Haryana Politics: क्या हरियाणा में तीन सीटों पर सिमट सकती है BJP? कांग्रेस में लौटे बीरेंद्र सिंह का बड़ा दावा

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana Politics: 2024 लोकसभा चुनावों के बीच जहां ज्यादतर नेता बीजेपी की सदस्यता ले रहे हैं तो वहीं हरियाणा के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने दांव खेलते हुए बीजेपी से कांग्रेस का रुख किया है। बेटे के बाद बीरेंद्र सिंह भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। हरियाणा की राजनीति में अपनी धमक के लिए मशहूर बीरेंद्र सिंह 9 साल बीजेपी में रहने के बाद कांग्रेस में वापस लौटे हैं। 2024 लोकसभा चुनावों से पहले घर वापसी के फैसले पर राजनीतिक प्रेक्षक अपने निष्कर्ष में जहां हैरानी जता रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर अब खुद बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस में लौटने की वजह का खुलासा किया है। बीरेंद्र सिंह हरियाणा की राजनीति में पिछले 52 सालों से सक्रिय हैं। उनके बेटे बृजेंद्र सिंह के फिर हिसार से लड़ने की उम्मीद है। यहां से बीजेपी ने रणजीत चौटाला और जेजेपी ने नैना चौटाला को उम्मीदवार बनाया है।
कांग्रेस को करूंगा एकजुट
पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने दावा किया है कि ऐसा भी हो सकता है कि 10 सीटों का दावा करने वाले तीन सीटों पर सिमट जाएं। चौधरी बीरेंद्र सिंह ने यह दावा ऐसे वक्त पर किया है जब राज्य में कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची घोषित होनी बाकी है। बीरेंद्र सिंह ने पत्रकार अजयदीप लाठर के साथ इंटरव्यू में यह बात कही है। उन्होंने इंटरव्यू में यह भी स्वीकार किया है कि पिछले 10-12 सालों में कांग्रेस का राज्य में संगठन नहीं बना है, लेकिन फिर भी कांग्रेस के लिए अच्छी संभावना है। उन्होंने कहा कि वह राज्य में कांग्रेस को एकजुट करने की कोशिश करेंगे। बीरेंद्र सिंह की घरवापसी के मौके पर कांग्रेस के सभी गुटों के नेता पार्टी मुख्यालय में मौजूद रहे थे और उनका स्वागत किया था।
तीन भी न जीत पाए तो…
इंटरव्यू में जब बीरेंद्र सिंह से पूछा गया कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कहां खड़ा देख रहे हैं? तो उन्होंने कहा कि लोकसभा की 10 सीटों में से कौन कितनी सीट लेता है, इसका विधानसभा के चुनाव पर असर पड़ेगा। 10 जीतने का दावा करने वाले 3 भी न जीत पाए तो उनकी कमजोरी सामने आ जाएगी। जुड़ने वाले लोग पीछे हट जाएंगे। मुझे लगता है कि कांग्रेस की तरफ लोगों का रूझान है। लोग अपनी सोच को बदल रहे हैं। वो किस स्पीड से बदलते हैं, अगर यह स्पीड अप हो गई तो बीजेपी को लेने के देने पड़ जाएंगे। बीरेंद्र सिंह ने कहा कि परिणाम आश्चर्यजनक हो सकते हैं। लोकसभा चुनावों के बाद हरियाणा में विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू हो जाएगी। दोनों चुनावों में करीब 100 दिन का गैप है।
राजनेता नहीं बन पाए मनोहर लाल
हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल को लेकर पूछे जाने पर बीरेंद्र सिंह ने कहा कि मनोहर लाल जी ने अपने कामों में दक्षता दिखाई, चूंकि वे आरएसएस से आए थे, लेकिन खुद को राजनेता के तौर पर कामयाब नहीं कर पाए। आपने देखा 75 पार (हरियाणा विधानसभा चुनाव) की बात, अब 10 की 10 सीटों की अब बात करना, यह गैर राजनीतिक होने का प्रमाण है। हरियाणा का वोटर पूरी तरह राजनीतिक है। बीरेंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने (मनोहर लाल) आईटी में उन्होंने अच्छे कदम उठाए, लेकिन जनता में फेमिली आईडी, फसल ब्योरा, फसल बीमा आदि स्वीकार्य नहीं हुए। बीरेंद्र सिंह ने कृषि कानूनों का भी जिक्र किया और कहा कि क्या हश्र हुआ पूरे देश ने देखा। हरियाणा में 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था। पार्टी के सामने उसी प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है। पार्टी ने कांग्रेस के छह पूर्व नेताओं को टिकट दिया है। ऐसे में दिल्ली से सटे हरियाणा में इस बार लोकसभा चुनावों के नतीजों को विधानसभा का सेमीफाइनल माना जा रहा है।
छठवें चरण में है चुनाव
हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों के लिए मतदान एक ही चरण में होगा। आयोग ने हरियाणा को छठवें चरण में रखा है। हरियाणा में अंबाला, कुरूक्षेत्र, सिरसा, हिसार, करनाल, सोनीपत, रोहतक, भिवानी-महेंद्रगढ़, गुरुग्राम और फ़रीदाबाद लोकसभा सीटें है। 2014 के चुनावों में बीजेपी ने सात सीटें जीती थीं। बाकी की तीन सीटों में कांग्रेस ने एक और इनेलो ने दो सीटें जीती थीं। 2019 के चुनावों में बीजेपी ने सभी 10 सीटें जीत ली थीं। कांग्रेस और बाकी दल शून्य पर सिमट गए थे। हुड्डा रोहतक का गढ़ भी नहीं बचा पाए थे।
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