कि वे विशेष रूप से समाज को प्रभावित करने वाले मुद्दे पर, समाज के सार्वजनिक हित में, क्या ऐसे मामले की बाढ़ को व्यवस्थित करने के लिए कोई मानक संचालन तैयार किया जा सकता है।
तंत्र विकसित करना जरूरी
कोर्ट ने कहा कि प्रतिदिन 80 से अधिक केस अदालत में पहुंच रहे हैं और ऐसे में इसे व्यवस्थित करने के लिए तंत्र विकसित करना जरूरी है। हाईकोर्ट के समक्ष पंचकूला के एक समलैंगिक प्रेमी जोड़े का केस पहुंचा था, जिसमें से एक लड़की ने बताया था कि उसकी प्रेमिका को उसके स्वजन ने बंधक बनाया हुआ है। वे उसका विवाह कहीं और करना चाहते हैं और यदि ऐसा हुआ तो वह अपनी जान दे देगी।
याचिकाओं की हाईकोर्ट में बाढ़ सी लग गई
मंगलवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि यह बहुत गंभीर विषय है कि प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा से जुड़ी याचिकाओं की हाईकोर्ट में बाढ़ सी लग गई है। अक्सर देखने में आता है कि प्रेमी जोड़े घर से भागते हैं और विवाह के अगले ही दिन सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर देते है। इस स्थिति से निपटने केलिए तंत्र विकसित करना जरूरी हो गया है। खास तौर पर इस मामले में जो समाज को सीधे तौर पर प्रभावित करता है, हरियाणा व पंजाब के एडवाकेट जनरल व यूटी के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल अदालत की इस मामले में सहायता करें।
पीठ ने दो आधार कार्ड की जांच करवाई
इससे पहले, अदालत ने सवाल किया था कि क्या माता-पिता पर अपनी ही बेटी की अवैध हिरासत में रखने का आरोप लगा सकता है क्योंकि कथित प्रेमिका उसके स्कूल रिकार्ड के अनुसार नाबालिग थी और अदालत ने उसके माता-पिता के आश्वासन के साथ उसकी कस्टडी उनको दी थी। पीठ ने कथित प्रेमिका के नाम पर दो आधार कार्ड की भी जांच करवाई थी। एक आधार कार्ड याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसमें कथित प्रेमिका को बालिग दर्शाया गया था और दूसरा आधार कार्ड कथित प्रेमिका के माता-पिता द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसमें उसे नाबालिग दिखाया गया था।
गलत जन्मतिथि पेश करके इस कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास
कोर्ट ने कहा था कि, ‘प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता की ओर से गलत जन्मतिथि पेश करके इस कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया गया है।
कोर्ट के निर्देश के अनुपालन में यूआईडीएआई ने सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज जमा किये जिसके आधार पर याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आधार कार्ड को बनवाया किया गया था। दस्तावेज़ का अध्ययन करते हुए जस्टिस मौदगिल ने कहा दस्तावेज़ में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे सील करने की आवश्यकता है, इसलिए इसे याचिकाकर्ता के साथ-साथ एमिकस क्यूरी के साथ भी साझा किया जा सकता है।
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