Haryana Cyber Crime : क्रिप्टोकरेंसी के जरिए देश- विदेश में करोड़ों की ठगी में ईडी की एंट्री, जानें कैसे होती थी ठगी

नरेन्द्र सहारण, यमुनानगर : Haryana Cyber Crime : क्रिप्टोकरेंसी के जरिए करोड़ों रुपये की ठगी के मामले में अब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की एंट्री हो गई है। बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय से असिस्टेंट डायरेक्टर और इंस्पेक्टर साइबर क्राइम थाना में पहुंचे। यहां उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े केसों के बारे में जानकारी ली और साथ ही इनका रिकार्ड मांगा। साइबर क्राइम थाना पुलिस की ओर से तीनों केसों से संबंधित दस्तावेजों की फोटो कापी अधिकारियों को दी गई।

तीसरे केस की तफ्तीश

 

क्रिप्टोकरेंसी के जरिए करोड़ों रुपयें का लेनदेन हुआ और इसके बाद ये मामले ईडी की नजर में आए। अब ईडी भी इन केसों की जांच करेगी। अब ठगी की रकम से प्रापर्टी बनाने वालों की प्रापर्टी अटैच कराने से लेकर बैंक खातों तक फिर से सीज किया जा सकता है। पुलिस की ओर से पहले से कार्रवाई की जा रही है और दो केसों में आरोपित गिरफ्तार किए जा जा चुके हैं। उनमें कोर्ट में चालान दिया जा चुका है। वहीं तीसरे केस की तफ्तीश चल रही है।

ईडी टीम को रिकार्ड उपलब्ध कराया

 

साइबर क्राइम थाना के प्रभारी इंस्पेक्टर रविकांत ने बताया कि इस मामले में ईडी को सूचित किया था। इसके बाद ही ईडी की टीम यहां पहुंची। ईडी टीम को रिकार्ड उपलब्ध करा दिया गया है। एक जांच ईडी की ओर से भी शुरू होगी। ताकि इस तरह का मामला दोबारा न हो और गिरोह की पूरी गतिविधि पर नजर रखी जा सके।

यह दर्ज हुआ था पहला केस

 

संयुक्त राज्य अमेरिका के फ्लोरिडा निवासी मेरले लीज कोरेज्वा अमेरिकी सेना से सेवानिवृत्त हैं। सितंबर 2022 में उनके पास फोनकाल आया। काल करने वाले ने कहा कि किसी ने पेपल साफ्टवेयर के माध्यम से उसके खाते का प्रयोग किया है और 499 डालर की धोखाधड़ी की है। उसने बातों में उलझाकर बैंक संबंधी डिटेल ली और उसके बिटक्वाइन खाते को हैक कर लिया। इसके माध्यम से उससे लगभग 13 लाख डालर यानि 12 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। इस बारे में अमेरिका में केस दर्ज कराया गया। वहां से जांच में सामने आया कि भारत से यह धोखाधड़ी हुई है, क्योंकि जिन खातों में रकम गई थी, वे भारत के थे। इनमें एक आरोपित विक्रमजीत का संबंध यमुनानगर से मिल रहा था। इसके बाद मेरले लीज कोरेज्वा ने यहां अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में केस दायर किया। कोर्ट के आदेश पर साइबर क्राइम थाना पुलिस ने केस दर्ज किया। इस केस में 13 आरोपित गिरफ्तार हो चुके हैं।

यह दर्ज हुआ दूसरा केस

 

करनाल स्थित शुभएक्स प्लेटफार्म के कानूनी सलाहाकार योगेश कुमार की शिकायत पर 30 जनवरी, 2024 को साइबर क्राइम थाना पुलिस ने आरोपित विक्रमजीत के विरुद्ध केस दर्ज किया था। योगेश कुमार की शुभएक्स कंपनी पैक्सफुल प्लेटफार्म के जरिए व्यापार करती है जो क्रिप्टोकरेंसी, ई-गिफ्टकार्ड और अन्य डिजिटल सामान खरीदने और बेचने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय डिजिटल बाजार है। इस प्लेटफार्म पर ही मोहाली निवासी विक्रमजीत सिंह भी व्यापार करता था। इस प्लेटफार्म के नियम के अनुसार उपयोगकर्ता अपने ही अकाउंट से लेन देन कर सकता है लेकिन विक्रमजीत ने धोखाधड़ी की नीयत से अलग-अलग अकाउंट का प्रयोग कर इस डिजिटल प्लेटफार्म से पेमेंट उन खातों में मंगवाई थी। इस केस में 12 आरोपित गिरफ्तार हो चुके हैं।

यह दर्ज हुआ तीसरा केस

 

तत्कालीन थाना प्रभारी बलवंत सिंह की ओर से यह केस दर्ज कराया गया था। शिकायत में कहा गया था कि साइबर ठगी के केस में पकड़े गए आरोपितों से जब्त किए गए उपकरणों की जांच में पता चला कि उन्होंने (आरोपितों ने) जाली दस्तावेजों का उपयोग कर रिचर्ड, डेविड, मर्सिया, माइकल, जार्ज और विदेश में रहने वाले अन्य लोगों के साथ साइबर धोखाधड़ी भी की है। यह पता चला कि वर्ष 2022 में आंचल मित्तल, विक्रमजीत, चोपड़ा गार्डन निवासी अक्षय छिब्बर व डिकी ने काल सेंटर स्थापित किया था। विक्रमजीत सिंह काल सेंटर में काम करने और वहां रहने वाले आरोपितों को सामान उपलब्ध कराता था। आरोपित मोहित, राहुल विर्दी और विक्रम चौधरी टोल फ्री नंबर देते थे, जिसके लिए उन्हें भुगतान किया जाता था। ये तीनों आरोपित विक्रमजीत सिंह के लिए काल वेंडर भी हैं।

जानें कैसे होती थी धोखाधड़ी

आरोपित पेपल व नार्टन के जरिए क्रिप्टाकरेंसी का काम करने वालों को धोखा देने के लिए ईमेल की स्क्रिप्ट तैयार करते थे। फिर टोल फ्री नंबर (टीएफएन) वाला संदेश एसएमटीपी (सिंपल मेल ट्रांसफर प्रोटोकाल) सर्वर के माध्यम से ईमेल भेज देते थे। ईमेल में यह खुद को पेपल सुरक्षा अधिकारी बताते थे। जब लोगों को यह ईमेल मिलता तो वह ईमेल में दिए टोल फ्री नंबर पर काल करते तो इन काल को विजय बिस्सा, सुंदरम, शादान, नौशाद, फहद, श्वेता तिवारी, आयुष व हेमंत आदि सुनते थे। वह काल करने वालों को बातों में उलझा लेते, फिर उसके कंप्यूटर या मोबाइल को एनीडेस्क के माध्यम से अपने सिस्टम पर ले लेते थे। इसके बाद उसके खाते व कंप्यूटर की पूरी जानकारी लेकर उनके बिटक्वाइन खाते से क्रिप्टोकरेंसी अपने पास ट्रांसफर कर लेते थे और इसे बाद में नकदी में बदल लेते थे। आरोपित विदेशी नागरिक से बात करने के लिए विदेशी नाम का ही इस्तेमाल करते थे। इस केस में आठ आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

 

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