Haryana Election 2024: जानें कैसे हरियाणा में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को साधने की तैयारी में जुटी कांग्रेस

भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी सैलजा।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिलने के आसार जताए जा रहे हैं, और अब पार्टी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर आंतरिक प्रतिस्पर्धा को लेकर सक्रिय हो गई है। मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों—भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला—के बीच चुनाव नतीजों के बाद की संघर्ष की जमीन तैयार हो रही है। इस बीच, हुड्डा जहां चुप रहकर अपने समर्थकों को एकजुट रखने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं कुमारी सैलजा खुलकर अपनी दावेदारी जता रही हैं। इस दावेदारी की राजनीति चुनाव नतीजों के बाद और तीव्र हो सकती है, जिससे कांग्रेस हाईकमान ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों की तैनाती की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

केंद्रीय पर्यवेक्षकों की होगी नियुक्ति

 

कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, पार्टी की योजना है कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी, ताकि विधायक दल के नेता का चुनाव सुचारू रूप से हो सके। वरिष्ठ कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल और अजय माकन हरियाणा चुनावों की रणनीति पर ध्यान दे रहे हैं, और उनके बारे में यह पुख्ता जानकारी मिल रही है कि वे मुख्यमंत्री के चयन में अहम भूमिका निभाएंगे। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सोमवार रात तक दिल्ली लौटने वाले हैं, ताकि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजों को ध्यान में रखते हुए त्वरित और सही निर्णय लिया जा सके। इसी तरह, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी भी दिल्ली में मौजूद रहेंगे ताकि पार्टी नेतृत्व के बीच किसी तरह की अड़चन न आए और सही दिशा में निर्णय लिया जा सके।

पार्टी अध्यक्ष को अंतिम निर्णय लेने की जिम्मेदारी

कांग्रेस के चुनावी फैसलों के मुताबिक मुख्यमंत्री के चयन के लिए नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया जाता है, जिससे पार्टी अध्यक्ष को मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम निर्णय लेने की जिम्मेदारी सौपी जाती है। हालांकि, केंद्रीय पर्यवेक्षक विधायकों से मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी पसंद पूछते हैं और फिर उनके समर्थन के आधार पर नाम तय किया जाता है। कर्नाटक का उदाहरण सामने है, जहां डीके शिवकुमार की तमाम कोशिशों के बावजूद विधायकों की राय के आधार पर सिद्धरमैया को मुख्यमंत्री बनाया गया।

कुमारी सैलजा ने सीएम पद को लेकर दिया बयान

इस बीच, कुमारी सैलजा ने रविवार को सार्वजनिक तौर पर अपनी आपत्ति जताई, और कहा कि मुख्यमंत्री पद के लिए केवल विधायकों की राय पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, क्योंकि इससे गुटबाजी को बढ़ावा मिल सकता है। उनका तर्क है कि हुड्डा के समर्थकों की संख्या विधायकों में अधिक हो सकती है क्योंकि टिकट वितरण में उनका बड़ा हस्तक्षेप था, इसलिए हाईकमान को विधायकों से अधिक सीएम के चयन में अपनी स्वतंत्र भूमिका निभानी चाहिए। सैलजा की यह टिप्पणी पार्टी के अंदर मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही रस्साकशी को और भी बढ़ावा दे सकती है।

जम्मू-कश्मीर में भी छोटी पार्टियों-निर्दलीयों को साधेंगे

 

हरियाणा में कांग्रेस को बड़ी जीत की उम्मीद है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस (NC) के साथ गठबंधन की राह में भाजपा से मुकाबला चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके लिए पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के प्रभारी भरत सोलंकी के साथ-साथ पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को भी पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। चन्नी को जम्मू-कश्मीर की छोटी पार्टियों और संभावित निर्दलीय विधायकों से बातचीत कर कांग्रेस-एनसी गठबंधन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी का लक्ष्य है कि उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में वहां सरकार गठन के लिए कोई कसर न छोड़ी जाए।

इस तरह, हरियाणा में कांग्रेस की जीत लगभग तय मानी जा रही है, लेकिन मुख्यमंत्री पद की दावेदारी और जम्मू-कश्मीर में गठबंधन की राजनीति के सवाल पार्टी के सामने अहम चुनौतियां बनकर उभर रही हैं।

 

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