सुप्रीम कोर्ट से हरियाणा सरकार को नहीं मिली राहत, होकर रहेगी शुभकरण सिंह की मौत की न्यायिक जांच

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई। सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रदर्शनकारी शुभकरण की मौत के मामले में हाई कोर्ट के आदेशों पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए सुनवाई 19 अप्रैल तक स्थगित कर दी। हरियाणा सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें एक प्रदर्शनकारी शुभकरण सिंह की मौत की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त हाई कोर्ट के जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी। खनौरी के पास हरियाणा-पंजाब सीमा पर 21 फरवरी को प्रदर्शनकारी किसानों और हरियाणा के बीच झड़प के बाद शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी।

सरकार की दलील, न्यायिक जांच की कोई आवश्यकता नहीं

 

सात मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में मुख्य रूप से तर्क दिया है कि जब राज्य पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर ली है और मामले की जांच करने के लिए तैयार है, तो जज की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। हरियाणा सरकार ने अपील में कहा है कि हरियाणा पुलिस इस मामले की जांच में न सिर्फ पूरी तरह से सक्षम है, बल्कि जांच को भी तैयार है।

पूर्व जस्टिस जयश्री ठाकुर करेंगे जांच की अध्यक्षता

इस मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी गठित करते समय हाई कोर्ट ने यह भी नहीं कहा था कि अभी तक की जांच में कोई कमी है। वहीं इस घटना के दौरान हरियाणा पुलिस के साथ केंद्रीय सुरक्षा बल भी तैनात था। ज्ञात रहे कि हाई कोर्ट की पीठ ने आदेश दिया था कि तीन सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस जयश्री ठाकुर करेंगे। उनके साथ हरियाणा के एडीजीपी अमिताभ सिंह ढिल्लों व पंजाब के एडीजीपी प्रमोद बन को कमेटी का हिस्सा बनाया है। जस्टिस जयश्री ठाकुर को प्रतिमाह पांच लाख रुपये का भुगतान दोनों सरकारों को बराबर हिस्से में करना होगा। कमेटी तय करेगी कि शुभकरण की मौत हरियाणा के क्षेत्राधिकार में हुई थी या पंजाब के क्षेत्र में। मौत का कारण क्या था और किस हथियार का इस्तेमाल किया गया था। आंदोलनकारियों पर बल प्रयोग किया गया था, क्या वह परिस्थितियों के अनुरूप था या नहीं। साथ ही शुभकरण की मौत के मुआवजे को लेकर भी कमेटी फैसला लेगी।

हरियाणा व पंजाब सरकार को लगाई थी फटकार

 

एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने किसान शुभकरण की मौत के बाद एफआइआर दर्ज करने में देरी पर हरियाणा व पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि दोनों राज्य जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने का प्रयास कर रहे हैं। राज्यों द्वारा दायर हलफनामे पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा था कि मौत जाहिर तौर पर अत्यधिक पुलिस बल का मामला है। इस दौरान हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा था कि किसानों पर गोलियां क्यों दागी गई। हरियाणा सरकार ने बताया कि प्रदर्शनकारियों की हिंसक कार्रवाई में 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे और कई बार चेतावनी के बाद पहले लाठीचार्ज, फिर आंसू गैस, फिर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया, लेकिन जब बात नहीं बनी तो रबर की गोलियां चलाई गई।

Tag-Haryana government, Supreme Court, Shubhakaran Singh death inquiry, Punjab and Haryana High Court, Kisan Andolan

 

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