Kisan Andolan 2024: आज से फिर किसानों का कूच, दिल्ली बॉर्डर पर अलर्ट, चप्पे-चप्पे पर पुलिस का घेरा
नई दिल्ली, BNM News: पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों के साथ केंद्र सरकार की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद आज पंजाब-हरियाणा की शंभू बॉर्डर पर डटे किसान वहां से दिल्ली पहुंचने के लिए आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे। किसानों की तैयारी को देखते हुए दिल्ली पुलिस आज से फिर दिल्ली की बॉर्डर्स और वहां से नई दिल्ली और सेंट्रल दिल्ली की तरफ जाने के रास्तों पर सख्ती बढ़ाने के मूड में है। इसके चलते आज फिर लोगों को आवाजाही में दिक्कत हो सकती है। संवेदनशील मेट्रो स्टेशनों पर भी सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी निगरानी रहेगी।
21 फरवरी को दिल्ली कूच के लिए किसानों ने शंभू सीमा पर तैयारी कर ली हैं। मंगलवार को पंजाब की ओर से युवा किसान जेसीबी और पोकलेन मशीन लेकर पहुंच गए हैं। ट्रैक्टर मार्च के बीच में इन मशीनों को लाया गया, जिससे कोई रास्ते में रोक न सके। वहीं हरियाणा के डीजीपी द्वारा पंजाब के डीजीपी को पत्र लिखने के बाद पंजाब के डीजीपी ने खनौरी और शंभू में पंजाब-हरियाणा सीमा की ओर जेसीबी, पोकलेन, टिपर, हाइड्रा और अन्य भारी मिट्टी हटाने वाले उपकरणों की आवाजाही को रोकने का आदेश दिया है।
केंद्र का अनुमान- पजाब-हरियाणा बॉर्डर पर 14000 की भीड़
केंद्र ने अनुमान लगाया है कि पंजाब-हरियाणा सीमा पर 1,200 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों, 300 कारों, 10 मिनी बसों के अलावा छोटे वाहनों के साथ लगभग 14,000 लोग एकत्र हुए हैं और इसके लिए पंजाब सरकार को अपनी कड़ी आपत्ति से अवगत कराया गया है। पंजाब सरकार को भेजे एक पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि पिछले कुछ दिनों से राज्य में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति चिंता का विषय है और उसने कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।
बेनतीजा रही चौथे दौर की भी बातचीत
रविवार आधी रात तक चली किसानों संगठनों और सरकार के बीच आखिरी दौर की बातचीत भी विफल रही। इस बैठक में मंत्रियों के एक पैनल ने किसानों से पांच फसलें- मूंग दाल, उड़द दाल, अरहर दाल, मक्का और कपास पर पांच साल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि ये प्रस्ताव किसानों के हित में नहीं है।
हमारा इरादा किसी तरह की अराजकता पैदा करने का नहीं: डल्लेवाल
शंभू बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि हमारा इरादा किसी तरह की अराजकता पैदा करने का नहीं है। हमने 7 नवंबर से दिल्ली जाने का कार्यक्रम बनाया है। अगर सरकार कहती है कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिला तो इसका मतलब है कि सरकार हमें नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है, ये ठीक नहीं है कि हमें रोकने के लिए इतने बड़े-बड़े बैरिकेड लगाए गए हैं। हम शांति से दिल्ली जाना चाहते हैं, सरकार बैरिकेड हटाकर हमें अंदर आने दे, नहीं तो हमारी मांगें मान लें। हम शांत हैं। अगर वे एक हाथ बढ़ाएंगे तो हम भी सहयोग करेंगे। हमें धैर्य के साथ स्थिति को संभालना होगा। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि वे नियंत्रण न खोएं। वहीं, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हमने सरकार से कहा है कि आप हमें मार सकते हैं लेकिन कृपया किसानों पर अत्याचार न करें। हम प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हैं कि वह आगे आएं और किसानों के लिए MSP गारंटी पर कानून की घोषणा करके इस विरोध को समाप्त करें। ऐसी सरकार को देश माफ नहीं करेगा। हरियाणा के गांवों में अर्धसैनिक बल तैनात हैं। हमने कौन सा अपराध किया है? हमने आपको प्रधानमंत्री बनाया है। हमने कभी नहीं सोचा था कि ताकतें हम पर इस तरह जुल्म करेंगी। कृपया संविधान की रक्षा करें और हमें शांतिपूर्वक दिल्ली की ओर जाने दें, ये हमारा अधिकार है।
कृषि मंत्री ने किसानों से अपील की
केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसानों के दिल्ली मार्च पर प्रतिक्रिया दी और कहा, हमें पता चला है कि किसान नेताओं ने एमएसपी पर सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। हम किसानों के लिए अच्छा काम करना चाहते हैं और ऐसा करने के लिए कई राय दी जा सकती हैं, क्योंकि हमने हमेशा अच्छी रायों का स्वागत किया है। लेकिन वह राय कैसे किसानों के लिए हितकारी होगी। इसका रास्ता ढूंढने के लिए सिर्फ बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। बातचीत से ही किसानों के मांगों समाधान जरूर निकलेगा।
क्या हैं किसानों की मांगें?
किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी पर कानूनी गारंटी की है। किसानों का कहना है कि सरकार एमएसपी पर कानून लेकर आए। किसान एमएसपी पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं। किसान संगठनों का दावा है कि सरकार ने उनसे एमएसपी की गारंटी पर कानून लाने का वादा किया था, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका। स्वामीनाथन आयोग ने किसानों को उनकी फसल की लागत का डेढ़ गुना कीमत देने की सिफारिश की थी। आयोग की रिपोर्ट को आए 18 साल का वक्त गुजर गया है, लेकिन एमएसपी पर सिफारिशों को अब तक लागू नहीं किया गया है। इसके अलावा किसान पेंशन, कर्जमाफी, बिजली टैरिफ में बढ़ोतरी न करें, साथ ही किसान संगठन लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ित किसानों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग भी कर रहे हैं।
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