Haryana Election 2024: हरियाणा के चुनाव में बढ़ा खाप पंचायतों का दखल, जानें कहां देखने को मिलेगा व्यापक असर

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Election 2024: बेशक, खापें विवादित फैसलों के लिए बदनाम रही हैं लेकिन हरियाणा की राजनीति में उनका व्यापक असर रहा है। खापों का यह प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है। इस सच का सहज अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तत्कालीन घिराय विधानसभा क्षेत्र में खापों की ओर से खड़े किए गए तत्कालीन युवा नेता प्रो. छत्रपाल ने ताऊ देवीलाल को चुनाव में हरा दिया था। इसी तरह, करीब 35 साल पहले खापों के समर्थन से रोहतक के महम में आनंद सिंह दांगी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को चुनाव में पराजित कर दिया था। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में खापों के हस्तक्षेप की वजह से ही हरियाणा में चुनाव नतीजे काफी चौंकाने वाले रहे हैं। राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव भी खापों के दखल और दबदबे का साक्षी रहा है। तब करीब आधा दर्जन सीटों पर इस खाप के समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। अपना प्रभुत्व दोहराने के लिए इस बार भी कई खाप पंचायतें सक्रिय हो गई हैं। अप्रत्यक्ष रूप से करीब एक दर्जन सीटों पर खाप पंचायतें किसी भी राजनीतिक दल के उम्मीदवार के जीत के मंसूबों पर पानी फेरने की सामर्थ्य रखती हैं।

 

हर खाप का अपना एक प्रभाव क्षेत्र

 

बता दें कि प्रदेश में करीब डेढ़ सौ छोटी-बड़ी खाप पंचायतें मौजूद हैं। इनमें ज्यादातर जाट समाज के लोग जुड़े हैं। सर्वखाप, महम चौबीसी, सहारण खाप ,गुलिया चौरासी, फोगाट खाप, सांगवान खाप, श्योराण, धनखड़, सतगामा, अहलावत, हवेली, मलिक, जाखड़, हुड्डा, कंडेला, बिनैन और गठवाला मलिक खापों के प्रभाव को लोग धरातल पर महसूस कर सकते हैं। हर खाप का अपना एक प्रभाव क्षेत्र है। कंडेला खाप की पकड़ जींद जिले में काफी मजबूत मानी जाती है। गन्नौर, गोहाना, बरौदा, इसराना और सफीदो समेत करीब दर्जन भर विधानसभा सीटों पर गठवाला मलिक खाप का असर देखने को मिल जाता है। सर्वखाप का असर नरवाना, टोहाना, उकलाना, बरवाला, कैथल और नारनौंद जैसी विधानसभा सीटों पर है, जबकि नरवाना और उकलाना सबसे अधिक बिनैन खाप के असर से अछूती नहीं हैं।

बेरी विधानसभा सीट पर सबसे अधिक घमासान

 

रोहतक जिले की बेरी विधानसभा सीट पर सबसे अधिक घमासान मचा है। भाजपा ने बेरी से नवागंतुक संजय कबलाना को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा से टिकट काटा तो अमित अहलावत निर्दलीय चुनावी रण में उतर गए और खाप नेताओं ने उन्हें अपना समर्थन प्रदान कर दिया। कांग्रेस से यहां छह बार के विधायक रघुबीर कादियान चुनावी रण में हैं, जबकि इनेलो-बसपा ने प्रमोद राठी, आम आदमी पार्टी ने सोनू अहलावत और जजपा-आसपा ने सुनील दुजाना को चुनाव मैदान में उतार रखा है।

अहलावत खाप के साथ ही पंचायत ने अमित अहलावत को अपना समर्थन दिया है, जबकि पंचायती उम्मीदवार के रूप में खाप नेता रमेश दलाल बहादुरगढ़ में चुनावी रण में ताल ठोंक रहे हैं। जींद जिले की उचाना कलां विधानसभा सीट पर जजपा के प्रत्याशी पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के सामने 66 गांवों के प्रतिनिधियों ने आजाद पालवा को अपना उम्मीदवार बनाया हुआ है। बेरी में अमित अहलावत व सोनू अहलावत के साथ 360 महरौली के प्रमुख गोवर्धन सिंह भी चुनावी रण में बने हुए हैं।

देशभर में चर्चित रही थी महम चौबीसी खाप

1989 में केंद्र में वीपी सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद देवीलाल को उपप्रधानमंत्री बनाया गया। उस समय देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे और रोहतक की महम सीट से विधायक थे। सीएम की कुर्सी छोड़ने से पहले देवीलाल महम चौबीसी खाप के समर्थन से न केवल चुनाव लड़ते बल्कि जीतते भी आए थे। देवीलाल के दिल्ली में शिफ्ट होने के बाद प्रदेश की सियासत की कमान उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला के हाथ में आई। उस समय चौटाला राज्यसभा सदस्य थे।

 

सीएम बने रहने के लिए छह महीने के भीतर उन्हें विधायक बनना था। देवीवाल के इस्तीफा देने के बाद महम सीट पर उपचुनाव हुआ। ओमप्रकाश चौटाला चुनाव लड़े, लेकिन तब खाप ने चौटाला के खिलाफ चुनाव में उतरे आनंद सिंह दांगी को समर्थन दे दिया, जिसके बाद कई बार हिंसा के चलते उपचुनाव संपन्न नहीं हो पाया। आखिर में ओपी चौटाला ने सीएम पद से इस्तीफा दिया। फिर से इस सीट पर चुनाव कराया गया। चौटाला दोबारा चुनाव लड़े, लेकिन खाप के समर्थन से आनंद सिंह दांगी ने चौटाला को हरा दिया।

 

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