Haryana Election Result: जानें कैसे दिन-रात किसानों के नाम पर राजनीति करने वालों को किसानों ने ही नकारा

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana Election Result:हरियाणा के विधानसभा चुनाव में किसानों की राजनीति करने वाले वाले अधिकतर किसान नेताओं को हार झेलनी पड़ी है। किसानों ने ही किसान नेताओं को इस चुनाव में नकार दिया है। जाटों में बड़ा वर्ग किसानों का है, जो चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर मुड़ गया। प्रदेश के वास्तविक किसान, जो छोटी खेती करते हैं, वे इन किसान नेताओं के झांसे में नहीं आए और उन्होंने भाजपा के किसान कल्याण के फैसलों पर मुहर लगाकर उनके नाम पर राजनीति करने वाले नेताओं को नजरअंदाज कर दिया है।

किसानों को मुद्दा बनाया हुआ था

 

विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस से लेकर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और आम आदमी पार्टी (आप) ने किसानों को मुद्दा बनाया हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हों या किसान आंदोलन के दौरान सिरसा की ऐलनाबाद विधानसभा सीट से इस्तीफा देने वाले अभय सिंह चौटाला, दोनों किसान नेता कहलाते रहे हैं। ऐलनाबाद में अभय सिंह चौटाला कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल से हार गए। इसी तरह चौटाला परिवार की सुनैना चौटाला फतेहाबाद में तीसरे स्थान पर रहीं। किसानों के सहारे 10 साल बाद सत्ता में वापसी का सपना देख रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक की गढ़ी सांपला किलोई की परंपरागत सीट को बचाने में सफल रहे, लेकिन पार्टी को बहुमत नहीं दिला पाए।

गुरनाम सिंह चढूनी की पिहोवा में बुरी हार हुई

 

किसानों के नाम पर हमेशा सरकार को दबाव में लेने वाले भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी की कुरुक्षेत्र के पिहोवा में बुरी हार हुई है, जिन्हें केवल 1170 वोट मिल सके। खुद को किसान नेता के रूप में स्थापित करने में जुटे पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जींद के उचाना में जमानत भी नहीं बचा सके और पांचवें स्थान पर रहे। उचाना में किसानों के मसीहा सर छोटू राम के नाती और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह (कांग्रेस) ने भाजपा के देवेंद्र अत्री को कड़ी टक्कर दी, लेकिन 32 वोट से हार गए।

इसी तरह, कैथल के कलायत में इनेलो प्रदेशाध्यक्ष रामपाल माजरा चौथे और आप के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा सातवें स्थान पर रहे। भाजपा के किसान नेताओं को भी हार झेलनी पड़ी है। कृषि और वित्त मंत्री जेपी दलाल लोहारू में नजदीकी मुकाबले में हार गए तो पूर्व पंचायत मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ को झज्जर के बादली और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को हिसार के नारनौंद में हार का मुंह देखना पड़ा। कार्यवाहक कृषि मंत्री कंवरपाल गुर्जर यमुनानगर के जगाधरी, पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली फतेहाबाद के टोहाना में हार गए।

हरियाणा में राजनीति चमकाते रहे पंजाब-उप्र के किसान नेता

पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान नेता हरियाणा में अपनी राजनीति चमकाते आए हैं। तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ अक्टूबर 2020 से नवंबर 2021 तक चले किसान आंदोलन के दौरान पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों ने हरियाणा में सिंघु बार्डर, टीकरी बार्डर और झरोदा बार्डर पर पक्का मोर्चा खोल दिया था। इसके अलावा 13 फरवरी से शंभू बार्डर पर पंजाब के किसान आज भी मोर्चा संभाले हुए बैठे हैं। केंद्र और प्रदेश की डबल इंजन की सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में किए सुधारों पर मुहर लगाते हुए किसानों ने चुनाव परिणामों से किसान संगठनों को आईना दिखा दिया।

भाजपा ने कांग्रेस-इनेलो के ‘तीर’ से ही किया शिकार

विधानसभा चुनावों में कांग्रेस-इनेलो के ‘तीर’ से ही भाजपा ने शिकार किया। विपक्षी दल किसानों की हालात को मुद्दा बना रहे थे, जिसके जवाब में भाजपा ने किसानों को देश में सर्वाधिक मुआवजा और बोनस, 24 फसलों की एमएसपी पर खरीद, प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत हर साल किसानों को छह हजार रुपये की मदद, मेरी फसल-मेरा ब्योरा पर रजिस्टर्ड किसानों की फसलों की आसानी से खरीद और किसान क्रेडिट कार्ड जैसे काम गिनाए। इसके चलते किसानों का बड़ा वर्ग भाजपा के पक्ष में खड़ा हो गया।

 

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