हरियाणा में क्षेत्रीय दलों को नकारा, भाजपा और कांग्रेस के बीच हुआ कांटे का मुकाबला

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Election Result: हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच हुआ, और प्रदेश के मतदाताओं ने क्षेत्रीय दलों को नकार दिया। पिछले चुनाव की तुलना में भाजपा और कांग्रेस दोनों की सीटों और मत प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है, जबकि क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन गिरा है। खासतौर पर जननायक जनता पार्टी (जजपा) के लिए यह चुनाव बेहद खराब साबित हुआ, जब उसे किसी भी विधानसभा सीट पर जीत नहीं मिली। इसके विपरीत, भाजपा और कांग्रेस ने चुनावी रण में अपना दबदबा बनाए रखा और क्षेत्रीय दलों के वोटों को बांटते हुए अपनी स्थिति मजबूत की।

भाजपा की ऐतिहासिक जीत

भाजपा ने इस चुनाव में 48 सीटों के साथ 39.94 प्रतिशत वोट हासिल किए। पिछले चुनाव में भाजपा को 40 सीटें मिली थीं और उसका मत प्रतिशत 36.49 था। इस बार भाजपा ने ना सिर्फ अपनी सीटों में बढ़ोतरी की, बल्कि मत प्रतिशत में भी लगभग तीन प्रतिशत का इजाफा किया, जो प्रदेश की राजनीति में एक नई मिसाल है। भाजपा की इस सफलता ने उसे राज्य की सबसे बड़ी और सबसे मजबूत पार्टी के रूप में स्थापित कर दिया।

कांग्रेस का मजबूत प्रदर्शन

कांग्रेस ने भी इस बार अपने प्रदर्शन में सुधार किया है। 2019 में कांग्रेस को 31 सीटें मिली थीं और उसका मत प्रतिशत 28.08 था। इस बार कांग्रेस को छह सीटों की बढ़ोतरी के साथ 37 सीटें मिली हैं और उसका मत प्रतिशत भी बढ़कर 39.09 हो गया है, जो भाजपा से महज एक प्रतिशत कम है। हालांकि, कांग्रेस की सीटों की संख्या भाजपा से 11 कम रही, लेकिन कई सीटों पर भाजपा की जीत का अंतर बेहद कम था, जो कांग्रेस के प्रदर्शन की मजबूती को दर्शाता है।

क्षेत्रीय दलों की स्थिति

इस बार क्षेत्रीय दलों के लिए चुनावी परिणाम बेहद निराशाजनक रहे। सबसे बुरा हाल जननायक जनता पार्टी (जजपा) का हुआ, जिसने पिछले चुनाव में 10 सीटें जीतने के साथ ही भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी। 2019 में जजपा को 14.80 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन इस बार के चुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिली और उसका वोट प्रतिशत घटकर महज 0.90 प्रतिशत रह गया। जजपा के नेता दुष्यंत चौटाला और उनके भाई दिग्विजय चौटाला भी चुनाव हार गए, जिससे पार्टी के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं।

इनेलो की मामूली बढ़त

इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने इस बार मामूली सुधार किया है। 2019 में इनेलो को एक सीट और 2.44 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन इस बार वह दो सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रहा और उसका वोट प्रतिशत थोड़ा बढ़कर 2.54 प्रतिशत हो गया। हालांकि, यह वृद्धि मामूली ही रही और पार्टी के लिए संघर्ष जारी है।

अन्य दलों की स्थिति

आम आदमी पार्टी (आप) का प्रदर्शन भी बेहद निराशाजनक रहा। उसे केवल 1.72 प्रतिशत वोट मिले, जबकि पिछले चुनाव में उसका वोट प्रतिशत कहीं ज्यादा था। वहीं, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का वोट प्रतिशत भी गिरकर 1.82 प्रतिशत पर आ गया, जो 2019 में 4.21 प्रतिशत था।

क्षेत्रीय दलों को हाशिये पर डाला

हरियाणा के चुनावी परिणामों से यह साफ है कि भाजपा और कांग्रेस ने मिलकर क्षेत्रीय दलों को पूरी तरह से हाशिये पर डाल दिया है। भाजपा ने सीटों और मत प्रतिशत दोनों में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की, जबकि कांग्रेस ने भी अपनी स्थिति मजबूत की, हालांकि भाजपा से पीछे रही। दूसरी ओर, जजपा और अन्य क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, और उनकी राजनीतिक ताकत में गिरावट आई। आने वाले समय में क्षेत्रीय दलों के लिए यह चुनावी परिणाम एक बड़ा सबक साबित हो सकता है।

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