नेटबॉल को नई पहचान दिलाने वाले हरिओम कौशिक: खेल जगत के सच्चे मार्गदर्शक
नई दिल्ली,बीएनएम न्यूजः भारत में जब भी खेलों की उन्नति और उनके विकास की चर्चा होती है तो कुछ ऐसे नाम सामने आते हैं, जिन्होंने अपने प्रयासों और समर्पण से किसी खेल को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उन्हीं में से एक नाम है श्री हरिओम कौशिक जी, जिन्होंने नेटबॉल जैसे अपेक्षाकृत कम चर्चित खेल को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई है।
गाँव-गाँव तक पहुँचा खेल
कभी केवल चुनिंदा क्षेत्रों तक सीमित रहने वाला नेटबॉल, आज देश के विभिन्न हिस्सों में लोकप्रियता हासिल कर रहा है। इस बदलाव के पीछे श्री कौशिक का दूरदर्शी नेतृत्व और खिलाड़ियों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण मुख्य कारण है। उन्होंने खिलाड़ियों को न केवल गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण उपलब्ध कराया, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खेलने के अवसर भी प्रदान किए।
खेल से बढ़कर व्यक्तित्व निर्माण
हरिओम कौशिक जी का मानना है कि खेल केवल पदक जीतने या प्रतिस्पर्धा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अनुशासन, आत्मविश्वास और व्यक्तित्व निर्माण का माध्यम है। इसी सोच के साथ उन्होंने नेटबॉल को शिक्षा संस्थानों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाने का संकल्प लिया।
नए सितारे और प्रेरणा का स्रोत
उनके मार्गदर्शन में अनेक खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन कर चुके हैं। आज नेटबॉल को जो सम्मान और प्रतिष्ठा मिली है, उसका श्रेय निस्संदेह कौशिक जी को जाता है।
खेल इतिहास में अमर योगदान
नेटबॉल खेल के विकास में श्री हरिओम कौशिक जी का योगदान न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत है, बल्कि आने वाली पीढ़ियाँ भी उनके कार्यों से दिशा प्राप्त करेंगी। उनका जीवन संदेश देता है कि यदि नेतृत्व सच्चे समर्पण और ईमानदारी के साथ किया जाए तो कोई भी खेल नई बुलंदियों को छू सकता है।
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