हरियाणा में चुनाव हारने वाले 52 कांग्रेस प्रत्याशियों ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के समक्ष रखी अपनी बात, बताया हार का कारण

भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी सैलजा।

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana News: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को दोषी ठहराने के दावे किए, लेकिन अधिकांश कांग्रेस उम्मीदवारों ने इस दावे को खारिज कर दिया। चुनाव हारने वाले 52 उम्मीदवारों ने फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी के सामने जूम के माध्यम से अपनी बात रखी, जिसमें उन्होंने पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी, भितरघात और वरिष्ठ नेताओं के बीच तालमेल की कमी को हार का असली कारण बताया। उम्मीदवारों ने स्पष्ट किया कि हार के लिए ईवीएम को दोषी ठहराना सही नहीं है।

फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी का गठन

 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के कारणों की जांच के लिए फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी बनाई। इस कमेटी की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कर रहे हैं, और इसमें राजस्थान के विधायक हरीश चौधरी भी शामिल हैं।

 

कमेटी ने चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों से चार प्रमुख सवाल पूछे

 

– चुनाव हारने का कारण

– वरिष्ठ नेताओं द्वारा किए गए दौरों की प्रभावशीलता,
– स्टार प्रचारकों के दौरे,
– ईवीएम की भूमिका।

ईवीएम के बारे में उम्मीदवारों की राय

 

उम्मीदवारों की ओर से आई प्रतिक्रियाओं में ज्यादातर ने कहा कि ईवीएम चुनावी हार का कारण नहीं है। कई उम्मीदवारों ने साफ तौर पर कहा कि पार्टी की हार के लिए ईवीएम को दोष नहीं दिया जा सकता। उनका मानना था कि कांग्रेस के अंदर ही गहरे मतभेद और बगावत की वजह से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। उम्मीदवारों ने स्वीकार किया कि टिकट न मिलने से नाराज कई नेताओं को सही समय पर नहीं मनाया गया, जिसके चलते कई सीटों पर पार्टी के भीतर से ही भाजपा को समर्थन मिला।

पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी और भितरघात

कमेटी के सामने अधिकांश उम्मीदवारों ने पार्टी के भीतर की गुटबाजी और भितरघात को हार का सबसे बड़ा कारण बताया। बरवाला, नलवा और हिसार जैसी सीटों से जुड़े प्रत्याशियों ने खुलकर कहा कि कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता टिकट कटने की वजह से विरोध में काम कर रहे थे और अंदरखाने में भाजपा को समर्थन दे रहे थे। एक उम्मीदवार ने कांग्रेस के एक सांसद और पूर्व कैबिनेट मंत्री पर खुला आरोप लगाते हुए कहा कि वे भाजपा की मदद कर रहे थे।

कुमारी सैलजा की नाराजगी और दलित वोट बैंक

 

कई उम्मीदवारों ने पार्टी की वरिष्ठ नेता और सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा की नाराजगी को भी हार का एक बड़ा कारण बताया। उन्होंने कहा कि सैलजा की नाराजगी से दलित वोट बैंक में सेंध लगी, जिससे कांग्रेस को नुकसान हुआ। कुछ उम्मीदवारों ने सुझाव दिया कि अगर कुमारी सैलजा को उकलाना से चुनाव लड़वाया जाता, तो कांग्रेस को प्रदेश की 10 से 15 सीटों पर फायदा हो सकता था। सैलजा का चुनाव प्रचार में कम भागीदारी और पार्टी से दूरी बनाकर रखना कांग्रेस के लिए महंगा साबित हुआ।

जाट वोटों का ध्रुवीकरण

 

कई उम्मीदवारों ने कहा कि जाट मतदाताओं का ध्रुवीकरण कांग्रेस के खिलाफ हो गया। जाट मतदाताओं के मुखर होने की वजह से दूसरी जातियों में गलत संदेश गया, जिसके परिणामस्वरूप गैर-जाट वोटर भाजपा के पक्ष में लामबंद हो गए। मतदान के एक सप्ताह पहले से ही यह ध्रुवीकरण साफ नजर आने लगा था, और जिन सीटों पर कांग्रेस की जीत की संभावनाएं मजबूत मानी जा रही थीं, वहां भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

स्टार प्रचारकों और नेताओं के दौरे

 

कई उम्मीदवारों ने शिकायत की कि स्टार प्रचारकों के दौरे सही ढंग से आयोजित नहीं किए गए थे। उन्हें प्रचारकों के दौरों की पूर्व सूचना नहीं दी गई, जिससे वे अपने क्षेत्रों में बेहतर ढंग से रणनीति नहीं बना सके। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव, जिन्होंने चुनाव के बाद कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता छोड़ दी थी, ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि पार्टी के नेताओं के दौरों के बारे में सही जानकारी नहीं दी गई थी।

कांग्रेस की हार के बाद फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी के सामने ज्यादातर उम्मीदवारों ने स्पष्ट रूप से कहा कि पार्टी के भीतर की गुटबाजी, वरिष्ठ नेताओं के बीच तालमेल की कमी, और भितरघात हार के प्रमुख कारण थे। कई उम्मीदवारों ने ईवीएम को दोषी ठहराने से इनकार कर दिया और कहा कि पार्टी के ही कुछ नेताओं ने विरोधी दल भाजपा की मदद की। कांग्रेस को यदि आगे बढ़ना है, तो पार्टी को अपनी आंतरिक राजनीति को सुधारना होगा और बगावत जैसी समस्याओं का समय रहते समाधान करना होगा।

 

 

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