Haryana News:भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फिर हाई कोर्ट का झटका, ढींगरा आयोग पर तीसरे जज के फैसले के खिलाफ अर्जी खारिज

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana News: हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हाई कोर्ट ने एक बार फिर झटका दिया है। हाई कोर्ट ने ढींगरा आयोग पर तीसरे जज के फैसले के खिलाफ व स्पष्ट राय के लिए नए सिरे से निर्णय की आवश्यकता की हुड्डा की मांग को खारिज कर दिया है। हुड्डा के अनुसार, इस मामले पर तीनों जजों ने अलग-अलग राय रखी है। इसलिए इस पर नए सिरे से निर्णय की आवश्यकता है। हुड्डा मुख्य रूप से जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की संवैधानिक वैधता और मामले में आगे की जांच जारी रखने के संबंध में एक खंडपीठ के विपरीत निष्कर्षों पर अपनी राय देते हुए जस्टिस खेत्रपाल द्वारा पारित नौ मई के आदेश से व्यथित थे।
इस मामले में जस्टिस खेत्रपाल के फैसले पर सवाल उठाने वाली अपनी याचिका में हुड्डा ने अर्जी में कहा था कि जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने दूसरे जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की राय से स्पष्ट रूप से सहमति व्यक्त की है। हालांकि उसी फैसले में उन्होंने पहले जज अजय कुमार मित्तल द्वारा अपनाए गए इस तर्क का सहारा लेने की राय दी है कि आयोग को जांच आयोग अधिनियम की धारा आठ बी के तहत नोटिस जारी करने के चरण से कार्रवाई शुरू करने की छूट होगी।
तीन समान रूप से विभाजित राय
हुड्डा ने अपनी अर्जी में कहा था, क्योंकि जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल ने हरियाणा राज्य को केवल उसी विषय पर जांच आयोग नियुक्त करने की स्वतंत्रता दी है, क्योंकि ढींगरा आयोग की अवधि समाप्त हो जाने के कारण कानून में इसे जारी रखने की अनुमति नहीं थी। हुड्डा ने अर्जी में यह भी कहा कि वास्तव में, तीसरे जज ने संदर्भ की शर्तों के अनुसार खंडपीठ के किसी भी जज से सहमति नहीं जताई है और एक स्वतंत्र राय बनाई है, जो दोनों का मिश्रण है। इस तरह, जांच आयोग की रिपोर्ट को खारिज किए जाने के बाद भविष्य में की जाने वाली कार्रवाई के मुद्दे पर तीन समान रूप से विभाजित राय हैं।
बताया गया कि हाई कोर्ट के नियमों के अनुसार, जांच आयोग की रिपोर्ट को खारिज किए जाने के बाद भविष्य में की जाने वाली कार्रवाई का बिंदु इस मामले को अंतिम निर्णय के लिए एक या अधिक न्यायाधीशों के समक्ष प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है, क्योंकि मामले की सुनवाई करने वाले तीनों जजों ने अलग-अलग और समान रूप से विभाजित राय व्यक्त की है और इस मुद्दे पर जजों के बीच बहुमत की राय का अभाव है।
ढींगरा आयोग की रिपोर्ट के अस्तित्व पर पूर्व में उठाए जा चुके सवाल
इससे पहले जनवरी 2019 में हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने माना था कि गुरुग्राम में विवादास्पद भूमि सौदों की जांच करने वाले जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की रिपोर्ट “नान-एस्ट” (अस्तित्व में नहीं) है। हालांकि, इस मुद्दे पर खंडपीठ के दोनों जजों के अलग-अलग विचार होने के कारण कि क्या वही ढींगरा आयोग नए सिरे से रिपोर्ट तैयार करना जारी रखेगा या किसी अन्य आयोग को मामले की जांच करनी चाहिए, उनके विचार के लिए तीसरे जज को भेज दिया गया था। अपना मत देते हुए हाई कोर्ट के तीसरे जज अनिल खेत्रपाल ने अब स्पष्ट किया है कि हरियाणा सरकार आयोग को फिर से जांच जारी रखने के लिए कह सकती है।
ढींगरा आयोग की संवैधानिक वैधता को चुनौती
यह आदेश पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की याचिका पर पारित किया गया, जिन्होंने ढींगरा आयोग की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। हालांकि, खंडपीठ ने इस मुद्दे पर अलग-अलग राय दी कि क्या ढींगरा आयोग जारी रह सकता है और एक नई रिपोर्ट तैयार कर सकता है या मामले की जांच के लिए कोई अन्य आयोग गठित किया जाना चाहिए। मामले की जांच के लिए ढींगरा आयोग को जारी रखने के मुद्दे को फिर तीसरे जज के पास भेज दिया गया था।
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