हरियाणा में बदलेगी आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था, अब SC-ST के अति पिछड़ों को मिलेगा आरक्षण के कोटे में भी कोटा

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana News: हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव का फैसला किया है, जिससे राज्य के अधिक जरूरतमंद समुदायों को आरक्षण का लाभ मिल सके। सरकार एससी-एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) करेगी, यानी आरक्षण के अंदर भी कोटा लागू किया जाएगा ताकि उन लोगों को अधिक फायदा हो, जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में शुक्रवार को नई सरकार की मंत्रिमंडल बैठक में हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट को स्वीकृति दी गई। इस रिपोर्ट में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण को विभाजित करने की सिफारिश की गई थी, जिसे अब कार्य नियमों में भी जोड़ा जाएगा।

आरक्षण में उपवर्गीकरण की जरूरत

हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की वंचित अनुसूचित जातियों को सरकारी सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, जबकि कुछ अन्य अनुसूचित जातियां अपनी जनसंख्या के अनुपात से अधिक प्रतिनिधित्व कर रही हैं। सरकारी नौकरियों के ग्रुप-ए, बी, और सी में जिन अनुसूचित जातियों का प्रतिनिधित्व अधिक है, वे इस असमानता के कारण ज्यादा लाभ उठा रही हैं, जबकि ग्रुप-डी में वंचित अनुसूचित जातियों का प्रतिनिधित्व अधिक है। इस असमानता को खत्म करने और समान अवसर प्रदान करने के लिए उपवर्गीकरण का फैसला किया गया है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक रोजगार में हर वर्ग को समान प्रतिनिधित्व देना है।

कैसे होगा उपवर्गीकरण

इस उपवर्गीकरण के तहत, हरियाणा में अनुसूचित जातियों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा:

अन्य अनुसूचित जातियां: इसमें चमार, जटिया चमार, रेहगर, रैगर, रामदासी, रविदासी, बलाही, बटोई, भटोई, भांबी, चमार-रोहिदास, जाटव, जाटवा, मोची, रामदासिया जैसी जातियां शामिल होंगी।

वंचित अनुसूचित जातियां (डीएससी): इसमें वाल्मीकि, चूड़ा, भंगी, धानक, ओड, बाजीगर, मजहबी सिख, कोरी, कबीरपंथी, सैंसी, बंजारा जैसी जातियों को शामिल किया जाएगा।

सरकारी सेवाओं में सीधी भर्ती के दौरान अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित 20 प्रतिशत कोटे में से 10 प्रतिशत वंचित अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित होगा। यदि उपयुक्त उम्मीदवार वंचित अनुसूचित जातियों से नहीं मिलते हैं, तो अन्य अनुसूचित जातियों से उम्मीदवार लिए जा सकते हैं। इसी प्रकार, 10 प्रतिशत कोटा अन्य अनुसूचित जातियों के लिए रहेगा। यदि अन्य अनुसूचित जातियों के उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिलते हैं, तो वंचित अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों को मौका दिया जा सकता है।

भर्ती प्रक्रिया में बदलाव

नए उपवर्गीकृत आरक्षण के तहत, भर्ती प्रक्रिया में चयन की अंतर-वरिष्ठता को एक कामन मेरिट लिस्ट के माध्यम से तय किया जाएगा। सरकारी नौकरियों की भर्ती में वंचित और अन्य अनुसूचित जातियों के उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग ब्लॉक्स के रोस्टर अंक निर्धारित करने की आवश्यकता नहीं होगी। सभी उम्मीदवारों की भर्ती कामन मेरिट लिस्ट के आधार पर की जाएगी ताकि प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो सके।

क्रीमी लेयर की पहचान

मंत्रिमंडल की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एससी-एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान के लिए नीति बनाने पर भी मुहर लगाई गई। इस नीति के तहत, आरक्षण का लाभ उन्हीं वर्गों तक सीमित नहीं किया जाएगा, जिन्हें पहले से इसका लाभ मिल रहा है। उपवर्गीकृत जातियों को सौ प्रतिशत आरक्षण नहीं मिलेगा, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यह वर्गीकरण तर्कसंगत सिद्धांतों पर आधारित हो। इसके लिए कम प्रतिनिधित्व और ज्यादा जरूरतमंद वर्गों के लिए आंकड़े जुटाए जाएंगे, ताकि उपवर्गीकरण का निर्णय सही और सटीक हो।

आरक्षण प्रणाली में संतुलन

यह कदम राज्य में आरक्षण प्रणाली को और संतुलित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि आरक्षण का लाभ उन वर्गों तक पहुंचे, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। उपवर्गीकरण के माध्यम से, अधिक जरूरतमंद समुदायों को सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलेगा, और आरक्षण का वितरण अधिक न्यायसंगत तरीके से हो सकेगा।

हरियाणा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में उपवर्गीकरण का यह निर्णय राज्य की सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस नई व्यवस्था के तहत वंचित जातियों को अधिक अवसर मिलने की उम्मीद है, जिससे सामाजिक संतुलन और न्याय सुनिश्चित होगा। सरकार की इस पहल से राज्य में जरूरतमंद वर्गों को सशक्त बनाने का रास्ता प्रशस्त होगा, जिससे सार्वजनिक रोजगार में समानता और प्रतिनिधित्व को बढ़ावा मिलेगा।

 

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