Haryana Politics: पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला सरकारी कोठी कर रहे खाली, मान्यता- इसमें रहने वाला दोबारा नहीं जीतता

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Politics: देश और प्रदेश की राजधानियों में मंत्रियों को अलॉट की जाने वाली कोठियों की कोई न कोई कहानी होती है। राजनीति में जिस प्रकार की अनिश्चितता होती है, उसके कारण राजनेता किसी प्रकार का रिश्क उठाने को तैयार नहीं होते हैं। ऐसे ही चंडीगढ़ में सरकारी कोठी नंबर-48 अक्सर चर्चा में रहती है। इस बार इसकी चर्चा हरियाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला‎ को लेकर है। वह अब तक इसी कोठी में रहे थे, लेकिन अब वह इसे खाली कर पंचकूला‎ में शिफ्ट हो रहे हैं। हालांकि, अभी फिलहाल यह कोठी ‎किसी को अलॉट नहीं हुई है।‎

ज्यादातर अगली दफा विधानसभा तक भी ‎नहीं पहुंचते

इस कोठी के साथ एक धारणाएं जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि इस कोठी में रहने वाले मंत्रियों ‎में ज्यादातर अगली दफा विधानसभा तक भी ‎नहीं पहुंचते। अब जजपा नेता दुष्यंत चौटाला इस कोठी को‎ 5 साल पूरा होने से पहले ही खाली कर रहे हैं। इस मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में अफवाहें उड़ा दी हैं और समाज में बहस छेड़ दी है। हालांकि, ‎अब वह मंत्री नहीं हैं, इसलिए कोठी को खाली करना पड़ रहा है। इस कोठी के खाली होने का विवाद उसके प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार की भूमिका और विपक्षी दलों के भीतर की रणनीति को भी दर्शाता है।

आइएएस की अलॉट की जाने वाली कोठी को लेकर धारणा

 

इसके अलावा‎ यहां कोठी नंबर-78 को लेकर भी ऐसी ही ‎धारणाएं बनी। बाद में इस कोठी को IAS ‎अफसरों को ही अलॉट किया जाता रहा है। ये कोठियां‎ भी मंत्रियों की अन्य कोठियों की तरह अच्छी हैं, लेकिन इनके साथ जुड़ी धारणाएं नकारात्मक हैं।

आइये जानें कोठी नंबर-48 का गणित‎

 

-चंडीगढ़ में कोठी नंबर 48 सेक्टर-2 ‎में है। यहां हरियाणा की अन्य‎ कोठियां भी हैं, जिनमें मंत्री रहते हैं। 2019 में गठबंधन सरकार बनने पर यह कोठी‎ तब के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत‎ चौटाला को मिली, लेकिन अब ‎लोकसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी (जजपा) पार्टी का‎ प्रदर्शन ठीक नहीं रहा। गठबंधन टूटने‎ से सरकार से बाहर हो गए। अब वह यहां‎ पांच साल पूरे नहीं कर रहे। वह इस ‎कोठी को पहले ही खाली कर रहे हैं।‎

-इससे पहले इस ‎कोठी में इनेलो सरकार में चौधरी‎ धीरपाल सिंह रहे थे। वह 1999 से ‎2005 तक इस कोठी में रहे, लेकिन‎ इसके बाद वह नहीं जीते।‎

-इस कोठी में कांग्रेस सरकार बनने पर ‎तब के वित्त मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह‎ रहने लगे, लेकिन वह भी 2009 में हार‎ गए। उन्हें उचाना सीट पर ओमप्रकाश‎ चौटाला ने विधानसभा में हराया।‎

-कांग्रेस के दूसरे कार्यकाल में 2009 में ‎यह कोठी तत्कालीन मंत्री रणदीप सुरजेवाला को‎ अलॉट हुई। वह जीतकर‎ विधानसभा तो पहुंचे, लेकिन उनकी‎ सरकार सत्ता से बाहर होने पर वह मंत्री नहीं ‎बन सके और कोठी खाली करनी पड़ी।

– भाजपा सरकार बनने पर 2014 में‎ यह कोठी तब के वित्त मंत्री कैप्टन‎ अभिमन्यु को मिली, लेकिन वह भी ‎2019 में चुनाव हार गए।

कोठी नंबर-78 वाले भी अगली बार नहीं जीते‎

कोठी नंबर-78 में सुषमा स्वराज, रामबिलास शर्मा, तत्कालीन डिप्टी स्पीकर कुलबीर सिंह, करतार देवी,‎ बहादुर सिंह, फूलचंद मुलाना रह चुके हैं। ये लोग अगली बार विधानसभा नहीं ‎पहुंचे थे। इनके बाद कृष्णलाल पंवार को भी हार का सामना करना पड़ा। अब यह कोठी ‎अफसरों को दी जा रही है। इसमें अभी मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव रह रहे हैं।

 

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