Haryana News: हरियाणा सरकार का BPL सूची से अचानक 6.36 लाख परिवारों को बाहर करना: विवाद, सवाल और जांच की मांग

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana News: हरियाणा सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है, जिसने प्रदेश के लाखों गरीब परिवारों को झकझोर कर रख दिया है। सरकार ने अपने नवीनतम आंकड़ों के आधार पर 30 जून, 2024 को जारी डेटा के अनुसार, बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी में शामिल परिवारों की संख्या में अचानक करीब 6.36 लाख की गिरावट कर दी है। इस बदलाव के साथ ही अब प्रदेश में बीपीएल परिवारों की संख्या 52 लाख से घटकर लगभग 46 लाख हो गई है। सरकार का तर्क है कि इन परिवारों की सालाना आय अब 1.80 लाख रुपये से ऊपर पहुंच गई है और उनके पास महंगी गाड़ियां भी हैं, जिसके आधार पर उन्हें बीपीएल सूची से बाहर कर दिया गया है।
आय और संपत्ति के आधार पर बदलाव
सरकार का दावा है कि इन परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधर गई है। खाद्य आपूर्ति निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार, जिन परिवारों को बीपीएल श्रेणी से हटाया गया है, उनमें से अधिकांश की सालाना आय 1.80 लाख रुपये से ऊपर बताई गई है। इसके अलावा, सरकार ने यह भी तर्क दिया है कि इन परिवारों के पास महंगी गाड़ियां हैं, जो निश्चित रूप से उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार का संकेत हैं।
सरकार का कहना है कि इन आंकड़ों के आधार पर, अब इन परिवारों को सरकारी योजनाओं के तहत मुफ्त राशन, सब्सिडी और अन्य लाभ नहीं मिलेंगे। यह कदम सरकार की ओर से गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सुधार की दिशा में उठाया गया एक प्रयास माना जा रहा है।
30 जून को जारी डेटा और बदलाव का स्वरूप
30 जून, 2024 को खाद्य आपूर्ति निदेशालय ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें हरियाणा में बीपीएल परिवारों का आंकड़ा 52,50,740 से घटाकर 46,14,604 कर दिया गया है। यानी, करीब 6,36,136 परिवारों के नाम इस सूची से हटा दिए गए हैं।
यह आंकड़ा कई सवाल खड़े करता है। कैसे इतना बड़ा बदलाव बिना व्यापक सर्वेक्षण या निरीक्षण के संभव है? क्या यह आंकड़ों में पारदर्शिता और सहीता पर सवाल नहीं उठाता?
राशन कार्ड रद्द करने का आंकड़ा
सबसे अधिक राशन कार्ड हरियाणा के फरीदाबाद, पानीपत और करनाल जैसे महानगरों में रद्द किए गए हैं। फरीदाबाद में 20,266 कार्ड रद्द किए गए, जो प्रदेश में सबसे अधिक हैं। इसके बाद, पानीपत में 15,502 और करनाल में 15,059 कार्ड हटा दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, अंबाला, गुरुग्राम, सोनीपत और यमुनानगर जैसे जिलों में भी हजारों परिवारों के राशन कार्ड निरस्त किए गए हैं।
यह आंकड़ा दर्शाता है कि बदलाव का असर प्रदेश के कई जिलों में व्यापक रूप से हुआ है। यह भी संकेत देता है कि इस प्रक्रिया में कुछ परिवारों के साथ गड़बड़ी हुई है, जिनके नाम से गलत वाहन या आय का उल्लेख कर उन्हें बीपीएल सूची से हटा दिया गया है।
गड़बड़ी और विवाद
वास्तविकता में कई परिवारों ने इस बदलाव को लेकर आपत्ति जताई है। उदाहरण के तौर पर, सिरसा जिले में एक रेहड़ी वाले का नाम सामने आया है, जिसके नाम पर तीन बड़ी गाड़ियां दर्ज कर दी गई हैं। मनोज कुमार नामक इस व्यक्ति का कहना है कि उसके पास न तो तीन गाड़ियां हैं और न ही उसकी आय इतनी है।
यह मामला इस बात को उजागर करता है कि गलत जानकारी या गड़बड़ी के कारण कई परिवारों का नाम बीपीएल सूची से हटा दिया गया है। सिरसा जिले के मनोज कुमार ने बताया कि उनके पास केवल एक साइकिल है और वे किराए के मकान में रहते हैं। उनके नाम पर दर्ज गाड़ियां या उनकी आय का आंकड़ा पूरी तरह झूठा है।
कैसे हुई यह गड़बड़ी?: आय और वाहन विवरण में अनियमितता
इस मामले में एक बड़ा प्रश्न यह उठता है कि आखिरकार कैसे इन गलतियों हुईं। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ परिवारों के नाम पर बिना किसी सर्वे के उनके आय में अचानक वृद्धि कर दी गई है, और उनके नाम पर महंगी गाड़ियां भी दर्ज कर दी गई हैं।
यह संभव है कि कुछ गड़बड़ियों का कारण डेटा प्रविष्टि में त्रुटि हो, या फिर किसी जानबूझकर की गई गड़बड़ी ताकि लाभार्थियों की संख्या कम दिखाई जाए। उदाहरण के तौर पर, सिरसा जिले में एक रेहड़ी वाले का नाम तीन गाड़ियों के साथ जुड़ा हुआ है, जबकि वह खुद किराए के मकान में रहता है और उसकी आय बहुत कम है।
चुनाव के बीच लाभार्थियों की सूची में अचानक वृद्धि और फिर कमी
एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि, लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच, बीपीएल कार्ड के लाभार्थियों की सूची में अचानक 5 लाख का इजाफा हुआ था। यह संकेत करता है कि सरकार ने इस दौरान लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने का प्रयास किया। लेकिन जैसे ही नई सरकार बनी, यह संख्या घटने लगी है। अब तीसरी बार भाजपा सरकार ने सत्ता संभाली है, और लाभार्थियों की सूची से बार-बार कटौतियां शुरू हो गई हैं। इसका संकेत है कि पहले की गई भारी संख्या में लाभार्थियों को गलत तरीके से जोड़ा गया था, और अब उन्हें हटाया जा रहा है।
प्रभावित परिवारों का अनुभव: राशन कार्ड क्यों हुआ रद्द?
अनेक परिवारों ने बताया है कि, जब वे राशन लेने गए, तो उन्हें पता चला कि उनके राशन कार्ड रद्द कर दिए गए हैं। कई का कहना है कि उन्हें अपने नाम पर कोई बड़ा वाहन या संपत्ति का पता नहीं है। फिर यह कैसे हो गया कि उनके नाम पर गाड़ियां दर्ज कर दी गईं?
सिरसा के मनोज कुमार ने बताया कि उनके पास केवल एक साइकिल है, लेकिन उनके नाम पर तीन गाड़ियां दिखा दी गई हैं। इससे साफ है कि डेटा में भारी गड़बड़ी है।
क्या यह प्रक्रिया पारदर्शिता से हुई?
यह मामला सरकार के आधिकारिक आंकड़ों और परिवारों की वास्तविक स्थिति के बीच बड़े अंतर को उजागर करता है। यदि आंकड़ों में ही गड़बड़ी है, तो यह सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकार की यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ हुई है।
गड़बड़ी का यह सिलसिला न केवल गरीब परिवारों को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
सुधार की जरूरत और जांच की मांग
इस पूरे प्रकरण से स्पष्ट है कि हरियाणा सरकार को अपने आंकड़ों की जांच करानी चाहिए और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए। यदि गलत जानकारी के आधार पर परिवारों का नाम बीपीएल सूची से हटा दिया गया है, तो इससे न केवल गरीब परिवारों को नुकसान होगा, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता पर भी प्रभाव पड़ेगा।
सभी प्रभावित परिवारों को न्याय दिलाने और इस गड़बड़ी की निष्पक्ष जांच करवाने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए। साथ ही, यह जरूरी है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और सहीता प्राथमिकता बने।