हरियाणा में थैलेसीमिया और हीमोफीलिया रोगियों को मिलेगी मासिक दिव्यांगता पेंशन, कैबिनेट की बैठक में मिली मंजूरी

नरेंद्र सहारण, चंडीगढ़। हरियाणा में थैलेसीमिया और हीमोफीलिया से पीड़ित मरीज, जिनकी पारिवारिक आय प्रति वर्ष 3 लाख रुपये तक है, अब 3000 रुपये की मासिक दिव्यांगता पेंशन के हकदार होंगे। इस निर्णय से लगभग 2083 रोगियों को लाभ होने की उम्मीद है और वर्तमान में 3000 रुपये मासिक पेंशन की दर के अनुरूप 7.49 करोड़ रुपये का वार्षिक वितरण होगा।

इन रोगियों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ होगा कम

 

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ‘हरियाणा दिव्यांग पेंशन नियम, 2016’ के तहत मौजूदा अधिसूचना में थैलेसीमिया और हीमोफीलिया रोगों को शामिल करने की मंजूरी दे दी। इस निर्णय का उद्देश्य ऐसे रोगियों को दिव्यांगता पेंशन का लाभ प्रदान करना और इन रोगियों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम करना है।मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले वर्ष 3 लाख रुपये तक वार्षिक आय वाले परिवारों के थैलेसीमिया और हीमोफीलिया रोगियों को दिव्यांगता पेंशन योजना में शामिल करने की घोषणा की थी। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट (2022) के अनुसार, हरियाणा में थैलेसीमिया के लगभग 1300 मामले और हीमोफीलिया के लगभग 783 मामले दर्ज किए गए हैं। मरीजों की वर्तमान स्थिति का पता लगाने के लिए कि वे ठीक हो गए हैं या नहीं, संबंधित सिविल सर्जन द्वारा थैलेसीमिया और हीमोफिलिया प्रमाणपत्रों का प्रति वर्ष सत्यापन किया जाएगा।

हरियाणा माननीय शव निपटान विधेयक, 2024 को मंजूरी

चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में डेड-बॉडी (मृत शरीर) के अधिकार और गरिमा को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इस बैठक में ‘द हरियाणा ऑनरेबल डिस्पोजल ऑफ़ डेड बॉडी बिल, 2024’ को मंजूरी दी गई। इस ऐतिहासिक कानून का उद्देश्य किसी मृत शरीर का सभ्य और समय पर अंतिम संस्कार सुनिश्चित करना है।

मृत व्यक्ति की पवित्रता की रक्षा करने और समय पर अंतिम संस्कार में बाधा डालने वाले किसी भी अनुचित विरोध या आंदोलन को रोकने की आवश्यकता को पहचानते हुए, यह विधेयक स्पष्ट रूप से शवों के निपटान के संबंध में किसी भी मांग या प्रदर्शन पर रोक लगाता है। प्रस्तावित कानून उन मामलों में सार्वजनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी पर भी जोर देता है, जहां परिवार के सदस्य मृत शरीर को अस्वीकार कर देते हैं, जिससे उचित अंतिम संस्कार से इंकार कर दिया जाता है। ऐसे मामलों में पब्लिक अथॉरिटी को कदम उठाने और मृत शरीर के लिए गरिमापूर्ण और समय पर अंतिम संस्कार तय करने का आदेश दिया गया है।

 

 

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