Haryana Politics: 10 साल में कांग्रेस के 10 बड़े नेताओं ने पार्टी को कहा अलविदा, हुड्डा का विरोध पड़ा भारी

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़। Haryana Politics: हरियाणा में कांग्रेस का मतलब भूपेंद्र सिंह हुड्डा है। लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन से लेकर उन्हें चुनाव लड़वाने तक, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फ्रीहेंड दिया, उस देखकर तो यही लग रहा है। एक साथ कई मोर्चों पर राजनीति करने वाले हुड्डा कांग्रेस हाईकमान के इस भरोसे पर खरे भी उतरे। नौ लोकसभा सीटों में से पांच पर कांग्रेस चुनाव जीती और इनमें कुमारी सैलजा को छोड़कर बाकी चार सांसद हुड्डा खेमे के हैं। हुड्डा पर कांग्रेस हाईकमान का भरोसा सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रहा। उत्तर भारत में कांग्रेस शासित राज्यों में हरियाणा ऐसा प्रदेश है, जहां कांग्रेस को सबसे अधिक वोट मिले।

विधानसभा चुनाव में मिलेगा हुड्डा को फ्रीहेंड

लोकसभा चुनाव में मिली इस जीत के बाद अब यह तय माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में भी हुड्डा को फ्रीहेंड दिया जा सकता है। हुड्डा विरोधी खेमे के नेताओं को कांग्रेस हाईकमान का हुड्डा के प्रति यह रुख बिल्कुल भी पसंद नहीं है। इसलिए हुड्डा के विरुद्ध लगातार लामबंदियां होती रही और हुड्डा अपने विरुद्ध बुने गए चक्रव्यूह को बड़ी आसानी से भेदने में कामयाब होते रहे। हुड्डा को जब भी मौका मिला, उन्होंने या तो अपने विरोधियों को कांग्रेस छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया या फिर कांग्रेस में उन्हें किनारे लगा दिया। किरण चौधरी की भाजपा में इंटरी के बाद अब हुड्डा के विरुद्ध बनाए गए एसआरके गुट भी टूट गया है।

नया नाम एसआरबी

इस गुट में अब एस यानी सैलजा और आर यानी रणदीप सुरजेवाला रह गए हैं। के यानी किरण इस गुट से आउट हो गई, जबकि बीरेंद्र सिंह यदि इस गुट में जुड़ते हैं तो उसका नया नाम एसआरबी जरूर हो सकता है। प्रदेश में पिछले 10 साल से कांग्रेस का आज तक संगठन नहीं बन पाया है, लेकिन बिना संगठन के भी हुड्डा ने चुनाव लड़े और हाईकमान को उसके नतीजे दिए। अलबत्ता, जो लोग भूपेंद्र सिंह हुड्डा का विरोध कर रहे थे, वह एक-एक कर पार्टी से जरूर बाहर होते चले गए।

इन नेताओं ने छोड़ी कांग्रेस पार्टी

हरियाणा में पिछले 10 वर्षों के दौर पर नजर मारी जाए तो कांग्रेस के 10 बड़े नेता पार्टी को छोडक़र जा चुके हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में शुरू हुआ यह सिलसिला आजतक जारी है। सबसे पहले हुड्डा के भाई एवं राजनीतिक विरोधी चौधरी बीरेंद्र सिंह ने बगावत का झंडा उठाया था। दक्षिण हरियाणा के वरिष्ठ नेता राव इंद्रजीत ने सबसे पहले कांग्रेस को अलविदा बोला, जिसके बाद बीरेंद्र सिंह भाजपाई हुई। राव इंद्रजीत और बीरेंद्र सिंह दोनो ही कांग्रेस में सीएम पद के प्रबल दावेदार थे। इसी दौरान भिवानी के सांसद धर्मबीर, सोनीपत के पूर्व सांसद रमेश कौशिक तथा करनाल के पूर्व सांसद डा. अरविंद शर्मा कांग्रेस को अलविदा कह गए। हालांकि तीनों भाजपा में जाकर सांसद बने।

इन्होंने भी छोड़ी पार्टी

कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए अशोक तंवर की हुड्डा खेमे के आगे एक नहीं चली। तंवर ने जैसे-तैसे अपना कार्यकाल तो पूरा किया लेकिन बढ़ते तनाव व दबाव के चलते उन्होंने भी कांग्रेस को छोड़ने में ही भलाई समझी। अशोक तंवर का राजनीतिक करियर अभी भी जहां डांवाडोल है. वहीं चौधरी बीरेंद्र सिंह भाजपा में कामयाब पारी खेलने के बाद दोबारा कांग्रेस में आ चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई भाजपा के रंग में रंगकर कांग्रेस छोड़ चुके हैं। वर्ष 2005 में हुड्डा सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले विनोद शर्मा भी इस समय भाजपा के साथ है। दक्षिण हरियाणा में कांग्रेस का प्रतिष्ठित व नामी चेहरा रहे अवतार सिंह भड़ाना भाजपा में आ चुके हैं। किरण चौधरी कांग्रेस की ऐसी दसवीं नेता हैं, जो अब भाजपा में शामिल हुई हैं।

 

 

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