हरियाणा में किसानों ने BJP उम्मीदवार का पीछा किया, कच्चे रास्ते से निकलीं सुनीता दुग्गल को स्कूल में घेरा

गांव लांबा में भाजपा प्रत्याशी सुनीता दुग्गल से सवाल करते किसान

नरेन्द्र सहारण, सिरसा । हरियाणा में रतिया विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की उम्मीदवार सुनीता दुग्गल को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। जब वे प्रचार के लिए पहुंचीं, तो किसानों ने उनका पीछा करते हुए उन्हें कच्चे रास्ते से भागने पर मजबूर कर दिया। अंततः, उनका काफिला गांव के सरकारी स्कूल के पास घेर लिया, जहां किसान उनसे भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए विवादास्पद बयानों पर सवाल-जवाब करने लगे।

वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल

 

सुनीता दुग्गल, जो 2019 में सिरसा से सांसद रह चुकी हैं, को 2024 में उनकी टिकट काटकर अब रतिया से विधानसभा की टिकट दी गई है। इस घटनाक्रम का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

रतिया के लांबा गांव के स्कूल में सुनीता दुग्गल के सामने नाराजगी जाहिर करता किसान नेता।

दुग्गल के काफिले को कच्चे रास्ते से भेजा

 

जब दुग्गल रतिया के लांबा गांव में प्रचार करने पहुंचीं, तो भारतीय किसान यूनियन की ‘खेती बचाओ’ टीम, प्रधान सतनाम लांबा के नेतृत्व में, गांव के बाहर उनकी प्रतीक्षा कर रही थी। किसानों ने 2-3 घंटे तक इंतजार किया, लेकिन जब उन्हें पता चला कि प्रशासन ने दुग्गल के काफिले को कच्चे रास्ते से भेजा है, तो उन्होंने उनका पीछा करना शुरू किया और काफिला स्कूल ढाणी के पास रोक लिया।

किसानों ने दुग्गल से सवाल किया कि वे चोर गली से क्यों गईं। इस पर दुग्गल ने कहा, “मैं पुण्य आत्मा हूं और कच्चे रास्ते के बारे में कहा, मुझे नहीं पता था कि रूट क्या है।

किसानों ने जब उनसे सवाल पूछने की अनुमति मांगी, तो दुग्गल ने कहा कि वे शांति से सवाल पूछेंगी और जवाब देंगी। एक किसान नेता ने पूछा, “13 फरवरी को हरियाणा की BJP सरकार ने किसानों का दिल्ली जाने का रास्ता रोका, वो गलत था या सही?” दुग्गल ने जवाब दिया, “गलत था।”

किसान ने आगे पूछा, “बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे किसान नकली हैं?” इस पर दुग्गल ने कहा, “वे असली किसान हैं, मैं मानती हूं।” जब किसान नेता ने शुभकरण सिंह को गोली मारे जाने पर सवाल उठाया, तो दुग्गल ने कहा, “उसकी जांच होगी।”

किसानों ने यह भी पूछा कि जब वे सांसद थीं, तो उनके गांव क्यों नहीं आईं। दुग्गल ने कहा कि “2 साल कोरोना और एक साल किसान आंदोलन में बीते। बाकी समय में मुझे पार्टी कार्यक्रमों में जाना पड़ा।”

सवाल-जवाब के बाद किसानों ने उन्हें जाने दिया, लेकिन इस बातचीत ने उनकी चुनावी चुनौती को और भी कठिन बना दिया है।

 

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