Haryana News: हाई कोर्ट ने कहा, गवाह से ट्रायल में तोते की तरह बयान दोहराने की उम्मीद रखना सही नहीं, जानें क्या है मामला

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana News: जब गवाह लंबे समय के बाद गवाही दे रहा हो तो सच्चे गवाह के बयान में भी विसंगतियां दिखाई दे सकती हैं। गवाहों से ट्रायल कोर्ट के समक्ष तोते की तरह बयान देने की उम्मीद नहीं की जा सकती। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह अहम टिप्पणी करते हुए हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा के खिलाफ अपील को सिरे से खारिज कर दिया।

2002 में हिसार की अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा को चुनौती

ओम प्रकाश ने हत्या के मामले में 2002 में हिसार की अदालत द्वारा दोषी करार देने और उम्रकैद की सजा के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि घटना 05 अक्टूबर, 1997 को हुई थी। 06.10.1997 को पुलिस ने पैलेट्स युक्त पार्सल को अपने कब्जे में ले लिया था जिसे डॉक्टर ने रमेश कुमार के शव से पोस्टमार्टम के समय निकाला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृत्यु का कारण चोटों के परिणामस्वरूप रक्तस्राव और सदमा था। सभी चोटें गोली लगने के कारण आई थी। रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे यह पता चले कि गवाहों ने अपीलकर्ता के खिलाफ झूठी गवाही दी थी।

याचिका खारिज कर दोषसिद्धि को बरकरार रखा

न्यायालय ने अपीलकर्ता के वकील द्वारा उठाए गए इस तर्क को खारिज कर दिया कि दोनों गवाहों की गवाही असंगत थी। अदालत ने कहा कि दोनों गवाह ग्रामीण हैं और उन्हें घटना के कई महीनों बाद ट्रायल कोर्ट में पेश होने का मौका मिला था। वास्तव में जब गवाह इतने लंबे समय के बाद गवाही दे रहे थे, तो सच्चे गवाहों के बयानों में भी कुछ असंगतताएं दिखाई देंगी और गवाहों से ट्रायल कोर्ट के सामने तोते की तरह बयान देने की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। इस टिप्पणी के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और दोषसिद्धि को बरकरार रखा।

 

 

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