Haryana Politics : कांग्रेस ने बुलाई हरियाणा विधायक दल की मीटिंग, विपक्ष का नेता चुना जाएगा, कई नाम हैं चर्चा में
नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़: Haryana Politics : हरियाणा में लगातार मिल रही चुनावी हार के बाद कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत करने के प्रयास में जुट गई है। इसी कड़ी में 18 अक्टूबर को कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना जाएगा। इससे एक दिन पहले, 17 अक्टूबर को नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभालेंगे। कांग्रेस ने चंडीगढ़ में विधायक दल की बैठक बुलाई है, जिसमें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन, और पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद रहेंगे। ये तीनों नेता विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस हाईकमान द्वारा हरियाणा के पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए थे, और सभी को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का करीबी माना जाता है।
भूपेंद्र हुड्डा हो सकते हैं कांग्रेस विधायक दल के नेता
अशोक गहलोत और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच पुरानी मित्रता है और हुड्डा ने अजय माकन को राज्यसभा में भेजने के लिए भी भरपूर कोशिश की थी। इन तीनों नेताओं की पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थिति इस ओर इशारा करती है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक बार फिर से कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने जा सकते हैं, जिससे विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में उनका चयन लगभग तय माना जा रहा है। हरियाणा विधानसभा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के केवल दो विधायक चुने गए हैं, और तीन निर्दलीय विधायक पहले ही भाजपा को समर्थन दे चुके हैं।
कई और नाम भी चर्चा में
हालांकि, चर्चा है कि पार्टी की हार के कारण कांग्रेस हाईकमान नाराज है और हो सकता है कि हुड्डा के बजाय किसी अन्य नेता को विधायक दल का नेता चुना जाए। कुमारी सैलजा के खेमे की ओर से पंचकूला के नव निर्वाचित विधायक और पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम आगे किया जा रहा है। अगर हुड्डा को नेता नहीं चुना जाता, तो उनके खेमे से थानेसर के विधायक और पूर्व स्पीकर अशोक अरोड़ा और नूंह के विधायक एवं कांग्रेस विधायक दल के पूर्व उप नेता चौधरी आफताब अहमद के नामों पर विचार हो सकता है। इसके अलावा दलित चेहरे के रूप में झज्जर की विधायक गीता भुक्कल और रोहतक के विधायक बीबी बत्रा के नाम भी विकल्प के रूप में सामने आ रहे हैं।
18 अक्टूबर को बुलाई गई बैठक
कांग्रेस विधायक दल की बैठक 18 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे चंडीगढ़ में कांग्रेस मुख्यालय में होगी। हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस के 37 विधायक हैं, जो बहुमत से 9 कम हैं। कांग्रेस की हार के बाद से भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा दोनों सार्वजनिक रूप से सक्रिय नहीं दिखे हैं। हार के कारणों में कुमारी सैलजा की नाराजगी और उनके द्वारा चुनाव प्रचार में सक्रिय भागीदारी न करने को भी प्रमुख कारण माना जा रहा है।
कांग्रेस संगठन में लगातार अस्थिरता
हरियाणा में पिछले 12 साल से कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा बिखरा हुआ है। इस अवधि में चार प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त हुए, लेकिन संगठन को स्थिरता नहीं मिल पाई। अशोक तंवर, कुमारी सैलजा, और वर्तमान अध्यक्ष चौधरी उदयभान जैसे नेताओं ने प्रयास किए, लेकिन कांग्रेस आज तक अपने जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्षों का सही से गठन नहीं कर पाई है। गुटबाजी के कारण पार्टी का संगठन कमजोर हो गया है।
कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी दीपक बाबरिया इस बैठक में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ने की पेशकश की है। इस कारण से प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान पर भी पद छोड़ने का दबाव बढ़ता जा रहा है।
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