Gyanvapi Controversy: इलाहाबाद हाई कोर्ट में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका, जानें- ज्ञानवापी मामले में अब तक क्या हुआ
प्रयागराज, बीएनएम न्यूज। Gyanvapi Controversy: इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष बड़ा झटका लगा है। ज्ञानवापी विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। हाई कोर्ट ने 1991 के मुकदमे के ट्रायल को मंजूरी दी। वाराणसी की अदालत को 6 महीने में मुकदमे की सुनवाई पूरी करने का भी आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने 8 दिसंबर को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट को मंगलवार को अपने फैसले में मुख्य रूप से ये तय करना था कि वाराणसी की अदालत इस मुकदमे को सुन सकती है या नहीं।
हाईकोर्ट ने याचिकाओं पर सुनाया फैसला
ज्ञानवापी परिसर से जुड़ी 5 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में अंजुमन मस्जिद कमेटी, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, और हिंदू पक्ष की ओर से दलीलें पेश की गई थी। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच आज इन याचिकाओं पर फैसला सुनाया। याचिका में वाराणसी की अदालत के आठ अप्रैल 2021 के उस निर्देश को भी चुनौती दी गई थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे पूरा कराने का निर्देश दिया गया था।
ज्ञानवापी में क्या-क्या हुआ ?
- अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने वाद दायर किया
- याचिका में मस्जिद के पास श्रृंगार गौरी मंदिर में दर्शन-पूजा की मांग की
- जज रवि दिवाकर ने एडवोकेट सर्वे का आदेश दिया
- 3 दिन के ज्ञानवापी के सर्वे में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया
- हिंदू पक्ष ने वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया
- मुस्लिम पक्ष ने कहा, शिवलिंग नहीं फव्वारा है
- हिंदू पक्ष की याचिका पर वजूखाना सील किया गया
- बाद में 4 महिलाओं ने एएसआइ (ASI) सर्वे की मांग की
- विवादित हिस्से को छोड़कर एएसआइ (ASI) सर्वे की मांग की
- जिला जज एके विश्वास ने एएसआइ (ASI) सर्वे का आदेश दिया
- अप्रैल 2022 को सर्वे के लिए अजय मिश्रा कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया
- 4 जुलाई को सर्वे शुरू, 2 नवंबर तक ASI सर्वे हुआ
- सितंबर 2022 को वाराणसी कोर्ट का फैसला, वर्शिप एक्ट लागू नहीं
एएसआई सर्वे से क्या मिला ?
खंडित मूर्तियां, 250 अवशेष, हिंदू चिन्ह और आकृतियां, स्वस्तिक, कलश जैसी आकृतियां, टूटे हुए खंभों के अवशेष
खंभों पर घंटी, कलश, फूल जैसी आकृति
सर्वे की रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व विभाग ने जिला अदालत में पेश किया
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में किए गए सर्वे की रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व विभाग ने जिला अदालत में पेश कर दी है। सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की गई है। मुस्लिम पक्ष ने रिपोर्ट दाखिल किए जाने से पहले एक याचिका दायर की थी और रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं किए जाने की मांग की थी। एएसआई ने 1500 पन्नों की रिपोर्ट पेश की है. वाराणसी के जनपद न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट पेश की गई है। रिपोर्ट लेकर एएसआई की टीम अपने वकील के साथ जिला जज कोर्ट में मौजूद रहे।
कब शुरू हुआ ज्ञानवापी विवाद
ज्ञानवापी मामला उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच एक जटिल कानूनी विवाद है। इस मामले की शुरुआत 1991 में हिंदू पक्ष द्वारा दायर एक याचिका के साथ हुई थी। आरोप लगाया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर भगवान विश्वेश्वर मंदिर को तोड़कर किया गया था। इससे मस्जिद परिसर पर अधिकार की कानूनी लड़ाई शुरू हुई।
ज्ञानवापी पर हिंदू पार्टी का दावा
ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार पर हिंदू देवताओं की पूजा करने के अधिकार का दावा किया है। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की बाहरी दीवार पर मां श्रृंगार गौरी सहित हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करने की इजाजत मांगी है। इस दावे को वाराणसी जिला अदालत ने ज्ञानवापी मामले में हिंदू देवताओं की पूजा करने के अधिकार के लिए उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए बरकरार रखा है।
ज्ञानवापी पर मुस्लिम पार्टी का दावा
ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मूर्तियों के टुकड़े मिलने के हिंदू पक्ष के दावे को पहले ही खारिज किया है। उन्होंने ज्ञानवापी परिसर के अंदर ‘वुज़ू’ की प्रथा जारी रखने के लिए कोर्ट से अनुमति भी मांगी है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से सर्वे के विरोध की कोशिश की गई थी लेकिन कोर्ट में उनकी सुनवाई नहीं हुई। मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष पर अफवाह फैलान का आरोप लगाया था।