हरियाणा में CPS नियुक्ति 3 सीनियर मंत्रियों ने रुकवाई, आदेश जारी होते ही कैबिनेट दर्जा देने का विरोध किया

राजेश खुल्लर

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana News: हरियाणा में नई सरकार के गठन के बाद पहली नियुक्ति पर ही विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राजेश खुल्लर को मुख्यमंत्री का मुख्य प्रधान सचिव नियुक्त करने और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने के फैसले से जुड़ा है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राजेश खुल्लर को अपने मुख्य प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त किया, जो उस समय तक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा था। लेकिन जैसे ही उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने की अधिसूचना जारी की गई, विवाद शुरू हो गया।

खबरों के मुताबिक, सरकार के कई वरिष्ठ नेताओं और तीन कैबिनेट मंत्रियों ने खुल्लर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने पर कड़ा विरोध जताया। उनका तर्क था कि जहां वे चुनाव जीतकर सत्ता में आए हैं, वहीं एक पूर्व आईएएस अधिकारी को बिना किसी जनादेश के सीधे कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जा रहा है। इसके चलते सरकार को शुक्रवार रात 8 बजे जारी किए गए नियुक्ति आदेशों को रात 12 बजे ही वापस लेना पड़ा।

नियुक्ति में पेंच और विवाद

सूत्रों के अनुसार, इस नियुक्ति में विवाद की मुख्य वजह यह रही कि आदेशों में खुल्लर को कैबिनेट रैंक और पद की अवधि सीधे मुख्यमंत्री के कार्यकाल से जोड़ दी गई थी। इससे पहले कभी किसी सेवानिवृत्त अधिकारी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा नहीं दिया गया था, खासकर हरियाणा में। हालांकि, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के समय ऐसा किया जा चुका है।

राजेश खुल्लर 1988 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं और हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाते हैं। खुल्लर, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के पिछले कार्यकाल में भी मुख्य प्रधान सचिव थे और इससे पहले वे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के प्रधान सचिव और मुख्य प्रधान सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं। उनकी नियुक्ति के साथ कैबिनेट रैंक देने के फैसले ने सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर तनाव पैदा कर दिया।

मंत्रियों का विरोध

 

जब खुल्लर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने की अधिसूचना जारी की गई, तो हरियाणा सरकार के तीन वरिष्ठ मंत्रियों ने इसका विरोध किया। इन मंत्रियों का मानना था कि एक पूर्व अधिकारी को चुनाव लड़े बिना कैबिनेट मंत्री का दर्जा देना अनुचित है। उनका यह भी कहना था कि यह उन नेताओं और मंत्रियों के लिए अनुचित संदेश होगा जो जनता के वोटों से चुने गए हैं। इन मंत्रियों ने इसे अपने पद की अवमानना के रूप में देखा और सरकार से तुरंत इस फैसले को वापस लेने की मांग की।

इस दबाव के चलते सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ा और रात 12 बजे के करीब नियुक्ति के आदेश वापस ले लिए गए। हालाँकि, राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में यह चर्चा है कि जल्द ही इस मुद्दे पर नया आदेश जारी किया जाएगा, जिसमें संभवतः खुल्लर को कैबिनेट रैंक नहीं दिया जाएगा, लेकिन उन्हें मुख्य प्रधान सचिव के पद पर बरकरार रखा जा सकता है।

सीएमओ में अन्य नियुक्तियां

राजेश खुल्लर की नियुक्ति के अलावा, मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में कई और महत्वपूर्ण पदों पर भी नियुक्तियां होनी बाकी हैं। इनमें मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, अतिरिक्त प्रधान सचिव, उपप्रधान सचिव, ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी), और एडवाइजर के पद शामिल हैं। इन सभी पदों पर नियुक्तियां जल्द की जानी हैं। वर्तमान में सीएमओ में कार्यरत अधिकारियों को अगर पुनः नियुक्त किया जाता है, तो इसके लिए भी नए आदेश जारी करने की आवश्यकता होगी।

राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव

यह विवाद स्पष्ट रूप से दिखाता है कि सरकार के भीतर कैबिनेट रैंक जैसे महत्वपूर्ण फैसलों पर एकराय नहीं है। पार्टी के भीतर वरिष्ठ मंत्रियों और नेताओं के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस घटना ने यह भी उजागर किया कि नौकरशाही और राजनीति के बीच सीमाओं को कैसे संतुलित रखा जाए, यह एक संवेदनशील मुद्दा है।

राजेश खुल्लर जैसे अनुभवी आईएएस अधिकारी की नियुक्ति मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की प्रशासनिक टीम को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई थी, लेकिन कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने से जुड़े विवाद ने इसे जटिल बना दिया। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है और क्या भविष्य में इस तरह की नियुक्तियों में कोई नई नीति अपनाई जाती है।

यह घटना हरियाणा की नई सरकार के लिए एक प्रारंभिक परीक्षा बन गई है, जहां उसे पार्टी के भीतर असंतोष और प्रशासनिक संतुलन को बनाए रखते हुए निर्णय लेने की चुनौती का सामना करना पड़ा है।

 

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