Haryana News: पूर्व विधायक दिलबाग सिंह समेत 13 कारोबारियों पर दर्ज किया गया केस, जानें क्या है मामला
नरेंद्र सहारण, यमुनानगर: अवैध खनन और मनी लांड्रिंग में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के शिकंजे में फंसे इनेलो से पूर्व विधायक दिलबाग सिंह और कई अन्य खनन कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ रही हैं। पुलिस रिमांड पर चल रहे विधायक पर ईडी ने अवैध खनन, पर्यावरणीय नियमों में एनजीटी के निर्देशों के उल्लंघन और धोखाधड़ी समेत कई अन्य धाराओं में केस दर्ज कराया है। अब ईडी के जोनल कार्यालय गुरुग्राम के संयुक्त निदेशक नवनीत अग्रवाल की शिकायत पर पूर्व विधायक दिलबाग सिंह, राजेंद्र सिंह, कुलविंदर सिंह (पीएस बिल्डटेक), मनोज कुमार वधवा, अंगद सिंह मक्कड़, गुरप्रताप सिंह मान, रमन ओझा, राजेश चिकारा, इंद्रपाल सिंह, नसीब सिंह, निर्मल राय, मुकेश बंसल व रणबीर सिंह राणा पर प्रतापनगर थाने में केस दर्ज किया गया है।
संयुक्त निदेशक की शिकायत
पुलिस को मिली शिकायत के अनुसार, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 18 नवंबर 2022 को आदेश दिए थे कि तीन खनन फर्मों दिल्ली रायल्टी कंपनी, मुबारिकपुर रायल्टी कंपनी और डवलपमेंट स्ट्रैटीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर्यावरण नियमों के उल्लंघन और अवैध खनन करने के आरोपित है। इन पर जुर्माना लगाया गया। इसमें डेवलपमेंट स्ट्रैटीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को नौ वर्ष के लिए बोल्डर, बजरी और रेत के खनन के लिए यमुनानगर के रादौर ब्लाक के गांव पोबारी में 23.05 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई थी। खनन पट्टा पर फर्म ने 9 दिसंबर 2016 को साइट पर उत्पादन शुरू किया। दिल्ली रायल्टी कंपनी को बोल्डर, बजरी और रेत के खनन के लिए यमुनानगर जिले की छछरौली तहसील के गांव कोहलीवाला में 13.59 हेक्टेयर जगह आवंटित की गई थी। लीज अवधि आठ वर्ष थी। खनन पट्टा पर 11 अगस्त 2016 को उत्पादन शुरू किया।
एनजीटी के निर्देशों का उल्लंघन
मुबारिकपुर रायल्टी कंपनी को नौ वर्ष की अवधि के लिए छछरौली तहसील के गांव बेलगढ़ में 28 हेक्टेयर जमीन आवंटित की गई थी। खनन पट्टा पर 09 दिसंबर 2016 को उत्पादन शुरू किया था। इनमें एनजीटी के निर्देशों का उल्लंघन किया गया। न तो ग्रीन बेल्ट विकसित की गई। प्रगतिशील खदान को बंद नहीं किया गया। सीसीसीटीवी और जीपीएस सिस्टम नहीं लगाया गया। नदी के प्रवाह को मोड़ा गया। प्रवेश वेट ब्रिज उपलब्ध नहीं कराया गया। खनन पट्टों की अवधि समाप्त होन के बाद भी खनन जारी रखा। आरोप यह भी कि उपचारित सीवेज पानी की बजाय टैंकरों के माध्यम से परिवहन किए गए भूजल का उपयोग किया गया। निर्धारित गहराई से अधिक पर खनन किया गया। इसलिए पर्यावरण एक्ट के उल्लंघन के तहत मुआवजा लिया जाना चाहिए।