Haryana News: वर्षा न होने से सूखने लगे धान के पौधे, 42 प्रतिशत खेत अभी खाली

नरेन्द्र सहारण, सोनीपत: Haryana News:  मानसून में उपमंडल में वर्षा न होने से सूखे जैसे हालत बन गए हैं। जून और जुलाई में अब तक मात्र सात एमएम वर्षा हुई है। जिन किसानों ने ट्यूबवेलों से सिंचाई करके धान की रोपाई की थी, अब उनके खेत सूखने लगे हैं। किसान ट्यूबवेलों से सिंचाई करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पानी की पूर्ति नहीं हो रही है। धान के खेतों में सूखी मिट्टी की परत उखड़ने लगी है। कुछ किसानों की धान के पौधे भी सूख गए हैं। अब किसानों की हिम्मत जवाब देने लगी है। वर्षा न होने से हालात ऐसे बन गए हैं कि किसान केवल 58 प्रतिशत खेतों में ही धान, ज्वार, कपास व गन्ने की फसल लगा पाए थे और 42 प्रतिशत खेत अब तक खाली पड़े हैं। अब कुछ किसानों ने धान के पौधे सूखने पर जोताई की तैयारी कर ली है।

वर्षा होने का इंतजार

उपमंडल में लगभग 1.68 लाख एकड़ भूमि है, जिसमें से 1.57 लाख एकड़ में खेती होती है। इसमें किसान हर वर्ष लगभग 1.30 लाख एकड़ में धान उगाते थे। बाकी की भूमि में बाजरा, चारा, कपास और गन्ना उगाया जाता है। 2023 में मध्य जुलाई तक क्षेत्र में लगभग 85 प्रतिशत किसान धान की रोपाई पूरी कर कर चुके थे, लेकिन इस बार लगभग 58 प्रतिशत ही बिजाई व रोपाई हो पाई है। काफी किसानों के खेत खाली पड़े हुए हैं और वे वर्षा होने का इंतजार कर रहे हैं। 15 जून के बाद जिन किसानों ने ट्यूबवेलों के सहारे धान की रोपाई व बिजाई की थी, वर्षा न होने से अब उनकी भी परेशानी बढ़ने लगी है। ट्यूबवेलों से पानी की पूर्ति नहीं हो पा रही है। काफी किसानों के खेतों में अब धान के पौधे सूखने लगे हैं। सिंचाई न हो पाने से जगह-जगह खेतों में मिट्टी सूखने से दरारें आ गई हैं और मिट्टी की परतें उखड़ रही हैं। जल्द वर्षा न होने पर कुछ किसान धान के खेतों की जोताई करने की तैयारी कर रहे हैं।

जुलाई में अब तक नहीं हुई वर्षा

उपमंडल में जून में केवल सात एमएम वर्षा हुई थी। जुलाई में अब तक वर्षा नहीं हुई है। पिछले वर्ष जून और जुलाई में पूरे उपमंडल में अच्छी वर्षा हुई थी। इससे धान का उत्पादन भी अच्छा हुआ था। इस बार वर्षा न होने से किसानों के सामने धान की फसल तैयार करने की चुनौती बन गई है।

वर्षा न के बराबर हुई

 

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एसडीओ डा. राजेंद प्रसाद ने कहा कि मानसून में इस बार उपमंडल में वर्षा न के बराबर हुई है। जुलाई में वर्षा ही नहीं हुई है जबकि जून में सात एमएम हुई थी। वर्षा कम होने के चलते अब तक 58 प्रतिशत खेतों में ही धान की रोपाई व बिजाई और दूसरी फसलों की बिजाई हुई है। जिन किसानों ने कम गहरे ट्यूबवेलों से धान की रोपाई की थी, उनकी भी अब परेशानी बढ़ गई है।

 

इस बार गोहना में कृषि की स्थिति

कुल भूमि—1.68 लाख एकड़
कृषि योग्य भूमि—1.57 लाख एकड़
धान की रोपाई का क्षेत्र—1.30 लाख एकड़
अब तक रोपाई हुई—88.8 हजार एकड़
कपास की बिजाई—928 एकड़
बाजरा की बिजाई—450 एकड़
चारा की बिजाई—3390 एकड़
गन्ना की बिजाई—5539 एकड़
कुल बिजाई—98.6 हजार एकड़ (58 प्रतिशत)

नोट—2023 में जुलाई के मध्य तक 85 प्रतिशत खेतों में धान की रोपाई और दूसरी फसलों की बिजाई हो चुकी थी।

जुलाई 2023 — वर्षा एमएम में

5—12
6—14
8—9
9—39
10—3
11—43
15—9
16—11
18—28
20—3
26—128
29—27
कुल—-326

नोट-जुलाई 2024 में अब तक गोहाना में वर्षा नहीं हुई

जून 2023 में वर्षा—166 एमएम
जून 2024 में वर्षा—7 एमएम

 

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