Haryana News: सहकारिता विभाग में सौ करोड़ का घोटाला करने वाले भ्रष्ट अफसर होंगे बर्खास्त, संपत्तियां अटैच करने की तैयारी

हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। हरियाणा के सहकारिता विभाग की एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (आइसीडीपी) में करीब 100 करोड़ रुपये के घोटाले के तार हर जिले में जुड़े हुए हैं। रेवाड़ी से शुरू हुआ यह घोटाला कैथल, करनाल और अंबाला तक ही पहुंचा था कि पकड़ में आ गया। अब पानीपत, गुरुग्राम और सोनीपत में इस घोटाले में जांच चल रही है। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के पास जो सूचनाएं हैं, उसके आधार पर इस घोटाले के तार राज्य के प्रत्येक जिले के रजिस्ट्रार सहकारी समितियों के कार्यालय से जुड़े हैं। यह विभाग ऐसा है, जो अधिक चर्चा में नहीं रहता। इसलिए इसमें अधिकारियों व आडिटरों ने मिलीभगत कर सरकार की आंखों में धूल झोंकने की पूरी कोशिश की, लेकिन पकड़ में आ गए। हरियाणा सरकार अब उन सभी 14 अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित, चार्जशीट तथा बर्खास्त करने की तैयारी में हैं, जिनके विरुद्ध एसीबी ने घोटाले में एफआइआर दर्ज की है। इनकी संपत्तियां भी अटैच होंगी।

सहकारिता विभाग में अफसरों पर हुई कार्रवाई

सहकारिता विभाग के एडीशनल डायरेक्टर नरेश गोयल एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के नोडल अधिकारी हैं, जबकि रजिस्ट्रार सहकारी समितियां राजेश जोगपाल ओवरआल इंचार्ज हैं। विभाग में घोटाला सामने आने के बाद राजेश जोगपाल ने विभाग के सीनियर आडिटर सुमित अग्रवाल को पिछले साल अक्टूबर में ही बर्खास्त कर दिया था, जबकि सहायक रजिस्ट्रार अनु कौशिक व उप मुख्य लेखा परीक्षक योगेंद्र अग्रवाल को बर्खास्त करने की सिफारिश संबंधी फाइल चला रखी है, जिस पर अभी फैसला नहीं हुआ है।
सुमित अग्रवाल को बर्खास्त करने की कार्रवाई नई नहीं है, लेकिन इसके बाद भी विभाग में अधिकारियों का खेल नहीं रुका तथा एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के पैसे से अधिकारी व कर्मचारी लेखा परीक्षकों, बैंकों तथा निजी व्यक्तियों की मदद से सरकार को चूना लगाने का काम करते रहे। इन अधिकारियों व कर्मचारियों ने सरकारी पैसे से बिल्डरों व प्राइवेट प्रापर्टी डीलरों की मदद से अपने नाम फ्लैट व प्लाट खरीद लिए। कुछ लोगों ने सोना तक खरीदा है तो कुछ ने पैसे ब्याज पर दिए हैं।

घोटाले की जांच का दायरा बढ़ेगा, हर जिले में होगी जांच

 

एंटी करप्शन ब्यूरो अब राज्य के सभी 22 जिलों में अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए उन अधिकारियों व कर्मचारियों को भी लपेटे में लेने की तैयारी में हैं, जो किसी तरह से बचे हुए हैं। सभी को पूछताछ के दायरे में लाया जाएगा। राज्य के सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल का कहना है कि इस तरह के घोटाले के लिए सीधे तौर पर रजिस्ट्रार सहकारी समितियां (आरसीएस) और नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी तथा जवाबदेही है। प्रदेश सरकार इन दोनों अधिकारियों से भी जवाब तलब करेगी। यदि सरकार संतुष्ट नहीं हुई तो उनके विरुद्ध कार्रवाई तय है। नोडल अधिकारी नरेश गोयल के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करने से लेकर विभागीय कार्रवाई की अनुमति संबंधी फाइल चल रही है, जिस पर जल्दी फैसला हो जाने की उम्मीद है।

मंत्री ने क्या कहा

 

सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल ने संकेत दिए कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के चंडीगढ़ आने के बाद इस पूरे घोटाले पर उनके साथ चर्चा की जाएगी। ऐसे में एसीबी ने जिन अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध मुकदमे दर्ज किए हैं, उन सभी को चार्जशीट करने के साथ ही निलंबित किया जाएगा तथा जरूरत पड़ने पर उन्हें बर्खास्त करने की कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी। एंटी करप्शन ब्यूरो के महानिदेशक एवं डीजी पुलिस शत्रुजीत कपूर का कहना है कि भ्रष्टाचारी चाहे कितना भी बड़ा हो, एसीबी की निगाह से नहीं बच सकता। उसके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

 

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