Haryana News: हरियाणा में भैंस चोरी की अनोखी कहानी: 27 दिन की खोज और पुलिस की मेहनत

नरेन्द्र सहारण, अंबाला शहर : Haryana News: हरियाणा में भैंस चोरी की एक अजीबोगरीब कहानी सामने आई है, जिसमें न केवल स्थानीय पुलिस बल बल्कि विशेष अपराध जांच एजेंसी (सीआइए) भी सक्रिय हुई। यह घटना अंबाला के जटवाड़ गांव की है, जहां एक स्थानीय सरपंच के करीबी व्यक्ति की भैंस चुराई गई थी। भैंस की चोरी के बाद पुलिस और सीआइए ने मिलकर इस मामले में तेजी से कार्रवाई की, जिससे अंततः 27 दिन बाद भैंस बरामद की गई और एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया।
भैंस चोरी की घटना का प्रारंभ
भैंस चोरी की यह घटना तब शुरू हुई जब गांव जटवाड़ के सरपंच के करीबी व्यक्ति राजिंद्र सिंह ने अपनी भैंस की गुमशुदगी की रिपोर्ट पंजोखरा थाने में दर्ज कराई। राजिंद्र सिंह ने बताया कि उनकी भैंस की कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपये थी और यह प्रति दिन 11 लीटर दूध देती थी। जब उन्होंने अपने पास मौजूद भैंस के बारे में शिकायत की, तो पुलिस की ओर से कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई।
ग्रामीणों की अनूठी पहल
राजिंद्र सिंह और अन्य ग्रामीणों ने फिर से स्थानीय पुलिस के उच्च अधिकारियों से मिलकर अपनी समस्या को उठाया। इसके बाद सरपंच ने एसपी को मामले की जानकारी दी। एसपी ने आरोपियों को पकड़ने और भैंस को बरामद करने के लिए सीआइए को संबंधित निर्देश दिए। इस तरह यह मामला सीआइए के पास पहुंचा, जिससे इसे एक नई दिशा मिली।
सीआइए की रणनीतिक खोज
सीआइए की टीम ने अपने काम को लेकर बहुत सीरियस नजरिया अपनाया। टीम ने पूरे अंबाला क्षेत्र के 225 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच शुरू की। इस जांच में उन्हें एक सामान्य विशेषता मिली , सभी फुटेज में एक स्कार्पियो गाड़ी, जो संदेहास्पद लग रही थी, बार-बार नजर आई।
भैंस बरामदगी की प्रक्रिया
27 दिन की जांच के बाद पुलिस ने आखिरकार भैंस को बरामद करने में सफलता प्राप्त की। सहारनपुर के गांव रायपुर कलां निवासी परवेज उर्फ बिल्ला नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। तस्वीरें और अन्य सबूतों के आधार पर, बिल्ला ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया कि वह अकेले ही नहीं, बल्कि तीन-चार अन्य लोगों के साथ मिलकर भैंस चुराने का काम करता था।
गिरोह की कार्यप्रणाली
गिरोह की कार्यप्रणाली बेहद चालाकी से भरी थी। ये लोग रात के अंधेरे में गाँव की भैंसों को खोलते थे और फिर उन्हें स्कार्पियो में लादकर उत्तर प्रदेश ले जाते थे। बिल्ला ने बताया कि उनका गिरोह केवल जटवाड़ गाँव तक सीमित नहीं था, बल्कि मुलाना और साहा जैसे अन्य इलाकों में भी वे इसी प्रकार की वारदातें अंजाम देते थे।
गिरोह की गिरफ्तारी और पुलिस का कार्य
हालांकि बिल्ला को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन गिरोह के अन्य साथी अब भी मुक्त थे। सीआइए ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस की सहयोगी टीमों को इस गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए निर्देशित किया है। इसके साथ ही, स्कार्पियो गाड़ी, जो इस गिरोह का मुख्य साधन थी, को भी बरामद करना महत्वपूर्ण है।
पुलिस की मेहनत और सामाजिक जागरूकता
इस पूरे मामले ने एकबार फिर दिखा दिया कि पुलिस और स्थानीय लोगों द्वारा मिलकर काम करने पर किसी भी अपराध को सुलझाया जा सकता है। ग्रामीणों की जागरूकता और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने इस भैंस की बरामदगी में अहम भूमिका निभाई।
किसानों और पशुपालक की चिंता
इस घटना ने न केवल राजिंद्र सिंह को प्रभावित किया बल्कि अन्य पशुपालकों में भी चिंता बढ़ा दी है। भैंसें केवल दूध का स्रोत नहीं होती हैं, बल्कि ये पशुपालकों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। किसानों को डर है कि इस तरह की घटनाओं से उनकी मेहनत पर पानी फिर सकता है।
भविष्य में सुरक्षा उपाय
इस घटना ने यह भी दिखाया है कि किस तरह से पशुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की जरूरत है। इसके लिए आगामी समय में स्थानीय प्रशासन को कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरों की संख्या में वृद्धि, पशुपालकों के लिए सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम और पुलिस गश्त को बढ़ाना।
हरियाणा के जटवाड़ गांव में हुई यह भैंस चोरी की घटना एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है जो यह दर्शाता है कि तेजी से बढ़ते अपराधों का मुकाबला करने के लिए सिर्फ पुलिस ही नहीं, बल्कि समाज के सभी स्तरों पर सक्रियता और सहयोग की आवश्यकता है।
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