हरियाणा में एकसाथ 24 अधिकारी-कर्मचारी सस्पेंड:प्रदूषण बढ़ने पर एक्शन, 14 शहरों का AQI खतरनाक लेवल पर

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana News: हरियाणा में प्रदूषण की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि से प्रदूषण के स्तर में खतरनाक इजाफा हुआ है, जिससे सरकार और प्रशासन को कड़े कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा है। इसी संदर्भ में, राज्य के कृषि विभाग ने लापरवाही बरतने वाले 24 अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। निलंबित किए गए अधिकारियों में एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर (ADO) से लेकर एग्रीकल्चर सुपरवाइजर और अन्य कर्मचारी शामिल हैं। यह कार्रवाई 9 जिलों में हुई है, जिनमें पानीपत, जींद, हिसार, कैथल, करनाल, अंबाला, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र और सोनीपत शामिल हैं। इन जिलों में पराली जलाने की घटनाओं पर उचित नियंत्रण न कर पाने के कारण इन अधिकारियों पर यह सख्त कदम उठाया गया है।

प्रदूषण का बढ़ता स्तर

 

हरियाणा के विभिन्न जिलों में वायु प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। खासतौर से कुरुक्षेत्र में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 423 तक पहुंच चुका है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। राज्य के 14 शहरों में AQI 300 से ऊपर दर्ज किया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रदूषण पर जल्द नियंत्रण नहीं पाया गया, तो हरियाणा में स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके चलते, दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ हरियाणा के कई जिलों में भी सख्त कदम उठाए गए हैं। एनसीआर में आने वाले फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, जींद और करनाल जैसे जिलों में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP-2) लागू किया गया है, जो प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई कड़े प्रावधानों को शामिल करता है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव और बचाव के उपाय

 

प्रदूषण का बढ़ता स्तर लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है। डॉक्टरों ने लोगों को सलाह दी है कि वे बाहर निकलते समय N-95 मास्क का उपयोग करें। इसके अलावा, आँखों को साफ पानी से बार-बार धोने की भी सिफारिश की गई है ताकि स्मॉग के प्रभाव से बचा जा सके। विशेष रूप से बुजुर्गों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने से बचने की सलाह दी गई है।

पराली जलाने पर प्रशासन की सख्त कार्रवाई

पराली जलाने को लेकर हरियाणा सरकार और प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। कैथल जिले में 14 किसानों को पराली जलाने के मामलों में गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, सभी को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। अब तक 123 मामले सामने आ चुके हैं। हिसार जिले में कृषि विभाग ने 11 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

अलग-अलग गांवों के कई किसानों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जा रही है। उदाहरण के तौर पर, बरवाला के सरसाना गांव के वेदपाल, नया गांव के राजपाल, खरक गांव के गुरदीप और अन्य किसानों पर केस दर्ज किए गए हैं। वहीं, कुरुक्षेत्र में 58 किसानों के फॉर्म रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ दर्ज की गई है। यह कार्रवाई पराली जलाने के बढ़ते मामलों को देखते हुए की गई है।

अंबाला जिले में फसल अवशेष जलाने पर 35 किसानों पर कार्रवाई की गई है, जिनके कृषि अभिलेखों में ‘रेड एंट्री’ दर्ज की गई है। जींद जिले में 38 जगहों पर पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं और 17 किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। फतेहाबाद जिले में पराली जलाने पर 3 पटवारियों सहित 16 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

सिरसा में भी पराली जलाने के मामले में तीन महिलाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। पानीपत जिले में 11 कर्मचारियों को नोटिस जारी किया गया है, जिनमें SDO भी शामिल हैं।

आगे की संभावनाएं

पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए हरियाणा सरकार और कृषि विभाग सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। सरकार ने पराली न जलाने के लिए किसानों को सब्सिडी के तहत कृषि यंत्र प्रदान किए हैं। साथ ही, जागरूकता अभियानों के माध्यम से किसानों को समझाने की कोशिश की जा रही है कि पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण के दूरगामी परिणाम खतरनाक हैं।

कृषि विभाग द्वारा उठाए गए सख्त कदम और प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपायों से यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में स्थिति में सुधार होगा। हालांकि, अगर प्रदूषण का स्तर ऐसे ही बढ़ता रहा तो हरियाणा को बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ सकता है।

सरकार की कोशिशें तभी सफल होंगी, जब अधिकारी, किसान और आम जनता मिलकर प्रदूषण के इस संकट से निपटने में सहयोग करेंगे।

 

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