महिला पहलवान की आत्मकथा पर घमासान: साक्षी मलिक बोलीं-विनेश-बजरंग के दिमाग में लालच भरा गया

दिल्ली में आंदोलन के दौरान साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: हरियाणा की ओलंपिक पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक की आत्मकथा ‘विटनेस’ हाल ही में लॉन्च हुई है। इस किताब में साक्षी ने अपने बचपन के संघर्ष, कुश्ती में अपने सफर और पहलवानों के यौन शोषण के खिलाफ उनके संघर्ष की कहानी साझा की है। साक्षी ने यह भी बताया कि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया द्वारा एशियाई खेलों के ट्रायल्स से छूट लेने से उनके आंदोलन की छवि पर बुरा असर पड़ा। उन्होंने कहा कि इस फैसले से उनके न्याय की लड़ाई स्वार्थी नजर आने लगी।

आंदोलन की छवि प्रभावित

 

साक्षी ने साफ तौर पर कहा कि विनेश और बजरंग के ट्रायल्स से छूट लेने के बाद उनके आंदोलन पर सवाल उठने लगे। इससे उनके विरोध प्रदर्शन की साख को नुकसान पहुंचा। साक्षी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उनके विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य पहलवानों के यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई लड़ना था, लेकिन उनके कुछ साथियों के फैसले से यह लड़ाई स्वार्थपरक लगने लगी। साक्षी ने आरोप लगाया कि बजरंग और विनेश के करीबियों ने उनके दिमाग में लालच भर दिया था, जिसकी वजह से आंदोलन में भी दरार आ गई।

पेरिस ओलिंपिक से बाहर होने पर साक्षी की प्रतिक्रिया

 

साक्षी मलिक पेरिस ओलिंपिक 2024 में भाग नहीं ले सकीं। उन्होंने विनेश फोगाट के बारे में कहा कि 100 ग्राम से ज्यादा वजन होना भी यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) के नियमों के अनुसार अनुमति नहीं है। साक्षी का कहना था कि वह उस समय वहां मौजूद नहीं थीं, लेकिन 100 ग्राम वजन कम करना भी बहुत मुश्किल होता है।

विनेश फोगाट का पलटवार

 

साक्षी मलिक की आत्मकथा के बाद पहलवान और कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट की। बिना किसी का नाम लिए, विनेश ने लिखा, “जो कुछ भी आप सुनते हैं, उस पर विश्वास मत करो। एक कहानी के हमेशा तीन पहलू होते हैं – आपका, उनका और सच।” उनकी इस पोस्ट को साक्षी की आत्मकथा के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिससे दोनों के बीच विवाद के संकेत मिलते हैं।

 

बचपन में यौन शोषण का सामना

 

साक्षी मलिक ने अपनी आत्मकथा में अपने बचपन के कुछ कठिन अनुभवों का भी जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि बचपन में एक ट्यूशन टीचर ने उनके साथ छेड़छाड़ की थी। वह उस वक्त इतनी डरी हुई थीं कि इस बारे में अपने परिवार को भी नहीं बता पाईं। वह शिक्षक उन्हें बेवक्त अपने घर बुलाता और छूने की कोशिश करता था। साक्षी ने लिखा कि वह डर के कारण ट्यूशन क्लास के लिए जाने से भी घबराती थीं, लेकिन फिर भी किसी से कुछ कह नहीं पाती थीं।

कुश्ती के प्रति समर्पण

 

साक्षी ने अपने कुश्ती के सफर के बारे में बताया कि जब उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेलने शुरू किए, तो उनका इस खेल के प्रति समर्पण और प्यार बढ़ता गया। उन्होंने बताया कि ओलंपिक में पदक जीतना उनका एकमात्र लक्ष्य बन गया था। साक्षी का कहना था कि जब किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का राष्ट्रगान बजता है, तो उसकी भावना किसी भी अन्य चीज़ से अधिक महत्वपूर्ण होती है।

साक्षी मलिक की ऑटोबायोग्राफी विटनेस का कवर पेज।

ट्रायल्स से छूट लेने का विरोध

 

साक्षी ने खुलासा किया कि विनेश और बजरंग पूनिया के ट्रायल्स से छूट लेने के बावजूद, उन्होंने खुद को ट्रायल्स में हिस्सा लेने का फैसला किया। भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के निलंबन के बाद बनी तदर्थ समिति ने विनेश और बजरंग को ट्रायल्स से छूट दी थी, लेकिन साक्षी ने अपने साथियों के सुझाव के बावजूद इस छूट का फायदा नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि उनका मानना था कि यह निर्णय उनके आंदोलन के उद्देश्यों के खिलाफ था।

आंदोलन का असर

 

साक्षी ने बताया कि विनेश और बजरंग के ट्रायल्स से छूट लेने के बाद लोगों ने यह सोचना शुरू कर दिया कि उनके आंदोलन का उद्देश्य केवल स्वार्थ था। इससे उनके विरोध प्रदर्शन की साख को गंभीर नुकसान पहुंचा। साक्षी का मानना था कि इस तरह के फैसले ने उनके समर्थकों के मन में संदेह पैदा किया, जिससे आंदोलन की धार कुंद हो गई।

यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई

 

साक्षी मलिक ने इस बात पर जोर दिया कि उनका आंदोलन खेलों में होने वाले यौन शोषण के खिलाफ था। उन्होंने कहा कि पहलवानों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन ने इतना जरूर कर दिया है कि अब कोई भी यौन शोषण करने से पहले 100 बार सोचेगा। उन्होंने कहा, “हमारी लड़ाई बहन-बेटियों के लिए थी, ताकि खेलों में यौन शोषण की यह समस्या हमेशा के लिए खत्म हो सके।”

सत्यव्रत कादियान का समर्थन

साक्षी मलिक के पति और पहलवान सत्यव्रत कादियान ने अपनी पत्नी का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान उन्हें यह अहसास था कि वे एक बड़ी लड़ाई में शामिल हो रहे हैं। सत्यव्रत ने कहा कि साक्षी का स्वभाव नर्म और भावुक है, लेकिन वह हमेशा सच्चाई के साथ खड़ी रहती हैं। सत्यव्रत का कहना था कि दोनों का यही मानना था कि जो वे झेल चुके हैं, वह आने वाली पीढ़ी को न झेलना पड़े।

अंतरराष्ट्रीय पहचान

अमेरिका की प्रसिद्ध टाइम मैगजीन ने साक्षी मलिक को दुनिया की 100 प्रभावशाली हस्तियों की सूची में शामिल किया है। हरियाणा की यह पहलवान भारत का गौरव बनी और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी जगह बनाई।

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