Haryana News: अब पंचकूला में 150 करोड़ की जमीन की सवा पांच करोड़ में रजिस्ट्री की कोशिश नाकाम

नायब सिंह सैनी और मनोहर लाल।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। हरियाणा मंत्रिमंडल के फर्जी पत्र से करीब 500 करोड़ रुपये की जमीन हथियाने की साजिश रचने का मामला अभी पूरी तरह सुलझा भी नहीं कि प्रदेश सरकार की सरप्लस जमीन को अपने नाम कराने का बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। यह जमीन करीब 150 करोड़ रुपये की है, जिसका मोल भाव करीब 11 करोड़ रुपये में हुआ और सवा पांच करोड़ रुपये में रजिस्ट्री कराने की कोशिश की जा रही थी। जमीन के इस खेल में कई रिटायर्ड और मौजूदा अधिकारी शामिल हैं, जिनकी आंतरिक जांच आरंभ कर दी गई है।

जमीन की रजिस्ट्री कराने पर रोक लगा दी

 

मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त टीवीएसएन प्रसाद की जानकारी में जब यह मामला आया तो उन्होंने जमीन की रजिस्ट्री कराने पर रोक लगा दी। साथ ही जिला उपायुक्तों को आदेश दिए हैं कि उनके जिलों में जितनी भी सरप्लस जमीन है, उसका पूरा रिकार्ड सरकार के पास भेजा जाए। यह रिपोर्ट भी प्रेषित की जाए कि सरकार की सरप्लस जमीन पर किन-किन लोगों के कब्जे हैं। ऐसे कब्जों वाली जमीन की खरीद-फरोख्त के साथ ही यदि रजिस्ट्री हुई है तो उसकी भी पूरी डिटेल मांगी गई है। टीवीएसएन प्रसाद ने जिला उपायुक्तों से साफ कह दिया है कि यदि भविष्य में ऐसे मामले उनके संज्ञान में आए तो वह अपनी कलम से उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेंगे।

अधिकारियों की मिलीभगत

हरियाणा सरकार के मौजूदा कुछ आइएएस और वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से कुछ रिटायर्ड आइएएस अधिकारियों ने सरकार की सरप्लस जमीन को अपने नाम कराने की कोशिश की। हालांकि इस जमीन के पैसे का मामूली भुगतान किया गया, लेकिन नियमों के मुताबिक ऐसी जमीन खरीदी या बेची नहीं जा सकती और उसका इंतकाल सरकार के नाम ही चढ़ता है। रिकार्ड के मुताबिक राजा भगवंत सिंह की पंचकूला के सात गांवों बीड़ बाबूपुर, बीड़ फिरोजड़ी, बहरेली, संगराणा, बरवाला, जलौली और फतेहपुर वीरान में 1396 एकड़ जमीन थी। यह जमीन सरप्लस एक्ट 1953 व 1972 के तहत थी, जिसके तहत मलकीयत नहीं बदली जा सकती। इसमें से 14 एकड़ जमीन की खरीद-फरोख्त को लेकर जबरदस्त खेल खेला गया है, जिसमें तीन रिटायर्ड आइएएस अधिकारी और दो मौजूदा आइएएस अधिकारी शामिल बताए जाते हैं।

विवादित जमीन सस्ती लेकर मोटा मुनाफा कमाने की कोशिश

यह अधिकारी विवादित जमीन सस्ती लेकर मोटे मुनाफे में बेचने के चक्कर में थे। आश्चर्यजनत बात यह है कि जमीन खरीद की पेमेंट पहले ही कर दी गई थी, जबकि मंडलायुक्त की कोर्ट में केस बाद में डाला गया। हक में फैसला होने के बाद रिटायर्ड अधिकारी ने दो रजिस्ट्री पांच करोड़ 26 लाख रुपये में अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम लिखवा ली, जबकि जिनसे जमीन खरीदी गई थी, वह भी जीजा-साली दो रिटायर्ड आइएएस अधिकारी थे, जिन्होंने सीधे विक्रेता से जमीन का सौदा किया और अपने नाम जमीन का मुटेशन दर्ज कराने के लिए खूब भागदौड़ की। केस का फैसला हक में आने के दौरान सभी खरीददारों के पेन नंबरों का जिक्र इसमें दर्ज है।

हजारों एकड़ जमीन विवादों में फंसी

पंचकूला तहसील में रजिस्ट्री के समय तहसीलदार को जब शक हुआ तो उन्होंने उच्चाधिकारियों को पूरे मामले से अवगत कराया। डीसी ने एफसीआर टीवीएसएन प्रसाद को केस की जानकारी दी, जिसके बाद बीड़ फिरोजड़ी जमीन की रजिस्ट्री होने पर टीवीएसएन प्रसाद ने रोक लगा दी है। इस जमीन की रजिस्ट्री एक प्राइवेट व्यक्ति, रिटायर्ड महिला आइएएस अधिकारी, उनके जीजा रिटायर्ड आइएएस अफसर के नाम थी, लेकिन इस जमीन का इंतकाल नहीं चढ़ सका। इस तरह के अनेक मामले इस इलाके में जमीनों को लेकर चल रहे हैं। क्योंकि, यहां काफी जमीन सरपल्स थी, जिस पर कई बड़े-बड़े अधिकारी काबिज हैं। हजारों एकड़ जमीन विवादों में फंसी हुई है और विभिन्न अदालतों में इसको लेकर मामले चल रहे हैं।

Tag- Haryana News, register land worth, Panchkula News

 

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