Haryana Assembly Election 2024: जीटी रोड और अहीरवाल बेल्ट में भाजपा मजबूत, जाट बेल्ट में कांग्रेस की किलेबंदी, जानें कौन मारेगा बाजी

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन शुरू होने में सिर्फ तीन दिन बचे हैं लेकिन अभी तक भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दल प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाए हैं। भाजपा और कांग्रेस में दावेदारों की फौज है, जिनमें जिताऊ उम्मीदवारों के चयन के साथ ही असंतुष्टों को साधना काफी मुश्किल काम है। यही वजह है कि लगातार मैराथन बैठकों के बावजूद प्रत्याशियों के चयन में देरी हो रही है। जजपा और इनेलो की निगाह दोनों दलों के बागियों पर है, जिस कारण प्रत्याशी घोषित नहीं किए जा रहे।

भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर

 

हरियाणा गठन के बाद से ही अधिकतर मौकों पर सत्ता की चाबी जीटी रोड बेल्ट, जाट बेल्ट और अहीरवाल बेल्ट के हाथ में रही है। जीटी रोड और अहीरवाल बेल्ट में भाजपा मजबूत पकड़ बनाए हुए है, जबकि जाट बेल्ट में कांग्रेस की किलेबंदी तोड़ना आसान नहीं होगा। भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) तथा जननायक जनता पार्टी (जजपा) और आजाद समाज पार्टी (आजपा) गठबंधन नए समीकरण बनाते दिख रहे हैं। लोकसभा चुनाव में आइएनडीआइ गठबंधन के नाते कांग्रेस के समर्थन से चार विधानसभा सीटों पर आगे रहने वाली आम आदमी पार्टी (आप) भी विभिन्न स्थानों पर प्रत्याशियों का गणित बिगाड़ेगी।

क्षेत्र का जातिगत विभाजन

 

कांग्रेसियों का दावा है कि इस बार सत्ता का रास्ता जाट बाहुल्य इलाकों से होकर गुजरेगा, जबकि भाजपाइयों को जीटी रोड बेल्ट व दक्षिणी हरियाणा के गलियारे से होकर चंडीगढ़ पहुंचने की उम्मीद है। चुनावी लिहाज से हरियाणा को मोटे तौर पर जाट बेल्ट, जीटी रोड बेल्ट, अहीरवाल बेल्ट में बांटा जाता है। जीटी रोड बेल्ट में अधिकतर शहरी, पंजाबी व गैर-जाट बाहुल्य इलाका है।

इस बेल्ट में कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, पंचकूला, अंबाला, करनाल, पानीपत, सोनीपत और कैथल जिले की करीब दो दर्जन विधानसभा सीटें आती हैं। रोहतक, सोनीपत, झज्जर, फतेहाबाद, हिसार, जींद, कैथल, सिरसा और भिवानी जिलों की करीब ढ़ाई दर्जन विधानसभा सीटों को जाट बाहुल्य माना जाता है। दक्षिणी हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट में महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, फरीदाबाद, पलवल, भिवानी व गुरुग्राम जिलों की डेढ़ दर्जन सीटें हैं। मुस्लिम बाहुल्य मानी जाने वाली मेवात बेल्ट में चार सीटें हैं।

जीटी और अहीरवाल बेल्ट ने आसान की भाजपा की राह

जीटी और अहीरवाल बेल्ट के बूते भाजपा हरियाणा में दो बार अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई। जीटी बेल्ट में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व गृह मंत्री अनिल विज के साथ ही कई बड़े पंजाबी नेताओं की मदद से भाजपा की अच्छी पकड़ है, जबकि अहीरवाल में केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत ताकत बने हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीटी बेल्ट की तीनों सीटें अंबाला, कुरुक्षेत्र और करनाल में जीती भाजपा हालांकि पिछले चुनाव में अंबाला सीट कांग्रेस से हार गई है, लेकिन मुकाबला टक्कर का रहा। 2014 के विधानसभा चुनाव में 47 सीटें जीतने वाली भाजपा को 20 सीटें इसी बेल्ट से मिली। इसी तरह 2019 के विधानसभा चुनाव में जीटी रोड बेल्ट की ज्यादातर सीटों पर भाजपा काबिज हुई।

चुनाव में गेम चेंजर हो सकती जाट बेल्ट

पिछले कुछ समय से जाट बेल्ट में कांग्रेस और इनेलो का दबदबा रहा है। हालांकि कुछ वर्षों में इनेलो की पकड़ कुछ ढीली हुई है। लोकसभा चुनाव में जाट बाहुल्य रोहतक, हिसार और सोनीपत लोकसभा सीटें जीतने के बाद अब कांग्रेस ने यहां के ढाई दर्जन जाट बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में ताकत झोंकी हुई है। माना जा रहा कि जाट बेल्ट इस बार गेम चेंजर हो सकती है। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जाट बाहुल्य तीनों लोकसभा सीटों पर भगवा झंडा फहरा दिया था, जिसमें दीपेंद्र हुड्डा व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे दिग्गज जाट नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। इस बार भी भाजपा पूरा जोर लगाएगी।

मौजूदा विधानसभा में कांग्रेस ने दिए सर्वाधिक जाट विधायक

पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 20 जाट उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाया जिनमें पांच जीतकर विधानसभा पहुंचे। कांग्रेस ने 27 और जजपा ने 34 जाट नेताओं को टिकट दिया, जिनमें से कांग्रेस के नौ और जजपा के पांच उम्मीदवार जीत दर्ज कर विधायक बने। इसी तरह इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला के साथ बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला, बलराज कुंडू और सोमबीर सांगवान जाट नेता के रूप में निर्दलीय विधायक बने। राजनीतिक पंडितों के मुताबिक इस बार के चुनाव में जाट बनाम गैर-जाट के बीच अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दलित वोट बैंक कई सीटों पर हार-जीत का फैसला करेगा।

 

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