Gyanvapi Survey: मंदिर ढहाकर बनी मस्जिद, 5 प्वाइंट में जानें क्या कहती है ASI की रिपोर्ट

वाराणसी, BNM News: श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट की नकल पांच लोगों को मिल गई है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद कहा कि एएसआई रिपोर्ट में कहा गया कि वहां 32 ऐसे जगह प्रमाण मिले हैं कि जो बता रहे हैं कि वहां हिंदू मंदिर था। आइये जानते हैं सर्वे के वो 5 प्वाइंट, जिनसे पता चलता है कि पहले मंदिर तोड़ा गया था, फिर उसे मस्जिद बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया।

गुंबद के अंदरूनी हिस्से को तोड़ कर सजाया

 

एएसआइ ने सर्वे में पाया कि इस मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष और क्रमशः उत्तर, दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में कम से कम एक कक्ष था। उत्तर, दक्षिण व पश्चिम में तीन कक्षों के अवशेष मौजूद हैं, लेकिन पूर्व में कक्ष के अवशेष व इसके आगे के विस्तार का भौतिक रूप से पता नहीं लगाया जा सका, क्योंकि यह क्षेत्र पत्थर के फर्श वाले एक मंच के नीचे ढका है। फूलों की सजावट वाली मोटी और मजबूत दीवारों की इस संरचना का मस्जिद के मुख्य हाल के रूप में उपयोग किया गया है। इसके सुसज्जित मेहराबों के निचले सिरों पर जानवरों की आकृतियां उकेरी गई हैं। पहले की संरचना को तोड़ कर गुंबद के अंदरूनी हिस्से को सजाया गया है।

केंद्रीय कक्ष का मुख्य प्रवेश द्वार अवरुद्ध

 

मंदिर के केंद्रीय कक्ष का मुख्य प्रवेश द्वार पश्चिम की ओर से था, जिसे पत्थरों की चिनाई कर बंद कर दिया गया है। इस प्रवेश द्वार को जानवरों और पक्षियों की नक्काशी व एक सजावटी तोरण से सजाया गया है। इस बड़े मेहराबदार प्रवेश द्वार में एक और छोटा प्रवेश द्वार भी था। इस द्वार पर उकेरी गई आकृति को काट दिया गया है। इसका एक छोटा सा हिस्सा दिखाई देता है। अधिकांश हिस्सा ईंटों से ढका है। चौखट पर उकेरी गई पक्षी की आकृति के अवशेष मुर्गे के प्रतीत होते हैं।

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पश्चिमी कक्ष का आधा भाग अब भी मौजूद

 

पश्चिमी कक्ष का पूर्वी आधा भाग अब भी मौजूद है, जबकि पश्चिमी भाग की संरचनाएं नष्ट हो चुकी हैं। यह कक्ष क्रमशः उत्तर और दक्षिण प्रवेश द्वारों से पहुंच योग्य गलियारे के माध्यम से उत्तर और दक्षिण कक्षों से भी जुड़ा हुआ था। मलबा हटाने पर उत्तर पश्चिम दिशा में इस गलियारे के अवशेष प्रकाश में आए।

पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का हिस्सा

मौजूदा ढांचे की पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का शेष हिस्सा है। पत्थरों से बनी और क्षैतिज सांचों से सुसज्जित यह दीवार, पश्चिमी कक्ष के शेष हिस्सों, केंद्रीय कक्ष के पश्चिमी प्रक्षेपण और इसके उत्तर व दक्षिण में दो कक्षों की पश्चिमी दीवारों से बनी है। दीवार से जुड़ा केंद्रीय कक्ष अब भी अपरिवर्तित है, जबकि दोनों पार्श्व कक्षों में संशोधन किए गए हैं। सभी कक्षों में चारों दिशाओं में द्वार था। पश्चिम की ओर मध्य, उत्तर और दक्षिण कक्षों के मेहराबदार प्रवेश द्वारों को अवरुद्ध किया गया है। उत्तर और दक्षिण हाल के धनुषाकार भाग को छत की ओर जाने वाली सीढ़ियों में बदल दिया गया है। उत्तरी हाल के मेहराबदार प्रवेश द्वार पर बनी सीढ़ियां अब भी उपयोग में हैं। दक्षिणी हाल के मेहराबदार प्रवेश द्वार में बनी सीढ़ियां कुछ समय बाद पत्थर से अवरुद्ध कर दी गईं, हालांकि कोई अब भी छत से उनमें प्रवेश कर सकता है।

गलियारे में स्तंभ मूल रूप से हिंदू मंदिर का हिस्सा

 

मौजूदा संरचना में प्रयुक्त स्तंभों और भित्ति स्तंभों का व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन किया गया। मस्जिद के विस्तार और सहन के निर्माण के लिए स्तंभों और स्तंभों सहित पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों को थोड़े से संशोधनों के साथ फिर से उपयोग में लाया गया है। गलियारे में मौजूद स्तंभ मूल रूप से हिंदू मंदिर का हिस्सा थे। मौजूदा संरचना में उनके पुन: उपयोग के लिए कमल पदक के दोनों ओर उकेरी गई आकृतियों को विकृत कर दिया गया है। कोनों से पत्थर को हटाने के बाद उस स्थान को पुष्प डिजाइन से सजाया गया है। यहां दो भित्ति चित्र बनाए गए हैं।

 

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