हरियाणा के जींद जिले में 3800 एकड़ में स्थापित होगा औद्योगिक क्षेत्र, इन गांवों की हुई बल्ले-बल्ले
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: जल्द ही जींद जिला औद्योगिक क्षेत्र के नाम से भी जाना जाएगा। राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी और जम्मू-कटरा एक्सप्रेसवे के जींद से निकलने से औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने की सभी प्रकार की संभावनाएं पैदा हो गई हैं। सरकार की योजना पिल्लूखेड़ा क्षेत्र के आसपास 3,800 एकड़ में औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने की है। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शुक्रवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इसकी घोषणा की। किसानों से जमीन खरीदने के लिए सरकार ने ई-लैंड पोर्टल पर जमीन मांगी है। कई किसानों ने अपनी जमीन औद्योगिक क्षेत्र को देने का प्रस्ताव भी भेजा है। अगले साल तक योजना पर काम शुरू होने की उम्मीद है।
एक्सप्रेस-वे बदल देगा जींद की तस्वीर
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 152-डी पहले ही लॉन्च किया जा चुका है और दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे और ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे भी अगले साल लॉन्च किया जाएगा। इसके अलावा, कई अन्य राष्ट्रीय राजमार्ग भी जींद से होकर गुजरते हैं। जींद से लेकर दिल्ली, रोहतक, हिसार, कैथल, चंडीगढ़, नारनौल, पटियाला सभी प्रमुख शहर राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़े हुए हैं। इस हाईवे के बनने से जिला चारों तरफ से यातायात से जुड़ जाएगा और ये एक्सप्रेसवे जींद की तस्वीर बदल देंगे।
जिले के युवाओं को लाभ होगा
मौजूदा समय में जींद जिले से युवा रोहतक, दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पटियाला और अंबाला में काम करने जाते हैं। इससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है। जींद में औद्योगिक क्षेत्र खुलने से इन युवाओं को दूसरे जिलों में नहीं जाना पड़ेगा बल्कि अपने स्थानीय शहर में ही रोजगार मिलेगा। साथ ही अन्य बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे।
किसानों से मांगी गई जमीन
सरकार के मुताबिक साइट-1 के लिए 2,000 एकड़ जमीन की जरूरत है। इस उद्देश्य के लिए खरक गदियान गांव की लगभग 440 एकड़, ढाठरथ की 1080 एकड़, जामनी की 315 एकड़, खेड़ तलोरा की 150 एकड़ और अमरावली खेड़ा गांव की 15 एकड़ जमीन की पहचान की गई है। साइट नंबर दो के लिए 1800 एकड़ जमीन मांगी गयी है। इस उद्देश्य के लिए जामनी गांव में 890 एकड़, भूरान गांव में 610 एकड़ और अमरावली खेड़ा में 300 एकड़ जमीन की पहचान की गई है। इन गांवों में कई किसान तो अपनी जमीन तक छोड़ने को तैयार हैं। उम्मीद है कि जल्द ही सभी किसान अपनी जमीन देने के लिए हां कर देंगे और प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल जाएगी।