Haryana Election 2024: दिलचस्प हुआ गुरुग्राम जिले की चारों सीट पर मुकाबला, जानें कैसे एंटी इनकंबेसी फैक्टर हुआ कमजोर

नरेन्द्र सहारण, गुरुग्राम: Haryana Election 2024: राजनीतिक कब किस करवट बदल ले, यह कहा नहीं जा सकता। कुछ ऐसा ही जिले में दिख रहा है। नामांकन से पहले जिले में एंटी इनकंबेसी फैक्टर (सत्ता विरोधी लहर) काफी मजबूत दिख रहा था। जैसे-जैसे मतदान नजदीक आ रहा है, सत्ता विरोधी लहर की धार धीरे-धीरे कमजोर होती दिख रही है। लोकसभा चुनाव की तरह ही विपक्ष स्थानीय समस्याओं को पुरजोर तरीके से उठाने का प्रयास कर रहा है लेकिन यह गर्म इसलिए नहीं हो रहा है क्योंकि सत्ता पक्ष ने अपने सिटिंग विधायकों को बेटिकट कर दिया।

सत्ता पक्ष की ओर से जो मैदान में हैं वे विपक्ष से कहीं अधिक समस्याओं का अपने भाषणों में उल्लेख कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि उन्हें आप मौका दें, तस्वीर बदल देंगे। यही बात विपक्षी भी कर रहे हैं। निर्दलीय भी यही कह रहे हैं कि उन्हें मौका मिला तो नाम के अनुरूप गुरुग्राम में विकास कार्य कराएंगे। इस वजह से चारों सीटों पर मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। एक विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर बाकी तीन में कहीं बागियों से खतरा तो कहीं भितरघात का डर है।

आमने-सामने का मुकाबला

 

जिले में चार विधानसभा क्षेत्र गुड़गांव, बादशाहपुर, पटौदी एवं सोहना है। इनमें से पटौदी में आमने-सामने का मुकाबला है। न बागी मैदान में हैं और न ही भितरघात की अधिक आशंका है। भाजपा की ओर से पूर्व विधायक बिमला चौधरी मैदान में हैं जबकि कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक स्व. भूपेंद्र चौधरी की बेटी पर्ल चौधरी किस्मत आजमा रही हैं। कांग्रेस के बागी के रूप में सुधीर चौधरी मैदान में आ गए थे, उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने समझाकर बैठा दिया। बिमला चौधरी पिछले 10 सालों के दौरान भाजपा सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर वोट मांग रही हैं। जहां लोग समस्याएं बताते हैं तो कहती हैं कि पिछली बार उन्हें टिकट नहीं मिला था। जीतने के बाद वह समस्याएं दूर कर देंगी।

बागी नवीन गोयल सिरदर्द बने

पर्ल चौधरी कहती हैं कि 10 साल भाजपा को देख लिया। कुछ नहीं किया। उन्हें मौका मिला तो बेहतर करके दिखांएगी। गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी मुकेश शर्मा के लिए पार्टी के बागी नवीन गोयल सिरदर्द बने हुए हैं। दोनों का वोट बैंक लगभग एक ही है। कांग्रेस प्रत्याशी मोहित ग्रोवर पूरी क्षमता के साथ जुटे हैं लेकिन कई स्थानीय नेता मैदान में सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं। कुल मिलाकर तीनों में कड़ी टक्कर है।

बादशाहपुर में दिलचस्प मुकाबला

 

बादशाहपुर में भाजपा के प्रत्याशी पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह को कांग्रेस के वर्धन यादव एवं निर्दलीय कुमुदनी राकेश दौलताबाद चुनौती दे रहे हैं। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बीर सिंह उर्फ बीरू सरपंच भी पूरी सक्रियता से मैदान में जुटे हैं। स्थिति यह है कि क्षेत्र में जहां भाजपा से टिकट के लिए प्रबल दावेदार रहे अधिकतर मैदान में सक्रिय नहीं दिख रहे हैं, वहीं कांग्रेस उम्मीदवार को भी भितरघात का डर है। वर्धन यादव, कुमुदनी राकेश दौलताबाद एवं बीर सिंह का कुछ वोट बैंक लगभग कामन है। इस वजह से दिलचस्प मुकाबला होने का संकेत दिख रहा है।

सोहना में एक ही जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतारा

सबसे अधिक रोचक मुकाबला सोहना का है। इस क्षेत्र से सभी पार्टियों ने एक ही जाति के उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया है। भाजपा ने पूर्व विधायक तेजपाल तंवर, कांग्रेस ने रोहतास खटाना, आम आदमी पार्टी ने पूर्व जिला पार्षद धर्मेंद्र खटाना को जबकि जजपा ने विनेश गुर्जर को मैदान में उतारा है। सभी का जातिगत ही नहीं कुछ जातियों का वोट बैंक बैंक लगभग कामन है। सभी की सभाओं में बराबर भीड़ जुट रही है।

भाजपा के बागी जिला परिषद के पूर्व चेयरमैन कल्याण सिंह चौहान की क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। ऐसे में ऊंट किस करवट बदलेगा, यह कहा नहीं जा सकता है। वैसे-वैसे अंदर ही अंदर बाहरी और स्थानीय उम्मीदवार की चर्चा शुरू हो गई है। यदि चर्चा परवान चढ़ी तो भाजपा को नुकसान हो सकता है। हालांकि आजादी के बाद से अब तक सोहना से स्थानीय उम्मीदवार नहीं जीता।

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि भाजपा ने मौजूदा विधायकों का टिकट काटकर सत्ता विरोधी लहर की धार कुंद कर दी। यही वजह है कि विपक्ष ने जिन मुद्दों को उठाकर लोकसभा चुनाव में माहौल को अपने पक्ष में बनाने का प्रयास किया था, वह प्रयास इस बार परवान चढ़ता नहीं दिख रहा है। ऐसे में जो लोगों को जीतने के बाद बेहतर करने का भरोसा जताने में कामयाब होगा, वही अपने क्षेत्र से बाजी मारेगा।

 

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