हरियाणा के शहीद CRPF इंस्पेक्टर को अंतिम विदाई, बेटे ने दी मुखाग्नि; पार्थिव देह देख पत्नी ने सैल्यूट कर वंदे मातरम का नारा लगाया

नरेन्द्र सहारण, जींद :  जम्मू-कश्मीर के ऊधमपुर के बसंतगढ़ में आतंकवादी हमले में बलिदान हुए निडानी गांव निवासी सीआरपीएफ इंस्पेक्टर कुलदीप मलिक का बुधवार सुबह गांव में अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। कुलदीप की मां और पत्नी ने खुद ही आंसू पोछते हुए हौसला दिखाया। कुलदीप मलिक की मां शांति देवी ने घर पहुंची सीआरपीएफ के अधिकारियों के सिर पर हाथ रख कर कहा कि उनका एक बेटा गया है। वे सभी उनके बेटे हैं। ऐसा कुलदीप हर कोख से जन्म ले। पत्नी लक्ष्मी देवी ने कहा कि ऐसा पति सभी को मिलना चाहिए। उनकी पत्नी लक्ष्मी ने पार्थिव देह को सेल्यूट कर वंदेमातरम का नारा लगाया।

शहीद का बेटा विलाप करती मां को संभालते हुए।

निडानी गांव में पहुंचा शहीद कुलदीप मलिक का पार्थिव शरीर।

शहीद को सलामी देते बच्चे।

आतंकवादी हमले में कुलदीप शहीद हो गए

 

कुलदीप मलिक जम्मू-कश्मीर के उधमपुर के बसंतगढ़ में तैनात थे। इस दौरान आतंकवादी हमले में उनकी जान चली गई। घटना 19 अगस्त को दोपहर बाद हुई थी। बुधवार को सुबह करीब नौ बजे पार्थिव शरीर घर पहुंचा, जहां काफिले की शक्ल में उनकी पार्थिव देह को गांव तक लाया गया।हालांकि, गांव में स्वजन को घटना के दिन ही सूचना मिल गई थी, लेकिन बलिदानी कुलदीप मलिक के माता-पिता व पत्नी को इसकी जानकारी नहीं दी गई। बुधवार सुबह उन्हें सूचना मिली तो तीनों आंसुओं को रोक नहीं पाए। कुछ ही देर में अपने आप को संभाल लिया। बलिदानी की पत्नी अंतिम संस्कार में शामिल हुई। पिता की शहादत पर बेटे ने कहा कि हर दिन कोई न कोई अपना बेटा या पिता खो रहा है, हमें पाकिस्तान से बदला लेना चाहिए।

बेटे ने शहीद पिता को मुखाग्नि दी।

शहीद इंस्पेक्टर कुलदीप मलिक राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार में किया गया।
रक्षाबंधन पर लड़कियों को पैसे देते हुए कहा था- क्या पता वापस नहीं आ सकूं

 

बलिदानी कुलदीप मलिक के भांजे विकास ने बताया कि घटना के समय उनके साथ रहे दूसरे सैनिकों ने बताया कि कुलदीप मलिक रक्षाबंधन के दिन घटनास्थल पर जा रहे थे। सड़क पर कुछ स्कूली लड़कियां राखी लिए खड़ी थीं। उन्होंने लड़कियों को पैसे देने चाहा तो लड़कियों ने कहा कि वापसी पर पैसे दे दें। इस पर कुलदीप मलिक ने उन्हें पैसे दिए और कहा- क्या पता वापस नहीं लौट सकूं। उन्हें पता था कि यह क्षेत्र काफी खतरनाक है। जब आतंकवादी हमला हुआ, कुलदीप मलिक ने अपनी पूरी प्लाटून को पीछे रखा और स्वयं आगे रहे।

भारी संख्या में लोग मौजूद।

पोस्ट का निरीक्षण करने गए थे कुलदीप

 

घटना के समय कुलदीप मलिक के साथ रहे एसआइ बसंतपाल ढाका ने बताया कि बसंतगढ़ के पास डुडु नामक जगह पर सीआरपीएफ ने नई पोस्ट बनाई है। इसका निर्माण चल रहा है। दोपहर करीब दो बजे वे लोग निरीक्षण करने गए थे। इस प्लाटून का नेतृत्व कुलदीप मलिक ही कर रहे थे। यह संवेदनशील क्षेत्र है, ऐसे में सभी सुरक्षाकर्मियों ने हेलमेट व अन्य सुरक्षा प्रबंध किए थे, लेकिन घात लगाकर बैठे आतंकवादियों ने स्नाइपर हमला किया। इस दौरान कई राउंड फायर हुए और इनमें से एक गोली सीधे इंस्पेक्टर कुलदीप मलिक के सिर में लगी।

बेटा बोला- पिता पर गर्व, मैं भी बलिदान के लिए तैयार

इस दौरान बलिदानी कुलदीप मलिक के छोटे बेटे संजय ने कहा कि उन्हें अपने पिता पर गर्व है। ऐसा पिता सभी को मिलना चाहिए। यदि जरूर पड़ी तो वे भी देश के लिए बलिदान होने को तैयार हैं।

2 बेटे, एक सेना तो दूसरा रेलवे पुलिस में

कुलदीप मलिक का परिवार फिलहाल दिल्ली रहता है। वह कुश्ती के राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुके हैं। उन्होंने कई मेडल जीते थे। 34 साल पहले वह खेल कोटे से CRPF में कॉन्स्टेबल भर्ती हुए थे। 54 वर्षीय कुलदीप मलिक जल्द DSP प्रमोट होने वाले थे।

उनके 2 भाई दिलबाग और सतपाल गांव में खेती करते हैं। कुलदीप के बड़े बेटे नवीन सेना में ड्राइवर के पद पर दिल्ली में तैनात हैं और छोटा बेटा संजय रेलवे पुलिस में अमृतसर में तैनात हैं। दोनों बेटे शादीशुदा हैं।

2 माह पहले छुट्टी पर आए थे

ग्रामीणों ने बताया कि कुलदीप 2 माह पहले ही गांव में छुट्टी पर आए थे। कुलदीप हर वर्ष गांव में होने वाले जागरण में बढ़ चढ़कर भाग लेते थे। जागरण में होने वाले खर्च में भी सहयोग करते थे। मिलनसार स्वभाव होने के कारण लोग उनको चाहते थे। 6 साल बाद उनकी रिटायरमेंट होनी थी।

 

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