Haryana News: 20 गांवों के सरपंचों का फैसला, आंदोलनकारी किंसानों को हरियाणा में जीटी रोड पर नहीं लगाने देंगे टेंट
नरेन्द्र सहारण, सोनीपत : Haryana News: पंजाब से दिल्ली कूच करने वाले किसानों को हरियाणा के कुंडली और आसपास के क्षेत्रों में इस बार सहयोग नहीं मिलेगा। राई ब्लॉक के सरपंचों, कुंडली नगरपालिका पार्षदों और ब्लॉक समिति के पदाधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि आंदोलनकारी किसानों को उनके क्षेत्र में धरने की अनुमति नहीं दी जाएगी। राई स्थित पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह में आयोजित संयुक्त बैठक में सरपंचों ने आंदोलनकारियों को कुंडली क्षेत्र में बैठने से रोकने का संकल्प लिया।
पिछले आंदोलन से नाराजगी
पिछले किसान आंदोलन के दौरान कुंडली और राई के स्थानीय निवासियों ने बड़े पैमाने पर समस्याओं का सामना किया था। लगभग 378 दिन चले इस आंदोलन ने क्षेत्र के व्यापार, उद्योग और रोजगार पर भारी असर डाला।
सरपंचों और ग्रामीणों का कहना है कि उस दौरान
दैनिक यात्रियों और व्यापारियों को कठिनाई: कुंडली बार्डर पर जाम और बैरिकेडिंग की वजह से दिल्ली जाने-आने वाले करीब 1 लाख लोग रोजाना परेशान हुए।
दुकानदारों और उद्योगों का नुकसान: 500 से अधिक दुकानदारों का व्यापार ठप हो गया, और 100 से अधिक उद्योगों ने कुंडली, राई और आसपास के क्षेत्रों से पलायन कर लिया।
आर्थिक हानि: इस आंदोलन के कारण उद्योग जगत को 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
कुंडली इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष गुप्ता ने बताया कि आंदोलन की वजह से उद्योग अभी तक अपनी पुरानी स्थिति में नहीं लौट पाए हैं। अगर फिर से धरना शुरू हुआ, तो उद्योगों को और बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा।
ग्रामीणों की स्पष्ट चेतावनी
इस बार कुंडली और राई क्षेत्र के सरपंचों ने आंदोलनकारियों का विरोध करने का फैसला किया है। राई ब्लॉक में 41 गांव हैं, जिनमें से 20 से अधिक गांवों के सरपंच पहले ही विरोध में सहमति जता चुके हैं। जाटी कलां के सरपंच सतीश कुमार ने कहा कि ग्रामीण खुद हाईवे पर खड़े होकर आंदोलनकारियों को रोकेंगे। उन्होंने कहा, “आंदोलन करने वाले किसी भी संगठन को हाईवे पर बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
दहिसरा गांव के सरपंच धीर सिंह चौहान ने भी स्पष्ट किया कि वे किसानों की मांगों का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन क्षेत्र में किसी संगठन को धरना प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासन को पंजाब के किसानों को जिले की सीमा में प्रवेश करने से रोकना चाहिए, क्योंकि इससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है।
स्थानीय समर्थन नहीं मिलेगा
पिछले आंदोलन के दौरान ग्रामीणों ने राशन, पानी और अन्य आवश्यकताएं किसानों को उपलब्ध कराई थीं। इस बार ऐसा कोई सहयोग नहीं मिलेगा। राई ब्लॉक समिति के चेयरमैन प्रदीप कुमार ने कहा कि “पिछले आंदोलन से हुए नुकसान की भरपाई अभी तक नहीं हुई है। इस बार आंदोलनकारियों को किसी भी प्रकार की सहायता नहीं दी जाएगी।”
पिछले आंदोलनों की झलक
किसानों का आंदोलन पहले भी कुंडली बार्डर पर काफी लंबा चला था।
पहला आंदोलन (2020-21)
26 नवंबर 2020: किसानों ने दिल्ली बार्डर पर डेरा डाला।
26 जनवरी 2021: आंदोलनकारियों ने लाल किला तक मार्च किया।
19 नवंबर 2021: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की।
11 दिसंबर 2021: किसानों ने कुंडली बार्डर खाली किया।
दूसरा आंदोलन (2024)
13 फरवरी 2024: किसानों ने फिर से आंदोलन शुरू किया, बार्डर बंद हुआ।
24 फरवरी 2024: सर्विस लेन की एक लेन वाहनों के लिए खोली गई।
16 मार्च 2024: पूरी सर्विस लेन खोल दी गई।
26 अप्रैल 2024: फ्लाईओवर की एक लेन वाहनों के लिए चालू कर दी गई।
कुंडली बार्डर पर पुलिस की तैयारी
दिल्ली और हरियाणा पुलिस ने इस बार बार्डर पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। एनएच-44 के फ्लाईओवर पर चार स्तरीय बैरिकेडिंग की गई है। कंक्रीट की तीन फीट ऊंची दीवारों के साथ-साथ मिट्टी से भरे कंटेनर, कंटीले तार और भारी पत्थरों से रास्ता बंद कर दिया गया है। कुंडली थाना एसएचओ देवेंद्र कुमार ने बताया कि ट्रैफिक फिलहाल सामान्य है, लेकिन किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस पूरी तरह तैयार है।
उद्योग जगत पर असर
कुंडली इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि किसान आंदोलन की वजह से पहले ही क्षेत्र में हजारों करोड़ का नुकसान हो चुका है। अब आंदोलन की खबर से नए ऑर्डर मिलना बंद हो गए हैं, और पुराने ऑर्डर कैंसिल हो रहे हैं। अगर बार्डर फिर से बंद हुआ तो सोनीपत के उद्योगों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
ग्रामीणों और किसानों के बीच तनाव
ग्रामीणों और किसानों के बीच इस बार की स्थिति पहले से अलग है। ग्रामीणों का कहना है कि वे किसानों की मांगों के विरोधी नहीं हैं, लेकिन अपने क्षेत्र में धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं देंगे। यह स्थिति सरकार और किसान संगठनों के बीच संवाद को और भी महत्वपूर्ण बनाती है।
सरकार की चुनौती
हरियाणा सरकार और प्रशासन के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है। एक ओर किसान अपनी मांगों को लेकर दृढ़ हैं, तो दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीण और उद्योग किसी भी नए आंदोलन के खिलाफ खड़े हैं।
क्या होगा आगे?
आंदोलनकारियों का दिल्ली कूच और कुंडली बार्डर पर विरोध के बीच सरकार को जल्द ही समाधान निकालना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यह तनाव बढ़ सकता है और स्थिति और अधिक जटिल हो सकती है।
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