फर्जी दाखिलों का मामला
फर्जी दाखिलों का यह मामला 2014 से 2016 के बीच का है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 2019 में जांच शुरू की थी। हाल ही में इस जांच की रिपोर्ट पेश की गई, जिसके बाद केस दर्ज किया गया है। यह मामला बच्चों की छात्रवृत्ति और स्टाई फंड से भी जुड़ा हुआ है।
कोर्ट की जांच में खुलासा
2016 में हरियाणा सरकार ने गेस्ट टीचरों को बचाने के लिए एक अपील दाखिल की थी, जिसमें कोर्ट के सामने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए थे। हाई कोर्ट ने पाया था कि 2014-15 में सरकारी स्कूलों में 22 लाख छात्र थे, जबकि 2015-16 में यह संख्या घटकर मात्र 18 लाख रह गई थी। कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि अचानक चार लाख बच्चे कहां गायब हो गए, लेकिन सरकार कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई थी।
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हाई कोर्ट के आदेश
हाई कोर्ट ने 2016 में हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि चार लाख फर्जी दाखिले कर सरकारी राशि हड़पने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। कोर्ट के इस आदेश के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की और अब जाकर एफआईआर दर्ज की गई है।
जांच की प्रक्रिया
सीबीआई ने पांच साल तक इस मामले की जांच की, जिसमें कई अधिकारियों से पूछताछ की गई और विभिन्न दस्तावेजों की जांच की गई। जांच में पाया गया कि सरकारी स्कूलों में बड़ी संख्या में फर्जी दाखिले किए गए थे, जिससे सरकारी राशि का दुरुपयोग हुआ।
शिक्षा विभाग पर कार्रवाई
एफआईआर दर्ज होने के बाद अब शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। इस मामले में शामिल अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की संभावना है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो सकें।
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