हरियाणा के किसान डीएपी खाद की कमी से परेशान, गेहूं की बुवाई पर संकट, आधार कार्ड दिखाने पर मिल रहे 6-6 बैग

नरेन्द्र सहारण, जींद/कैथल : Haryana News: हरियाणा में गेहूं की बुवाई का मौसम अपने चरम पर है, लेकिन किसानों को एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) खाद की भारी कमी। यह संकट किसानों के लिए बेहद चिंताजनक है क्योंकि गेहूं की बुवाई का समय बीतता जा रहा है और इस महत्वपूर्ण खाद की अनुपलब्धता फसलों की पैदावार पर सीधा असर डाल सकती है।

सुबह से लगी लंबी कतारें, फिर भी निराशा हाथ लगी

रविवार का दिन कई किसानों के लिए बेहद कठिन रहा। सुबह होते ही जब उन्हें खबर मिली कि सोसायटी की सरकारी दुकान पर डीएपी खाद का वितरण होने वाला है, तो किसान बिना देरी किए अपने-अपने घरों से निकल पड़े। जींद जिले में सुबह 6 बजे से ही किसान दुकान के बाहर लंबी कतारों में खड़े हो गए थे इस उम्मीद में कि उन्हें उनके खेतों के लिए आवश्यक खाद मिल जाएगी। लेकिन, जब वितरण शुरू हुआ, तो स्थिति किसानों की उम्मीदों के बिलकुल विपरीत थी। सोसायटी के पास केवल 900 बैग डीएपी थे, जबकि मांग इससे कहीं ज्यादा थी।

आधार कार्ड दिखाने पर सिर्फ 6 बैग

सोसायटी के सेल्समैन सत्यवीर ने बताया कि सीमित मात्रा में डीएपी उपलब्ध होने के कारण, हर किसान को केवल 6 बैग ही दिए जा रहे हैं, वह भी आधार कार्ड दिखाने के बाद। यह प्रतिबंध इसलिए लगाया गया ताकि अधिक से अधिक किसानों तक खाद पहुंच सके, लेकिन 6 बैग अधिकांश किसानों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं हैं। किसानों का कहना है कि गेहूं की बुवाई के लिए उन्हें कम से कम 15 से 20 बैग की जरूरत होती है, लेकिन उन्हें सिर्फ 6 बैग मिलने से उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

त्योहार की परवाह नहीं, किसानों को बस खाद चाहिए
हरियाणा के किसानों के लिए इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता डीएपी खाद है, क्योंकि गेहूं की बुवाई का सही समय नजदीक है। ऐसे में कई महिलाएं करवा चौथ के त्योहार के दिन भी लाइन में लगी रहीं। आमतौर पर करवा चौथ का त्योहार महिलाएं बड़े उत्साह के साथ मनाती हैं, लेकिन इस बार खेतों की जरूरत उनके त्योहार से भी ऊपर थी। बुवाई का समय निकलता जा रहा है, और बिना खाद के उनकी फसल खतरे में पड़ सकती है। इस वजह से महिलाओं ने त्योहार के दिन भी अपने घरों के काम-काज छोड़कर लंबी कतारों में खड़ा रहना उचित समझा।

हर साल दोहराई जाती है यही समस्या
जींद जिले के किसानों में भारी नाराजगी देखने को मिली। उनका कहना है कि यह समस्या हर साल बुवाई के समय पैदा होती है। किसानों का आरोप है कि प्रशासन और सरकारी एजेंसियां इस समस्या को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती हैं, जिससे हर साल किसानों को डीएपी और अन्य खाद की कमी का सामना करना पड़ता है। एक किसान ने कहा, “हर बार जब भी बुवाई का समय आता है, हमें डीएपी के लिए इसी तरह संघर्ष करना पड़ता है। साल दर साल वही स्थिति दोहराई जाती है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकलता।”

किसानों ने मांग की है कि उन्हें उनकी आवश्यकता के अनुसार डीएपी खाद उपलब्ध कराया जाए ताकि वे सही समय पर गेहूं की बुवाई कर सकें। किसानों का कहना है कि सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि खाद की कमी से फसलों की पैदावार पर असर न पड़े।

सरसों की फसल के दौरान भी आई थी समस्याएं
डीएपी खाद की कमी की समस्या केवल गेहूं की बुवाई तक सीमित नहीं है। इससे पहले, सरसों की फसल के समय भी किसानों को यूरिया की कमी का सामना करना पड़ा था। यूरिया खाद भी कृषि के लिए उतनी ही जरूरी है जितनी डीएपी, और किसानों ने शिकायत की कि सरकार समय पर पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध नहीं करा पा रही है। इसका सीधा असर फसल उत्पादन पर पड़ता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

क्या है डीएपी खाद की कमी का कारण?
डीएपी खाद की कमी के पीछे कई कारण हो सकते हैं। एक प्रमुख कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि और आपूर्ति की समस्याएं हैं, जिससे डीएपी का उत्पादन प्रभावित होता है। इसके अलावा, कई बार वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार और लापरवाही के कारण भी किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पाती।

सरकार का दावा है कि वह किसानों को डीएपी और अन्य खाद उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल हरियाणा में डीएपी की खपत अनुमान से ज्यादा रही है, जिसके कारण मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर हो गया है।

सरकार की योजनाएं और हकीकत

 

हालांकि, सरकार किसानों को सहूलियत देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जैसे कि सब्सिडी पर खाद उपलब्ध कराना, लेकिन जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का फायदा सभी किसानों तक नहीं पहुंच पाता। इस बार की डीएपी की कमी ने सरकार की वितरण प्रणाली की खामियों को उजागर कर दिया है।

किसानों की मांग

किसानों की सबसे बड़ी मांग यही है कि उन्हें समय पर पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराई जाए। इसके अलावा, उन्होंने यह भी मांग की है कि वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए ताकि हर किसान को उनकी जरूरत के अनुसार खाद मिल सके। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक हर साल उन्हें इसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

हरियाणा के किसानों के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण है। डीएपी खाद की कमी ने उनकी समस्याओं को और बढ़ा दिया है, और अगर समय पर इसका समाधान नहीं निकला, तो इसका सीधा असर फसल उत्पादन पर पड़ेगा। सरकार को किसानों की इन परेशानियों को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है ताकि उन्हें सही समय पर खाद मिल सके और उनकी फसलें सुरक्षित रह सकें।

 

You may have missed